अमेरिका विदेश और रक्षामंत्री से कुछ इस तरह मिले अजित डोभाल, हाथ ना मिलाकर ऐसे किया स्वागत
अमेरिका विदेश और रक्षामंत्री से दिल्ली में कुछ इस तरह मिले अजित डोभाल, हाथ ना मिलाकर ऐसे किया स्वागत
नई दिल्ली। यूएस विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा सचिव मार्क एस्पर तीसरी 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए भारत में हैं। मंगलवार को पोम्पिओ और एस्पर ने हैदराबाद हाउस में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक की। पोम्पियो और एस्पर ने एनएसए अजीत डोभाल के साथ भी मुलाकात की है। डोभाल ने इस दौरान जिस अंदाज में पोम्पियो और एस्पर का अभिवादन किया, वो भी खास रहा। कोहनियां टकराकर दोनों नेताओं का अभिवादन डोभाल ने किया।
हाथ मिलाने की जगह इस तरह से अभिवादन
अजित डोभाल ने दिल्ली में बैठक से पहले यूएस विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा सचिव मार्क एस्पर का एल्बो बंप (हल्के से कोहनियां टकराकर) से स्वागत किया। कोरोना महामारी के चलते भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर से हाथ मिलाने से बचते हुए कोहनी टकराकर अभिवादन किया। इस दौरान सभी ने मास्क भी लगाया हुआ था।
दो दिन के दौरे पर भारत में हैं अमेरिकी नेता
भारत और अमेरिका के बीच दिल्ली में दो दिवसीय टू प्लस टू वार्ता के लिए अमेरिकी नेता आए हुए हैं। टू प्लस टू बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी रक्षा और विदेश मंत्री सोमवार को भारत पहुंच गए थे। मंगलवार को एनएसए अजीत डोभाल ने भी साउथ ब्लॉक में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर के साथ बैठक की।
भारत और अमेरिका ने BECA पर किया हस्ताक्षर
अमेरिका और भारत ने BECA समझौता (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की बीच हुई तीसरी 2+2 वार्ता में BECA पर हस्ताक्षर को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस एग्रीमेंट से सूचना साझाकरण में नए रास्ते खुलेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सैन्य सहयोग में हमारी सेना बहुत अच्छी प्रगति कर रही है। दो दिनों की बैठक में हमने अपने पड़ोसी और अन्य देशों की संभावित क्षमता निर्माण और अन्य संयुक्त सहयोग गतिविधियों पर चर्चा की। हम इस बात पर भी सहमत हुए कि नियमों और कानून पर आधारित अंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय समुद्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता, सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना आवश्यक है।