Tripura Election: 20 आदिवासी सीटें तय करेंगी बीजेपी की किस्मत
2015 में हुए जिला पंचायत चुनावों में मिली सफलता से भी बीजेपी की उम्मीद बढ़ी हुई है
नई दिल्ली। त्रिपुरा में अभी तक खाता तक नहीं खोल पाने वाली बीजेपी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद अहम है। राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर रही बीजेपी इस बार त्रिपुरा में अपनी दमदार उपस्थिति दिखाना चाहती है। पूर्वोत्तर में अपनी पकड़ बनाने को बेताब बीजेपी के लिए 20 आदिवासी सीटें सबसे महत्वपूर्ण रहने वाली हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शांतिर बाजार में रैली की। आपको बता दें कि 60 विधानसभा वाले त्रिपुरा की 59 सीटों पर वोटिंग रविवार को होगी।
बीते कुछ सालों में संघ और आदिवासियों के बीच कुछ तालमेल अच्छा रहा है
त्रिपुरा में आदिवासी बहुल 20 सीटों पर लेफ्ट का कब्जा है। 2013 में आदिवासियों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने नैशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) से गठबंधन किया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 1.87 पर्सेंट वोट मिले थे, लेकिन 2014 के बाद से लगातार मेहनत करके बीजेपी ने अपना संगठन मजबूत कर लिया है। त्रिपुरा में 25 सालों से सीपीएम के नेतृत्व में लेफ्ट सरकार है। माणिक सरकार 20 सालों से राज्य के मुख्यमंत्री पद को संभाल रहे हैं। माणिक सरकार की स्वच्छ छवि और माकपा का दबदबा बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि बीते कुछ सालों में संघ और आदिवासियों के बीच कुछ तालमेल अच्छा रहा है जिससे भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है।
बीजेपी की उम्मीद बढ़ी हुई है
2015 में हुए जिला पंचायत चुनावों में मिली सफलता से भी बीजेपी की उम्मीद बढ़ी हुई है। त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार कहते हैं, 'राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की हालत अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी बेहतर है। यही लोग राज्य की रीढ़ हैं। आदिवासी समुदाय से आने वाले दशरथ देब्रामा जैसे लोग राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। राज्य में एकता को किसी नेता और पार्टी द्वारा तोड़ा जाना संभव नहीं है। राज्य का विभाजन चाहने वाले लोगों के साथ बीजेपी ने गठबंधन किया है।'
लोकसभा चुनाव में मिले थे सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट
2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को त्रिपुरा में पहली बार सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट मिले थे, जो कि दूसरी बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के करीब थे। इसलिए बीजेपी को इस बार उम्मीद है कि वह त्रिपुरा में दमदार प्रदर्शन करेगी। इसके लिए पार्टी ने पिछले एक साल पहले ही कैडर बनाने के लिए अपनी रणनीति बनाई थी। पीएम मोदी की हालिया रैलियों में उमड़ी भीड़ यह बता रही है कि बीजेपी की जड़ें यहां जम रही हैं।
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