अपनी शादी को मान्यता दिलाने के लिए कोर्ट पहुंचे समलैंगिक कपल्स
नई दिल्ली। एक ही लिंग के दो समलैंगिक कपल्स ने अपनी शादी को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोनों की दलील है कि दोनों की शादी की भारतीय कानून के अनुसार स्वीकार नहीं किया जाना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। इस याचिका पर गुरुवार को जस्टिस नवीन चावला ने सुनवाई की और उन्होंने निर्देश दिया कि इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने लिस्ट किया जाए जोकि पहले से ही एक ही लिंग के दंपति की शादी के मामले पर 1955 हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सुनवाई कर रहे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
दंपति की ओर से जो याचिका कोर्ट में दायर की गई है उसमे कहा गया है कि गे मैरिज यानि समलैंगिंक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता दी जाए। इस दंपति की ओरर से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ,सुरभि धर और अरुंधति काटजू कोर्ट में पेश हुईं। गुरुस्वामी, काटजू उन वकीलों में शामिल थीं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 के मामले में कोर्ट में पेश हुई थीं, इस बेंच ने 2018 में समान लिंग के विवाह को गलत ठहराया था।
बता दें कि कोर्ट में पहली याचिका मानसिक स्वास्थ विशेषज्ञ कविता अरोड़ा, अंकिता खन्ना की ओर से दायर की गई थी। दोनों का कहना था कि वह पिछले आठ वर्षों से लिव इन रिलेशन में रह रही हैं और दोनों एक दूसरे से प्यार करती हैं, लेकिन दोनों विवाह नहीं कर सकती हैं क्योंकि वो समान लिंग की हैं। दूसरी याचिका वैभव जैन और पराग मेहता की ओर से दायर की गई है। वैभव भारत के रहने वाले हैं जबकि पराग अमेरिका में रहते हैं दोनों ने अमेरिका में 2017 में विवाह कर लिया था। लेकिन भारतीय दूतावास ने इस विवाह को रजिस्टर करने से इनकार कर दिया था। वैभव व पराग 2012 से साथ रह रहे हैं और उन्हें उनके परिवार व दोस्तों का साथ मिला है। दोनों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान उन्हें एक साथ शादीशुदा जोड़े की तरह भारत की यात्रा नहीं करने दिया गया।