तीन तलाक बिल के राज्यसभा में पास होने पर बोले रविशंकर प्रसाद- ये बदलते भारत की शुरुआत
नई दिल्ली: लोकसभा के बाद राज्यभा में भी मंगलवार को तीन तलाक बिल पास हो गया है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये बिल कानून का रूप लेगा। एक बार में तीन तलाक को अपराध बनाने वाले बिल को चर्चा के बाद वोटिंग के जरिए पास कर दिया गया है। इस बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े हैं। लोकसभा में ये बिल 26 जुलाई को ही पास हो गया था। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की ये सबसे बड़ी सफलता है। इस बिल में तीन तलाक को गैरकानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है।
रविशंकर बोले- बदलते भारत की शुरुआत
राज्यसभा में तीन तलाक बिल के पास होने पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज एक एतिहासिक दिन है। दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है। यह एक बदलते भारत की शुरुआत है। एनडीए की सहयोगी दल जेडीयू और एआईएडीएमके ने बिल का विरोध किया और वॉकआउट किया।
कांग्रेस ने बताया ऐतिहासिक बिल
कांग्रेस के राजबब्बर ने इस बिल पर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं समझता हूं कि ये देश के भीतर किसी भी फैमिली लॉ को लेकर एक बहुत झटका है। एक नागरिक कानून को एक आपराधिक कानून बनाया गया है। यह एक ऐतिहासिक भूल है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने राज्यसभा में इस बिल का विरोध किया। राज्यसभा में चर्चा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण के हक में हैं और हम बिल को भी कुछ बदलाव के साथ पारित कराना चाहते थे। उन्होंने कहा कि हम इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजना चाहते थे लेकिन सत्ताधारी पार्टी ने इसे खारिज कर दिया है।
सलेक्ट कमेटी पर भेजने का प्रस्ताव गिरा
तीन तलाक बिल के राज्यसभा में पास होने से पहले इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया। प्रस्ताव के पक्ष में 84 और विपक्ष में 100 वोट पड़े थे। बिल का विरोध करने वाली कई पार्टियां वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट कर गई थीं। बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी ने इसे लेकर व्हिप जारी किया था। रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि कानून के बिना पुलिस पीड़ित महिलाओं के शिकायत सुनने के लिए तैयार नहीं थी। मुस्लिम समाज बेटियों के लिए न्याय पर ही सवाल क्यों उठते हैं, यही सवाल 1986 में उठे थे और आज भी उठे हैं।
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