पश्चिम बंगाल में Covid-19 के खिलाफ लड़ाई की खुली पोल, मां का हो गया अंतिम संस्कार, बेटे को पता भी नहीं चला
नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी से करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं, अब तक विश्व में कोविड-19 से संक्रमित 36 लाख से अधिक लोगों की पुष्टि हो चुकी है। महामारी भारत में भी तेजी से बढ़ती जा रही है, देश में 42 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसी बीच पश्चिम बंगाल के कोलकाता से एक हैरान करने वाली खबर आई है जिसने हर किसी को चौंका दिया है। महामारी ने कोलकाता के मुचिपारा इलाके में रहने वाले एक 33 वर्षीय व्यक्ति का जीवन बदल दिया है।
मां के अंतिम संस्कार में नहीं होने दिया शामिल
इस बीमारी ने न केवल उसकी 70 वर्षीय मां के जीवन को छीन लिया बल्कि अपने मां के अंतिम संस्कार और अंतिम समय में साथ रहने का भी मौका नहीं दिया गया। यह सब 24 अप्रैल से शुरू हुआ जब फेफड़े की बीमारी से पीड़ित रवि (बदला हुआ नाम) की मां गंभीर रूप से बीमार हो गई थीं। उन्हें अपनी मां को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पैदल ही लेकर जाना पड़ा, जहां अस्पताल में डॉक्टरों को उनकी मां के COVID-19 संक्रमित होने का संदेह हुआ।
मां को पैदल ही ले जाना पड़ा था अस्पताल
इसके बाद डॉक्टरों ने रवि की मां को NRS अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया। नियम के अनुसार परिवार के सदस्यों को उससे मिलने की अनुमति नहीं थी। अस्पताल के वार्ड में मां के जाने के बाद एक बार भी वह उन्हें नहीं देख पाए। रवि ने बताया कि यहां तक कि हम उनके अंतिम संस्कार में भी भाग नहीं ले सके। 26 अप्रैल को अपनी मां की मृत्यु के बाद रवि स्वास्थ्य विभाग से अपने परिवार का कोरोना टेस्ट कराने के बारे में पूछने के लिए कई बार फोन किया था लेकिन आज तक उनका टेस्ट नहीं हुआ।
एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ते रहे
रवि ने बताया कि 24 अप्रैल को रवि की मां ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की तो परिवार के सदस्यों को चिंता नहीं हुई क्योंकि यह उसकी आम समस्या थी। हमारे पास घर पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं हैं, जैसे कि नेबुलाइजर और बायपैप (इलेक्ट्रॉनिक श्वास उपकरण) लेकिन उस दिन, उसकी समस्या इतनी गंभीर थी कि हम उसे लेनिन सरानी के जीडी अस्पताल ले गए। अस्पताल अधिकारियों ने उसे एमआर बांगुर अस्पताल या बेलियाघाटा आईडी अस्पताल में रेफर कर दिया।
अस्पताल ने दी कोरोना संक्रमित होने की जानकारी
रवि बताते हैं कि उस रात हम मां को अस्पताल से लेकर घर आ गए लेकिन अगली सुबह मां का ऑक्सीजन स्तर गिर गया। उन्होंने एंबुलेंस बुलाने की कोशिश की, लेकिन शाम 5 बजे तक एक भी नहीं मिली। रवि ने दोस्तों की मदद से मां को NRS में स्थानांतरित कर दिया। रवि बताते हैं कि प्रारंभिक उपचार प्रदान करने के बाद, अधिकारियों ने उन्हें बांगुर अस्पताल ले जाने को कहा क्योंकि उनके पास आवश्यक उपकरणों की कमी थी।
अस्पताल के किसी कर्मचारी ने नहीं की मदद
रवि के मुताबिक एमआर बांगुर अस्पताल पहुंचने के बाद ऑन-ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि उनके पास आवश्यक दवाएं या साधन नहीं थे। उन्होंने हमें एनआरएस में फिर से शिफ्ट करने का सुझाव दिया क्योंकि उन्हें बांगुर में कोरोना वायरस होने की आशंका थी। इसलिए, रवि ने आखिरकार अपनी मां को NRS अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करवा दिया। उन्होंने कहा कि अस्पताल के किसी भी निकाय ने हमें मेरी मां को वार्ड या बिस्तर तक ले जाने में मदद नहीं की। हमने सब कुछ अपने दम पर किया।
परिवार वालों का नहीं हुआ COVID-19 टेस्ट
25 अप्रैल को जब वह अपनी मां से मिलने गए, तो एक डॉक्टर ने उन्हें बताया कि कुछ समय पहले ही उसकी मृत्यु हुई है। रवि ने कहा, मुझे अगली सुबह फिर से अपने आधार कार्ड के साथ आने के लिए कहा गया। 28 अप्रैल को अस्पताल वालों ने बताया था कि मेरी मां का COVID-19 टेस्ट पॉजिटिव आया है, लेकिन आगे कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्हें स्वास्थ्य विभाग से एक फोर आया जिसने उन्हें कम से कम 14 दिनों के लिए घर में रहने को कहा और बताया कि परिवार के सदस्यों को COVID-19 परीक्षण से गुजरना होगा। लेकिन आज तक, सरकार से कोई भी हमारे नमूने लेने नहीं आया।
परिवार को बिना बताए किया अंतिम संस्कार
रवि का मानना है कि उनकी मां कभी घर से बाहर नहीं निकली तो संक्रमित कैसे हो सकती है, वह अस्पताल में ही संक्रमित हुई होंगी। इस बीच 2 मई को उन्हें कोलकाता नगर निगम से सूचना मिली कि उनकी मां का 29 अप्रैल को अंतिम संस्कार कर दिया गया है। रवि ने कहा, अधिकारियों ने मुझे मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए आधार कार्ड के साथ बुलाया, जब मैंने कहा, मेरे पास अस्पताल से कोई दस्तावेज नहीं था, तो मुझे बताया गया कि इसकी आवश्यकता नहीं है।