#Tripuraaelection: बंगाली वोटरों को लुभाने की कोशिश में बीजेपी
2013 में भी कांग्रेस ने दस सीटें जीती थीं वहीं 2008 में हुए चुनावों में भी 10 सीटों पर काबिज रही थी
नई दिल्ली। त्रिपुरा में आगामी 18 फरवरी को होने वाला चुनाव महासंग्राम में बदलता दिख रहा है। वामपंथियों के गढ़ में सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी सीधा मुकाबला करने को कमर कस चुकी है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में 'चलो पलटाई' (आओ, बदलाव करें) के नारे के साथ बीजेपी ने लेफ्ट और कांग्रेस दोनों को सत्ता से दूर रखने का प्लान बनाया है। बीजेपी इस बार के चुनाव में त्रिपुरा के बंगाली वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी की कोशिश है कि हर हाल में बंगाली वोटरों को कांग्रेस से दूर किया जाए जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सके।
गैर वामपंथी वोटरों पर बीजेपी की नजर
त्रिपुरा में अभी तक बंगाली वोट पारंपरिक रूप से वाम दलों और कांग्रेस द्वारा साझा किया जाता रहा है। कांग्रेस के मतदाता बड़े पैमाने पर बंगाली हैं इस बार, भाजपा ने आदिवासी इलाकों में मजबूत प्रयास किया है वहीं बीजेपी बंगाली वोटरों को कांग्रेस से दूर करने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का इसबार पूरा ध्यान गैर वामपंथी वोटरों पर है। जानकारों के मुताबिक हिंदू बंगाली वोटर्स बीजेपी की तरफ जा रहे हैं। सीपीआई-एम पर ये आरोप लगता है कि वो मुस्लिमों को ज्यादा तवज्जो देती है। अगर बीजेपी यहां के बंगाली मिडल क्लास को लुभाने में कामयाब हो गई तो इसका फायदा उसे पश्चिम बंगाल में भी मिलेगा।
कांग्रेस थोड़ी कमजोर नजर आ रही है
2013 में भी कांग्रेस ने दस सीटें जीती थीं वहीं 2008 में हुए चुनावों में भी 10 सीटों पर काबिज रही थी। लेकिन इसबार यहां कांग्रेस थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के एमएलए एसआर बर्मन पांच कांग्रेस के सदस्यों के साथ बीजेपी ज्वाइन किया है। बीजेपी में शामिल होने के तुरंत बाद बर्मन बताते हैं कि इस बार कांग्रेस के पारंपरिक वोटर वाम दल के खिलाफ हैं और वह बीजेपी के समर्थन में वोट करेंगे। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में हमेशा से ही एंटी लेफ्ट वोट दिए जाते रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि त्रिपुरा में एंटी लेफ्ट वोट बीजेपी को मिलेंगे।
'लाल' और 'भगवा' के बीच जुबानी जंग तेज
सत्ता पर काबिज होने के लिए 'लाल' और 'भगवा' के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का इसबार पूरा ध्यान गैर वामपंथी वोटरों पर है। 60 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। त्रिपुरा विधानसभा के लिए 18 फरवरी को चुनाव होगा त्रिपुरा और केरल देश में महज दो ऐसे राज्य हैं जहा लेफ्ट की सरकार है, ऐसे में त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनाव लेफ्ट की राजनीति के लिए काफी अहम है। त्रिपुरा में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ताबड़तोड़ रैलियां कर रही है और लगातार अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, पार्टी प्रदेश की माणिक सरकार की सरकार को हटाने की हर संभव कोशिश में जुटी है।
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