तीन तलाक बिल: AIMPLB ने स्टालिन को कहा थैंक्यू, स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की मांग
तीन तलाक विरोधी बिल 'द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' पिछले हफ्ते लोकसभा में बिना संसोधन के पास हो चुका है
नई दिल्ली। डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने तीन तलाक को फौजदारी अपराध की श्रेणी में लाने वाले विधेयक को स्थाई समिति के पास भेजने की मांग की है। स्टालिन के इस कदम की अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की सराहना की है। डीएमके की एक विज्ञप्ति के अनुसार सज्जाद नोमानी के नेतृत्व में एआईएमपीएलबी के पदाधिकारियों ने यहां स्टालिन से उनके आवास पर मुलाकात की। लोकसभा में कुछ दिन पहले तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक) को पारित किया था। यह विधेयक तीन तलाक या 'तलाक-ए-बिद्दत' को अवैध बनाता है और इसमें तीन तलाक देने वाले व्यक्ति के लिए तीन वर्ष जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। अपराध को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया गया है।
राज्यसभा में पास करवाने की चुनौती
तीन तलाक विरोधी बिल 'द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' पिछले हफ्ते लोकसभा में बिना संसोधन के पास हो चुका है। अब मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है इस बिल को राज्यसभा में पास करवाने की। कांग्रेस ने लोकसभा में इस बिल को पास करवाने के लिए भाजपा का साथ दिया हालांकि उसने इतना जरूर कहा था कि बिल में कुछ खामियां हैं जिनको ठीक करना जरूरी है। लोकसभा में तो कांग्रेस साथ थी लेकिन क्या राज्यसभा में भी वो ऐसा करेगी। बताया जा रहा है कि बुधवार को यह बिल राज्यसभा में आएगा।
कांग्रेस राज्यसभा में पार्टी अपना स्टैंड बदल सकती है
माना जा रहा है कि कांग्रेस राज्यसभा में पार्टी अपना स्टैंड बदल सकती है। दरअसल भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, ऐसे में सहयोगी दलों के साथ-साथ विपक्षी दलों का समर्थन भी उसे इस बिल को पास करने के लिए हासिल करना होगा। ऐसे में मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा नेता तीन तलाक बिल पर सहमति बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों से बातचीत में जुटे हुए हैं।
एक बार में तीन तलाक कहने को 'अपराध' बताने वाले क्लॉज को हटा दिया जाए
मोदी सरकार इसी सत्र में ही इस बिल को राज्यसभा से पारित कराना चाहती है। कांग्रेस चाहती है कि बिल में एक बार में तीन तलाक कहने को 'अपराध' बताने वाले क्लॉज को हटा दिया जाए जबकि भाजपा कोई संशोधन नहीं करना चाहती। कांग्रेस का मानना है कि बिल में किए गए प्रावधान के तहत शौहर का जेल जाना तय होगा और ऐसे में इसका असर पीड़ित महिला को मिलने वाले मुआवजे पर पड़ सकता है। साथ ही दोनों के बीच सुलह की कोशिशों को भी इससे झटका लग सकता है।
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