तीन तलाक बिल: आज एक बार फिर संसद में पेश किया जाएगा तीन तलाक बिल, कांग्रेस करेगी विरोध
नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा का पहला कार्यकाल सोमवार से शुरू हो चुका है। आज (21 जून ) को लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तीन तलाक बिल पेश करेंगे। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बिल है, जो सदन के पटल पर पेश किया जाएगा। ये बिल मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 फरवरी में जारी किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। पिछली एनडीए सरकार ने यह अध्यादेश जारी किया था।
बता दें कि, 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था। संविधान के नियमों के मुताबिक, लोकसभा में अगर कोई विधेयक पारित कर दिया जाता है और वह अगर उच्च सदन राज्यसभा में लंबित हो जाता है। विधेयक के लंबित होने की स्थिति में अगर लोकसभा भंग कर दी जाती है तो वह विधेयक भी निष्प्रभावी हो जाता है। इसी के चलते शुक्रवार को सरकार एक बार फिर से इस विधेयक को निचले सदन में पेश करने वाली है।
मोदी सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश के मुताबिक, तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। जहां एक ओऱ कई पार्टियां इस विधेयक का समर्थन कर रही हैं तो वहीं कई अन्य पार्टियां इस विधेयक का विरोध कर रही है। सपा के नवनिर्वाचित सांसद एसटी हसन का कहना है कि तीन तलाक और निकाह हलाला पर कानून बनाना शरीयत में दखलअंदाजी है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता को ठेस पहुंचेगी।
वहीं कांग्रेस ने भी इस विधेयक का विरोध करने का फैसला किया है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'तीन तलाक पर हमने कुछ बुनियादी सवाल उठाए हैं। सरकार कई बिंदुओं पर सहमत हुई है। अभी भी एक या दो बिंदु बचे हैं और उन बिंदुओं पर चर्चा की जरूरत है। हम इसका (विधेयक का) विरोध करेंगे। यहीं नहीं एनडीए की सहयोगी जेडीयू भी इस विधेयक का विरोध कर रही है।
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