ओला-उबर बयान पर गडकरी ने किया सीतारमण का बचाव, कही ये बात
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नई दिल्ली। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऑटो सेक्टर में मंदी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान का बचाव किया है। गडकरी ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि सीतारमण के बयान को गलत तरीके पेश किया गया था। गडकरी ने कहा कि वित्त मंत्री के बयान को गलत समझा गया। उन्होंने कहा था कि मंदी के पीछे कई वजहें हैं, ओला और उबर उन वजहों में से एक है। दरअसल सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि नई पीढ़ी नई कार की ईएमआई चुकाने की बजाय ओला और उबर जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करना पसंद कर रहे हैं।
नीतिन गडकरी ने कहा कि, पिछले कुछ महीनों में ऑटो इंडस्ट्री में लगातार गिरावट के कई कारण रहे हैं। जैसे ई-रिक्शा की सेल में बढ़ोतरी की वजह से सामान्य ऑटो रिक्शा की बिक्री कम हुई। इसके अलावा देशभर में सार्वजनिक परिवहन में बेहतरी भी मंदी की एक वजह रही है। नितिन गडकरी ने कहा कि वित्त मंत्री के बयान को गलत तरीके से समझा जा रहा है। उनके बयान के मूल भाव को समझकर उस पर खुली चर्चा होनी चाहिए।
गडकरी ने निर्मला सीतारमण का बचाव करते हुए कहा कि कोई भी नया बिजनस आता है तो इसका प्रभाव पुराने साधन पर पड़ता है। जब ई-रिक्शा आया था तो ऑटो रिक्शा पर भी उसके बिजनस का प्रभाव पड़ा था। उन्होंने कहा, 'पब्लिक ट्रांसपॉर्ट सिस्टम में हम लगातार सुधार कर रहे हैं। नई-नई सुविधाएं आती हैं तो उसका परिणाम भी होता है। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत सरकार से अनुरोध कर रहा है कि ऑटो क्षेत्र में मांग को पुनर्जीवित करने के लिए अस्थायी बढ़ावा दिया जाए।
Union Min Nitin Gadkari on Finance Min N Sitharaman's statement, ‘studies tell that millennials now prefer to have Ola/Uber': It's one of the reasons affecting automobile sector. Somewhere because of global economy,business cycle&because of demand and supply, there is a problem. pic.twitter.com/60lpwTSy8k
— ANI (@ANI) September 11, 2019
गडकरी ने कहा कि, जीएसटी दर में 10 फीसदी की कटौती की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि इस पर कोई भी फैसला जीएसटी परिषद की बैठक में लिया जाएगा। रिवहन मंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सीतारमण जी जीएसटी घटाने के लिए राज्यों से बात करेंगी। वहीं नितिन गडकरी ने कहा कि नए मोटर वाहन कानूनों के तहत भारी-भरकम जुर्माने को कम करने वाले राज्यों से उन्हें कोई समस्या नहीं है। यह उनका हक है। जुर्माने की रकम बढ़ाने का फैसला लोगों की जान बचाने के लिए लिया गया है। राज्य सरकार चाहें तो जुर्माना घटाने का फैसला कर सकती है।
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