एक रात के लिए दुल्हन बनते हैं किन्नर, जानिए फिर क्यों हो जाते हैं विधवा
नई दिल्लीः तमिलनाडु के एक गांव को किन्नरों का तीर्थ स्थल माना जाता है। इस गांव का नाम कूवगम हैं। यहां हर साल हजारों किन्नर इकट्ठे होते हैं। हमारे समाज में किन्नरों के बारे लोग अलग-अलग राय जरूर रखते हैं, लेकिन इसमें शक नहीं कि किन्नरों की दुनिया के बारे में हम सब जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। किन्नरों से जुड़े इस त्योहार के बारे में हम आपके लिए कई रोचक जानकारियां लेकर आए हैं, जो आपने शायद ही कभी सुनी होंगी।
तमिलनाडु में मनाया जाता है किन्नरों का फेस्टिवल
तमिलनाडु के हर साल कूवगम नाम का त्यौहार मनाया जाता है। किन्नरों का ये त्यौहार 18 दिनों तक चलता है। इस साल कूवगम फेस्टिवल दो मई को खत्म हुआ। इस फेस्टिवल में कई तरह के प्रोग्राम किए जाते हैं।
18 दिन तक चलता है ये उत्सव
इस फेस्टिवल की खास बात होती है कि 18 दिनों तक रोजाना सभी किन्नर रात में अर्जुन के पुत्र अरावन की पूजा के लिए मंदिर जाते हैं। सभी किन्नर महाभारत के उस अध्याय मंचन करते हैं, जिसमें भगवान कृष्ण ने मोहिनी रूप लेकर अर्जुन के बेटे अरावन से शादी की थी।
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मूर्ति से शादी करते हैं किन्नर
उसी तरह सभी किन्नर 18 दिनों के उत्सव के आखिरी दिन अरावन से एक रात के लिए शादी करते हैं। शादी के अगले दिन गांव में मूर्ति को घूमाया जाता है और बाद में इस नष्ट कर दिया जाता है।
चूड़ियों को नारियल से तोड़ दिया जाता है।
परंपरा के अनुसार शादी के दिन सभी किन्नर अर्जुन के बेटे अरावन के नाम का मंगलसूत्र धारण करते हैं और सभी दुल्हन की तरह तैयार होते हैं। दुल्हन की तरह तैयार होने के बाद दिन में जमकर नाच गाना होता है। सभी खुशी से डांस करते हैं। इसे देखने के लिए कूवगम गांव में दूर-दूर तक के लोग आते हैं। दुल्हन बनने के अगले दिन बाद ये खुद को विधवा कर लेते हैं और फिर मातम मनाया जाता है। मंगलसूत्र का काट दिया जाता है और चूड़ियों को नारियल से तोड़ दिया जाता है।
कड़ी सुरक्षा के बीच किया जाता है आयोजन
गावं में मिस इंडिया का नाम का कॉन्टेस्ट भी आयोजित किया जाता है। जो किन्नर जीत हासिल करता है उसे खूब इज्जत दी जाती है। गांव में काफी भीड़ हो जाती है, जिस कारण से दूर-दराज के लोग आते हैं। किसी भी तरह का विवाद न हो इसके लिए पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
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