हंगामे के बीच तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश, पक्ष में 186 और विरोध में पड़े 74 वोट
नई दिल्ली : शुक्रवार को हंगामे के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश किया। मोदी सरकार के अपने दूसरे कार्यकाल के पहले संसद सत्र में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत देने के लिए ये बिल पेश किया। इसी के साथ मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पेश होने वाला पहला बिल बन गया है। विपक्ष के हंगामे के बीच ये बिल लोकसभा में पेश हुआ।
वोटिंग के बाद बिल हुआ पेश
लोकसभा में ध्वनिमत से तीन तलाक बिल पेश होने का विपक्षी दलों ने विरोध किया। इसके बाद इसे पेश करने के लिए वोटिंग करानी पड़ी। बिल पेश करने के पक्ष में 186 वोट पड़े और विरोध में 74 वोट पड़े। इसके बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने इसे सदन के सामने रखा। रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश करते हुए कहा कि देश में ट्रिपल तालक के 543 मामले सामने आए है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के बाद 200 से अधिक मामले सामने आए। यह महिलाओं की गरिमा का सवाल है और हम इसे (सुरक्षित) करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कांग्रेस ने किया विरोध
तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि किसी एक समुदाय को निशाना बनाने के बजाय ऐसा समान कानून बनाया जाए, जिसमें ऐसा करने वाले सभी लोग इसके दायरे में आ सके। उन्होंने कहा कि वो तीन तलाक के खिलाफ हैं। लेकिन इस विधेयक के खिलाफ थे क्योंकि यह नागरिक और आपराधिक कानूनों को मिलाता है। थरूर ने कहा कि पत्नियों को तलाक देने के मामले में एक कानून सभी पर लागू होना चाहिए।
ओवैसी ने किया विरोध
हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक का जमकर विरोध किया। उन्होंने तीन तलाक बिल को संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि ये यह संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है। ओवैसी ने तीन तलाक के प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई आदमी गिरफ्तार हो जाता है, तो वह जेल से गुजारा भत्ता कैसे देगा। सरकार का कहना है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति इस अपराध को करता है तो विवाह बरकरार रहेगा और अगर उसे अदालत द्वारा दंडित किया जाता है तो उसे 3 साल की जेल होगी। लेकिन शादी बरकरार रहेगी! मोदी क्या कानून बना रहे हैं?