रेलवे ने नहीं दिया किसान का मुआवजा, सैकड़ों यात्रियों से भरी ट्रेन को किया गया 'जब्त'
इस साल कर्नाटक में यह दूसरा मामला है, जब किसानों का मुआवजा न देने के लिए ट्रेन को रुकवा लिया गया है।
दवाणगेरे। मैसुरु जा रही सिद्धगंगा इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार सैकड़ों यात्री उस समय आश्चर्य चकित हो गए, जब कर्नाटक के हरिहर स्टेशन पर पहुंचते ही ट्रेन को 'जब्त' कर लिया गया। यह स्टेशन कर्नाटक के दवाणगेरे जिले में आता है।
दरअसल, इस ट्रेन को कोर्ट के आदेश के चलते हरिहर स्टेशन पर करीब 100 मिनट तक रोके रखा गया था। 2006 में रेलवे प्रोजेक्ट के तहत जी. शिवकुमार से जमीन ली गई थी, लेकिन उसका मुआवजा उन्हें नहीं दिया गया था।
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जी. शिवकुमार ने इसे लेकर कोर्ट में केस किया था, जिसके तहत कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए यह फैसला लिया और ट्रेन को जब्त करने के आदेश दिए, ताकि 62 वर्षीय जी. शिवकुमार को उनकी मुआवजे की रकम दी जा सके।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने मुआवजे की राशि अदा करने के लिए कुछ वक्त की मांग की, लेकिन कोर्ट स्टाफ और किसान को रेलवे अधिकारी की बात पर भरोसा नहीं था।
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ट्रेन को वहां से आगे तभी रवाना होने दिया गया, जब रेलवे की तरफ से लिखित में यह बात कही गई। रेलवे ने लिखित रूप से कहा कि वह एक सप्ताह के अंदर शिवकुमार के मुआवजे की राशि उन्हें दे देगा।
रेलवे की तरफ से शिवकुमार को 38 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाना है, लेकिन रेलवे अपनी जिम्मेदारी से भागता रहा। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सीनियर डिवीजनल मजिस्ट्रेट सुभाष बांदू होसकले ने ट्रेन को जब्त करने का आदेश दे दिया।
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आपको बता दें कि रेलवे ने ट्रैक बिछाने के लिए 1991 में 100 किलोमीटर की लंबाई के लिए चित्रदुर्ग और रायदुर्ग में जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसके लिए करीब 300 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था।
इस प्रोजेक्ट के तहत ली गई जमीनों में से करीब 100 किसानों का पैसा अब तक उन्हें नहीं मिल सका है। आपको बता दें इस साल कर्नाटक में यह दूसरा मामला है, जब किसानों का मुआवजा न देने के लिए ट्रेन को रुकवा लिया गया है।