दिल्ली में ‘मॉब लिचिंग’ के वायरल वीडियो की सच्चाई: फ़ैक्ट चेक
एक लड़के की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर 'दिल्ली में धार्मिक-उन्मादी भीड़ द्वारा की गई मॉब लिंचिंग' का बताकर शेयर किया जा रहा है. इस वीडियो में दिखता है कि दाढ़ी वाले एक युवक को भीड़ ने घेर रखा है और कुछ लोग उसे लातें मार रहे हैं. जिस लड़के को पीटा जा रहा है, उसने पीठ पर बैग टांगा हुआ है और भूरे रंग का कुर्ता पहना है.
एक लड़के की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर 'दिल्ली में धार्मिक-उन्मादी भीड़ द्वारा की गई मॉब लिंचिंग' का बताकर शेयर किया जा रहा है.
इस वीडियो में दिखता है कि दाढ़ी वाले एक युवक को भीड़ ने घेर रखा है और कुछ लोग उसे लातें मार रहे हैं. जिस लड़के को पीटा जा रहा है, उसने पीठ पर बैग टांगा हुआ है और भूरे रंग का कुर्ता पहना है.
फ़ेसबुक पर कई बड़े ग्रुप्स में इस वीडियो को पोस्ट किया गया है और इसके साथ लिखा है, "दिल्ली में पुलिस की नाक के नीचे इस मुस्लिम लड़के की हत्या कर दी गई. कुछ लोगों ने एक धर्म विशेष के साथ अपनी नफ़रत ज़ाहिर करते हुए क़ारी मोहम्मद ओवैस को पीट-पीटकर मार दिया."
बीबीसी के 1500 से ज़्यादा पाठकों ने वॉट्सऐप के ज़रिये यह वीडियो हमें भेजा है और इस दावे की सच्चाई जाननी चाही है.
बीबीसी ने इस वायरल वीडियो की पड़ताल की और पाया कि ये वीडियो दिल्ली का नहीं है और ना ही वीडियो में दिखने वाले युवक की मौत हुई है.
वीडियो का हक़ीक़त
रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है कि मारपीट की यह घटना उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हुई थी.
समाचार एजेंसी एएनआई ने 26 अगस्त 2019 को एक रिपोर्ट की थी जिसके अनुसार मेरठ में चलती बस के भीतर लड़की के साथ कथित तौर पर हुई छेड़छाड़ को लेकर लोगों ने इस युवक को पीटा था.
एजेंसी की इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि भीड़ में छेड़छाड़ की शिकायत करने वाली लड़की के परिजन भी शामिल थे और बाद में इस लड़के को पुलिस के हवाले कर दिया गया था.
मेरठ पुलिस ने बीबीसी से इस बात की पुष्टि की है.
मेरठ के एसएसपी अजय कुमार साहनी ने बताया, "वीडियो में दिख रहे लड़के का नाम उमर है जो दिल्ली के नवादा का रहने वाला है. यह घटना 26 अगस्त 2019, दोपहर की है और मेरठ के ब्रह्मपुरी पुलिस स्टेशन में इस मामले को रजिस्टर किया गया है. उमर फ़िलहाल हमारी हिरासत में है. "
यूपी पुलिस के अनुसार मेरठ की इस घटना के पीछे कोई धार्मिक एंगल नहीं था. यह उत्पीड़न का एक मामला है जिसे लेकर मारपीट हुई.
पुलिस का कहना है कि वायरल वीडियो में मारपीट करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ भी पुलिस ने एक एफ़आईआर दर्ज की है और उनकी पहचान की जा रही है.
…तो क़ारी मोहम्मद ओवैस का ज़िक्र कैसे आया?
'क़ारी मोहम्मद ओवैस' लिखकर जब हमने इंटरनेट पर सर्च किया तो अंग्रेज़ी और हिन्दी की वेबसाइट्स पर 28 अगस्त 2019 को छपी कई ख़बरें सामने आईं.
इन ख़बरों के अनुसार उत्तर प्रदेश के शामली में रहने वाले 27 वर्षीय कारी मोहम्मद ओवैस के साथ पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर मारपीट हुई जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी.
इन मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा गया है कि मोबाइल के ईयरफ़ोन की क़ीमत को लेकर ओवैस और स्थानीय दुकानदारों के बीच बहस हुई तो कई दुकानदारों ने मिलकर उसे बेरहमी से पीटा जिससे ओवैस की मौत हो गई.
ओवैस के परिजनों ने अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाया है, जबकि कुछ लोग इस मामले को 'मॉब लिंचिंग' की घटना कह रहे हैं.
इस घटना के बारे में जब बीबीसी ने दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की तो उन्होंने अपनी जाँच के आधार पर 'मॉब लिंचिंग' के दावों को सिरे से नकार दिया.
दिल्ली पुलिस के एडिश्नल डीसीपी (नॉर्थ) हरेंदर सिंह ने बीबीसी के कहा, "मारपीट की यह घटना 26 अगस्त 2019 की रात की है. पुलिस को सूचना मिली थी कि रेलवे स्टेशन के बाहर कुछ लोगों ने एक युवक को पीटा है."
"पुलिस ने जाँच में पाया है कि झगड़ा किसी इलेक्ट्रॉनिक आइटम की ख़रीद को लेकर हुआ था. लेकिन दाम को लेकर क़ारी ओवैस और स्थानीय दुकानदारों में कहासुनी हुई और मामला मारपीट तक पहुँच गया. इसके बाद पुलिस क़ारी ओवैस को पास के एक अस्पताल में ले गई थी जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया."
"क़ारी ओवैस को पीटने वाले दो मुख्य अभियुक्तों की शिनाख़्त कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है. दोनों अभियुक्त जेल में हैं. इनमें से एक का नाम लल्लन है तो दूसरे का नाम सरफ़राज़ है."
हरेंदर सिंह ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ धारा-304 (ग़ैर-इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया है.