तीन तलाक बिल पर NDA बंटा, JDU ने की विवादित मुद्दों के लिए समन्वय समिति बनाने की मांग
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के एक महीने के अंदर पीएम मोदी की अगुवाई वाले एनडीए में दरारें दिखने लगी हैं। लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा पेश तीन तलाक बिल का एनडीए में सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने विरोध किया। अपने इस कदम का जेडीयू ने बचाव किया है। जेडीयू नेतृत्व ने कहा कि एनडीए को एक साझा एजेंडा सेट करने के लिए एनडीए की समन्वय समिति बनाने की जरूरत है।
'विवादित मुद्दों पर बातचीत के लिए मंच नहीं'
जेडीयू के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता केसी त्यागी ने इंडिया टुडे टीवी से इस संबंध में कहा कि ये अजीब है कि एनडीए में होने के बावजूद यूनिफॉर्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर सरकार का हम विरोध कर रहे हैं। ये दुखद है कि विवादित मुद्दों पर विचार करने के लिए एनडीए में कोई मंच उपलब्ध नहीं है, ना साझा न्यूनतम कार्यक्रम और ना ही समन्वय समिति।
'एनडीए ने रणनीति नहीं तय की'
केसी त्यागी ने आगे कहा कि एनडीए ने यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दों के लिए साझा रणनीति पर फैसला नहीं किया है, इसलिए हर पार्टी की अपनी लाइन है। हम आर्टिकल 370 का समर्थन करते हैं। इसे नहीं छुआ जाना चाहिए, राम मंदिर पर, यहां तक कि पीएम ने भी कहा है कि हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए, लेकिन बीजेपी के कुछ नेता कह रहे हैं कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करेंगे। ये हमारे लिए अजीब स्थिति बन गई है।
'समन्वय समिति की मांग'
जेडीयू नेता ने आगे कहा कि एनडीए के सहयोगी विभिन्न विचारधाराओं से आते हैं लेकिन सुशासन के सिद्धांत से बंधे हैं। उन्होंने समन्वय समिति की मांग करते हुए कहा कि यह सभी दलों के साथ मिलकर काम करेगी। यह आदर्श और बेहतर होगा। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में तीन तलाक बिल को पास कराना पहली चुनौती है। लोकसभा में बहुमत वाली बीजेपी को जेडीयू के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए उसे सहयोगियों की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि वहां वो बहुमत में नहीं है।
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