VHP की दो टूक- अध्यादेश की नौबत आई तो काशी-मथुरा के लिए भी होगा रण
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नई दिल्ली। राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में धर्मसभा बुलाई थी जहां लाखों की संख्या में रामभक्त पहुंचे थे। धर्मसभा में विहिप ने कहा कि मुस्लिम अपना दावा छोड़ें, अगर अध्यादेश लाना पड़ा तो मथुरा-काशी और बाकी अन्य मंदिरों के लिए भी यही प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने नागपुर में मोदी सरकार को मंदिर मुद्दे पर चेतावनी दी। मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए कानूनी राह अब तय होनी चाहिए। वहीं, आरएसएस के सह कार्यवाह कृष्णगोपाल ने कहा कि संतों का जो भी निर्णय होगा वो संघ को मान्य होगा।
'अयोध्या में राम मंदिर के अलावा किसी और चीज से समझौता नहीं'
विहिप नेताओं ने अयोध्या, नागपुर,मंगलुरु, हुबली, गुवाहाटी और शाहजहांपुर में आयोजित धर्म संसद में अपील करते हुए कहा कि सरकार को मंदिर निर्माण की राह में सभी बाधाओं को दूर करना चाहिए। विहिप उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि राम जन्मभूमि का बंटवारा मंजूर नहीं है और एक इंच जगह भी नहीं दी जाएगी। अयोध्या में राम मंदिर के अलावा किसी और चीज से समझौता नहीं किया जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट के रवैये पर साधु-संतों में आक्रोश
विहिप ने इस मुद्दे पर कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि मंदिर को लेकर कानून नहीं बनाया जा सकता है। संसद लोगों की भलाई के लिए ही है। जबकि लंबे समय से राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहीं साध्वी रितंभरा ने कहा कि राम मंदिर मुद्दे पर कोर्ट का रवैया ठीक नहीं है। धर्मगुरुओं ने चेताया कि अगर अध्यादेश लाना पड़ा तो ये अयोध्या ही नहीं काशी और मथुरा के लिए यही प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जबकि रामभद्राचार्य ने एक कैबिनेट मंत्री का हवाला देते हुए कहा कि आदर्श आचार संहिता खत्म होने के बाद सरकार मंदिर को लेकर बड़ा फैसला करेगी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी खुद इस बैठक में मौजूद रहेंगे।
संघ ने कहा- कानून बनाए सरकार
विहिप ने मुस्लिम पक्षकारों से कहा कि राम जन्मभूमि स्वेच्छा से हिंदुओं को दे दें। हथियाई जमीन पर पढ़ी हुई नमाज कबूल नहीं होगी। मंदिर की जमीन हथियाकर उस पर सालों तक पढ़ी हुई नमाज कबूल नहीं हुई है। साथ ही सरकार को भी अपना वादा याद दिलाते हुए कहा कि जब संवैधानिक संस्थाएं टालमटोल रवैया अपनाएं तो विधायिका को आगे आना चाहिए। संघ प्रमुख ने भी फैसले में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रवैये पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट की वरीयता में ये मुद्दा नहीं है तो सरकार को आगे आकर इसके लिए कानून बनाना चाहिए। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि राम मंदिर के लिए संसद के जरिए कानून बनना चाहिए।