MP: सांवेर सीट पर क्या फिर उगेगी तुलसी ? बगावत का हिसाब चुकता करने के लिए कांग्रेस भी है तैयार
भोपाल। मध्य प्रदेश उपचुनाव में 28 सीटों पर 3 नवम्बर को वोट डाले जाएंगे। ऐसे तो यहां पर एक-एक सीट के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है लेकिन इन सबमें ज्यादा चर्चा सांवेर (Sanver) सीट की है। इसकी वजह भी है इस बार यहां से भाजपा ने कांग्रेस और विधायकी छोड़कर आये तुलसीराम सिलावट को अपना उम्मीदवार बनाया है। छह महीने पहले जब कांग्रेस में बगावत की आंधी चली थी तो उसका पहला झोंका तुलसीराम सिलावट की तरफ से ही आया था। कहा जाता है कि सिंधिया के बाद सिलावट ही प्रमुख थे।
यही वजह है कि जहां कांग्रेस इस उपचुनाव में तुलसीराम से मिले धोखे का हिसाब पूरा करने के लिए पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू पर अपना दांव लगाया है। कभी गुड्डू और कांग्रेस साथ रहकर कांग्रेस के सिपाही हुआ करते थे लेकिन 2018 में गुड्डू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार दोनों बदली स्थितियों में आमने-सामने होंगे तो समीकरण भी बदले होंगे। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा और कांग्रेस अपने सभी पत्ते इस्तेमाल करने में लगे हैं।
सांवेर की जंग सिंधिया के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रशन है। सिलावट को सिंधिया का सिपहसालार माना जाता है। सिंधिया के भाजपा में जाने पर सिलावट ने न सिर्फ कांग्रेस छोड़ी बल्कि जोड़-तोड़ में भी आगे रहे। वहीं गुड्डू सिंधिया के प्रबल विरोधी हैं। कांग्रेस में वापस आने पर गुड्डू ने कहा कि वह सिंधिया के कारण ही कांग्रेस से भाजपा में गए थे। अब सिंधिया भाजपा में चले गए तो मैं फिर कांग्रेस में लौट आया हूं। ऐसे में ये लड़ाई सिंधिया समर्थक बनाम सिंधिया विरोध की भी है।
भाजपा
के
घर
लगेगी
कांग्रेस
की
तुलसी
?
भाजपा
कार्यकर्ता
घर-घर
तुलसी
बांटने
का
अभियान
चला
रहे
हैं
तो
चुनाव
में
कांग्रेस
का
नारा
है
बिकाऊ
नहीं
टिकाऊ
चाहिए।
सिलावट
80
के
दशक
से
क्षेत्र
में
सक्रिय
रहे
हैं
तो
गुड्डू
भी
यहां
काफी
पहले
से
हैं।
वे
1998
में
कांग्रेस
के
टिकट
पर
चुनाव
जीत
चुके
हैं।
गुड्डू
के
समर्थन
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
कमलनाथ
एक
जनसभा
कर
चुके
हैं।
वहीं
शिवराज
सिंह
चौहान
और
ज्योदिरादित्य
सिंधिया
यहां
सिलावट
के
लिए
जोर
लगा
रहे
हैं।
सिंधिया
की
प्रतिष्ठा
दांव
पर
सिलावट
के
लिए
सांवेर
क्षेत्र
बहुत
पुराना
है।
उतना
ही
पुराना
उनका
सिंधिया
परिवार
से
रिश्ता
है।
1985
में
उन्हें
पहली
बार
माधवराव
सिंधिया
ने
टिकट
दिलाया
था।
जिसमें
चुनाव
जीतकर
वे
मोतीलाल
बोरा
सरकार
में
संसदीय
सचिव
बने।
अगला
चुनाव
जो
उन्होंने
जीता
वो
2007
का
उपचुनाव
था।
कांग्रेस
के
टिकट
पर
इस
जीत
का
महत्व
इसलिए
भी
था
कि
प्रदेश
में
उस
समय
शिवराज
सिंह
चौहान
की
सरकार
थी।
इसके
पहले
2003
में
सिलावट
भाजपा
प्रत्याशी
प्रकाश
सोनकर
से
चुनाव
हार
चुके
थे।
इसके
बाद
2008
का
चुनाव
भी
सिलावट
ने
कांग्रेस
के
टिकट
पर
जीता
जिसमें
उन्होंने
प्रकाश
सोनकर
की
पत्नी
निशा
सोनकर
को
हराया।
लेकिन
2013
में
उन्हें
प्रकाश
सोनकर
के
हाथों
17
हजार
से
अधिक
वोटों
से
हार
का
मुंह
देखना
पड़ा।
2018
में
उन्होंने
सोनकर
को
2945
वोट
से
हराकर
हिसाब
बराबर
कर
लिया।
इस
दौरान
सिंधिया
के
साथ
उन्होंने
कांग्रेस
और
विधायकी
दोनों
छोड़कर
भाजपा
में
शामिल
हो
गए।
इस
बार
वे
भाजपा
के
प्रत्याशी
हैं।
गुड्डू
का
राजनीतिक
इतिहास
कांग्रेस
के
प्रेमचंद
गुड्डू
के
लिए
सांवेर
क्षेत्र
नया
नहीं
है।
1998
में
वे
भाजपा
प्रत्याशी
प्रकाश
सोनकर
को
हराकर
चुनाव
जीते
थे।
इसके
बाद
वे
आलोट
विधानसभा
चले
गए
जहां
से
कांग्रेस
के
टिकट
पर
2003
और
2008
में
विधानसभा
पहुंचे।
2009
के
लोकसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
ने
उन्हें
उज्जैन
लोकसभा
सीट
से
प्रत्याशी
बनाया
जहां
उनकी
सितारा
बुलंद
रहा
और
वे
भाजपा
नेता
सत्यनारायण
जटिया
को
शिकस्त
देकर
संसद
पहुंचे।
2013
में
एक
बार
फिर
उन्हें
टिकट
मिला
लेकिन
इस
बार
उन्हें
हार
नसीब
हुई।
अब
एक
बार
फिर
वे
कांग्रेस
के
टिकट
पर
सांवेर
विधानसभा
से
मैदान
में
हैं।
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