यहां 19 वर्षों से साथ मिलकर सभी त्योहार मना रहे हिंदू और मुसलमान, दुर्गा पूजा पर किया ये खास काम
नई दिल्ली। नवरात्रि त्योहार के शुभ अवसर पर देशभर में आज दशहरे की धूम है, कोरोना वायरस महामारी की वजह से फैली उदासी के बीच त्योहारों के आगमन ने देशवासियों को मन में एक नई उर्जा का संचार किया है। एक तरफ जहां देशभर से धार्मिक भेदभाव के चलते नकारात्मक खबरें आ रही हैं, वहीं पिछले 19 वर्षों से अगरतला के मोल्लापारा स्लम में रहने वाले लोग एकता और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। यहां हिंदू और मुस्लिम एक साथ मिलकर सभी त्योहार मनाते हैं।
19 वर्षों से हिंदू-मुस्लिम मिलकर कर रहे हैं पूजा
जैसा कि आप सभी जानते हैं कोरोना वायरस संकट के चलते राज्य सरकारों ने शर्तों के साथ धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति दी है। इसके बावजूद देशभर में शनिवार और रविवार को दुर्गा पूजा व दशहरे की धूम रही। लोगों ने जमकर बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार मनाया। त्रिपुरा के अगरतला में स्थित मोल्लापारा स्लम के लोगों ने भी मिलकर दुर्गा पूजा का आयोजन किया।
मोल्लापारा झुग्गी के लोग दे रहे एकता का संदेश
आपको जानकर हैरानी होगी की इस पूजा का आयोजन स्लम का हिंदू और मुस्लिम परिवार मिलकर करता है। इतना ही नहीं नवरात्रि के मौके पर हिंदुओं के साथ बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने भी दुर्गा मां की पूजा की। एकता और भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए मोलपारा स्लम में हिंदू और मुस्लिम 19 साल से एक साथ दुर्गा पूजा का आयोजन कर रहे हैं। इस बार भी, अगरतला नगरपालिका परिषद और उसके आसपास के क्षेत्रों में 59 पंजीकृत मलिन बस्तियों में से एक, मोल्लापारा झुग्गी के दो समुदायों ने खेल के मैदान तुलार मठ में एक दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित किया।
दुर्गा पूजा पंडाल के लिए 80,000 रुपए जुटाए
दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मोलपारा झुग्गी की दुर्गा पूजा समिति में 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 18 मुस्लिम और 13 हिंदू हैं। इस बार दुर्गा पूजा पंडाल के लिए समिति ने झुग्गी के बाहर के लोगों से चंदा लेने की बजाए आपस में ही पैसे इकट्ठा कर 55,000 रुपए जुटाए। कुछ संरक्षकों से मिले दान के माध्यम से पूजा के लिए 80,000 रुपए की व्यवस्था करने में कामयाब रहे, बता दें कि पिछले साल जुटाए गए 1.2 लाख रुपए से इस बार का बजट कम था।
2002 से हिंदू-मुस्लिम मिलकर कर रहे पूजा
मोल्लापारा दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष रूहिज मिया ने बताया, कोरोना वायरस संकट में वह अपने बजट के बड़े हिस्से का उपयोग मलिन बस्तियों में कल्याणकारी गतिविधियों के लिए कर रहे हैं। पंडाल में लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के सभी इंतजाम किए गए हैं, सभी मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करते है। रूहिज ने कहा, मोल्लापारा में करीब 200 विभिन्न परिवारों का निवास स्थान है, इसमें हिंदू और मुस्लिम शामिल हैं। हमने 2002 में त्योहार को मनाने और हिंसा और गलतफहमी से बचने के लिए सहयोगी पूजा की शुरुआत की थी।
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