हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 'शादी के बाद आदिवासी महिला की नहीं बदलेगी जाति'
भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एससी-एसटी से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि अगर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की कोई महिला ऊंची जाति के पुरुष के साथ विवाह कर लेती है तो उसकी जाति नहीं बदलेगी। अगर कोई शख्स उसके खिलाफ मारपीट और गाली-गलौज करता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक , कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत उन पांच उच्च जाति के लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है। जिन्होंने एक आदिवासी महिला के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। बता दें कि महिला ने एक ब्राह्मण पुरुष के साथ शादी की है। इसमें तीन आरोपी महिलाएं हैं। बता दें कि, रंजना ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि उनके पांच पड़ोसियों ने उन्हें जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गालियां दी थी।
इस मामले में जस्टिस सुनील कुमार पालो की बेंच ने ऐसे ही एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को कोट किया, जिसमें कहा गया था, एससी-एसटी समुदाय में जन्म लेने वाली महिला अगर किसी उंची जाति के व्यक्ति से शादी करती है तो वह स्वत: ही सिर्फ शादी के आधार पर पति की जाति की नहीं मानी जाएगी। इसलिए उसे अपने पति की जाति से नहीं जोड़ा जा सकता है।
बचाव पक्ष ने इस मामले में दलील दी कि, शिकायतकर्ता रंजना उइके की जाति इस आधार पर निर्धारित होनी चाहिए कि फिलहाल उनकी पहचान क्या है? शादी के बाद उनकी पुरानी जाति छूट गई है। अब वह अपने पति की जाति का हिस्सा हो गईं इसलिए एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज ना किया जाए। उनके खिलाफ लिखाई गई एफआईआर को रद्द किया जाए।
बचाव पक्ष की इस दलील पर जस्टिस पालो ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि, रंजना शादी के बाद भी अनुसूचित जनजाति से ही संबंध रखती हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया।
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