TDP के जिन दो सांसदों को जीवीएल नरसिम्हा ने बताया था आंध्र का माल्या, भाजपा में शामिल
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले वर्ष कई उद्योगपतियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमे राज्यसभा के दो सांसद भी शामिल थे, जोकि टीडीपी के सांसद है। इन दोनों ही सांसदों ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। सीएम रमेश और वाईएस चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया है। बता दें कि रमेश का नाम सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना विवाद में आया था। उनकी कंपनी के खिलाफ आयकर मामले में जांच चल रही है।
भाजपा ने दोनों को बताया था आंध्र का विजय माल्या
वहीं वाईएस चौधरी की बात करें तो वह सीबीआई और ईडी के निशाने पर हैं, उनपर फर्जी लोन के मामले में जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं। दोनों ही ने नेताओं खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप गलत हैं, उन्होंने किसी भी तरह के फर्जीवाड़े से साफ इनकार किया था। हालांकि भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों ही नेताओं की ओर से किसी भी तरह का बयान नहीं आया है और दोनों ही नेताओं ने चुप्पी साथ रखी है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले वर्ष नवंबर माह में भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने चौधरी और रमेश को आंध्र का माल्या बताया था। उन्होंने दोनों के खिलाफ राज्य सभा की इथिक्स कमेटी को पत्र लिखकर दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी
1000 करोड़ का फर्जीवाड़ा
28 नवंबर को लिखे पत्र में राव ने इथिक्स कमेटी के चेयरमैन को पत्र लिखा था, जिसमे उन्होंने लिखा था कि मैंने दोनों ही सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चेयरमैन से अपील की है। दोनों ही नेता आंध्र प्रदेश के माल्या हैं और कई वित्तीय फर्जीवाड़े में लिप्त हैं। बता दें कि पिछले वर्ष अक्टूबर माह में आयकर विभाग की जांच में यह बात सामने आई थी कि रमेश की कंपनी ने 100 करोड़ रुपए का कथित फर्जी ट्रांजैक्शन किया है।
क्या है मामला
वहीं सीबीआई के आला अधिकारियों वर्मा और अस्थाना के बीच विवाद के बीच सना सतीश बाबू ने शिकाय दर्ज कराई थी, उनके बयान के आधार पर ही अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि रमेश मामले की जांच को प्रभावित कर रहे हैं। बाबू ने बयान दिया था कि वर्मा ने घूस की मांग की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इस पूरे मामले में रमेश का बड़ी भूमिका है। वहीं चौधरी के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज किया था। उस वक्त जांच एजेंसी ने चौधरी की 315 करोड़ रुपए की संपत्ति को अटैच किया था, जिसमे फरारी, बीएमडब्ल्यू, रेंज रोवर जैसी कारें शामिल थीं।
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