क्यों है तुलगकी फरमान है तेलंगाना सीएम के. चंद्रशेखर राव का फैसला
बेंगलुरू। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा टीएसआरटीसी के 48000 कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने के फैसले पर पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है। सभी राजनीतिक दलों ने एक सुर में मुख्यमंत्री के क्रूरतम फैसले की भर्त्सना करते हुए फैसले को तुगलकी फरमान ठहराया है। दरअसल, रविवार को तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (टीएसआरटीसी) के 48 हजार से अधिक कर्मचारियों को इसलिए बर्खास्त कर दिया गया, क्योंकि वो अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे।
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए टीएमआरटीसी कर्मचारी कार्पोरेशन का सरकार के साथ मर्जर की डिमांड कर रहे थे, जिससे सभी सरकारी कर्मचारी में तब्दील हो जाते, लेकिन अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने के कर्मचारियों की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए तेलंगाना सीएम ने उन्हें दो दिन के अंदर हड़ताल खत्म करने का आह्वान किया और जब कर्मचारी नहीं मानें तो सभी की बर्खास्तगी का फरमान सुना दिया।टीएसआरटीसी कर्मचारी यूनियनों की जॉइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) का कहना है कि वे सरकार की किसी धमकी से नहीं डरते हैं। जेएसी के नेताओं का दावा है कि इस हड़ताल में कार्पोरेशन के सभी 50 हजार कर्मचारियों ने हिस्सा लिया है।
गौरतलब है एक साथ 48000 कर्मचारियों की बर्खास्तगी का मामला अपने आप में अनोखा है। सीएम के चंद्रशेखर राव ने कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को अनुचित अपराध ठहराते हुए शनिवार शाम 6 बजे तक अनिश्चितकालीन हड़ताल समाप्त करने का डेड लाइन दिया था, लेकिन हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने दो दिन के प्रदर्शन को रोकने से मना कर दिया था। सीएम के मुताबिक हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों के हड़ताल के लिए त्यौहार का समय चुना है, जिस समय लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अधिक जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि टीएसआरटीसी 1200 करोड़ रुपए के भारी नुकसान से गुजर रहा है और इस लोन का बोझ 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा तक पहुंच चुका है।'
दरअसल, टीएसआरटीसी में करीब 50 हजार रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कर्मचारी करते हैं, जिसमें से 48000 कर्चमारी अपनी 26 मांगों को लेकर शुक्रवार की रात से ही स्ट्राइक पर बैठ गए थे। अचानक टीएसआरटीएस कर्मचारियों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से राज्य सरकार को त्यौहारी भीड़ से निपटने लिए 2500 बसें हायर करनी पड़ी।
इनमें से 4,114 बसों को राज्य गाड़ी की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें आरटीसी के तहत लाया जाएगा। हालांकि तेलंगाना उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने सरकार को अपनी वैकल्पिक व्यवस्था समझाने के लिए 10 अक्टूबर की समय सीमा निर्धारित की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हड़ताल के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
उल्लेखनीय है बीएसआरटीसी पर रोजाना करीब एक करोड़ से अधिक लोग यात्रा करते हैं, जिसके लिए टीएसआरटीसी की कुल 10,400 बसों का उपयोग किया जाता है, लेकिन अचानक हड़ताल से रोजाना इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों की हालत खराब हो गई है। हड़ताल के चलते एक ओर जहां पूरे राज्य की रोड परिवहन व्यवस्था चरमरा गई हैं।
वहीं, करीब 10 हजार बसें डिपो में खड़ी हैं, जिसकी वजह से यात्रियों को इधर से उधर जाने में काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के अधिकारियों ने 2100 बसें किराये पर ली हैं, जिन्हें अस्थायी ड्राइवरों के भरोसे किसी तरह सेवा चलाई जा रही है, जिसमें कुछ स्कूली बसों को भी लगाया गया है।
उधर, तेलंगाना सरकार के फैसले का विरोध करते हुए तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा 48000 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश की आलोचना करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के साथ खड़ी हैं और कर्मचारियों की लड़ाई में उनकी पार्टी उनके साथ भी देगी। इसके साथ ही उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना कांग्रेस रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को राज्य सरकार में मिलाने का समर्थन करती हैं।
जबकि बीजेपी ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर के फैसले को बेतुका बताया है, जिससे 48000 कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। बीजेपी ने कहा है कि मुद्दे को सुलझाने के बजाय मुख्यमंत्री ने तुगलक़ी फ़ैसला लिया है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि उनके इस फ़ैसले से राज्य के हालात ख़राब हो सकते हैं।
निः संदेह तेलंगाना सरकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण हैं, क्योंकि एक ओर देश में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर लगातार झटका देने वाली ख़बरें आ रही हैं, खपत और माँग में लगातार कमी हो रही है, उत्पादन तेज़ी से गिर रहा है, बेरोज़गारी 45 साल के शिखर पर है, वहां एक झटके में हज़ारों कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त किये जाने के फ़ैसले को क़तई सही नहीं ठहराया जा सकता।
बस हड़ताल के कारण पूरे राज्य की सड़कों से टीएसआरटीसी की बसें नदारद हैं. सैकड़ों यात्री बस स्टेशनों में फंस गए हैं. 10,000 से अधिक बसें बस डिपो में ही रहने के कारण दशहरा और बतुकम्मा त्योहार के लिए घर जा रहे यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के अधिकारी 2100 बसों को किराए पर लेकर अस्थायी ड्राइवरों को तैनात कर बस सेवा को जैसे-तैसे चला रहे हैं. सेवा में कुछ स्कूली बसों को भी लगाया गया है।
टीएसआरटीसी कर्मचारी यूनियनों की जॉइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) का दावा है कि इस हड़ताल में सभी 50,000 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया है. जेएसी नेताओं का कहना है कि हड़ताल पर गए कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने की सरकार की धमकी से वे नहीं डरते हैं. दरअसल, सरकार ने घोषणा की थी कि यह हड़ताल गैर-कानूनी है और जो भी कर्मचारी शनिवार शाम को काम पर नहीं आते हैं, उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
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