वो 6 नाम, जिन्हें राष्ट्रपति पद के लिए पीएम मोदी बिल्कुल नहीं चुनेंगे!
देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव की रेस से यह पांच नाम हो सकते हैं रेस से बाहर, जुलाई माह में होना है अगले राष्ट्रपति का चुनाव
नई दिल्ली। देश में अगले राष्ट्रपति के नाम को लेकर सत्ता और विपक्ष दोनों ही में जबरदस्त मंथन चल रहा है। एक तरफ जहां मोदी सरकार अपनी पसंद के राष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए पूरी ताकत झोंक रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ ऐसा उम्मीदवार सामने लाना चाहता है जिसको नजरअंदाज करना आसान नहीं हो। अभी तक के हालात पर नजर डालें तो नरेंद्र मोदी काफी मजबूत नजर आ रहे हैं और वह अपनी पसंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार को राष्ट्रपति भवन भेजने की स्थिति में दिख रहे हैं।
द्रौपदी मुरमू हो सकती हैं अगली राष्ट्रपति
जुलाई माह में होने वाले चुनाव में पीएम मोदी के पक्ष में नंबर दिख रहे हैं, लिहाजा माना जा सकता है कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल खत्म होने के बाद राष्ट्रपति भवन में मोदी की पसंद का ही उम्मीदवार पहुंचेगा। हालांकि इस लिस्ट में कई नामों पर चर्चा की गई और इस रेस में सबसे आगे झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुरमू का नाम है। सूत्रों की मानें को द्रौपदी मुरमू के नाम पर पीएम मोदी की मुहर लग चुकी है। अगर द्रौपदी मुरमू को अगला राष्ट्रपति चुना जाता है तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।
कई नामों पर हुई थी चर्चा
द्रौपदी मुरमू के अलावा कई अन्य नामों पर भी चर्चा हुई जिसने मीडिया की सुर्खियां बटोरी है। इन नामों में प्रणव मुखर्जी, एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अमिताभ बच्चन, नजमा हेपतुल्ला, सुषमा स्वराज, मोहन भागवत रहे, जिनको लेकर चर्चा की गई और ये सुर्खियों मे रहे। लेकिन इन सबके बीच यह जानना काफी अहम है कि इनमें से किन नामों को पीएम मोदी देश के अगले राष्ट्रपति के तौर पर नहीं चुनना चाहेंगे।
मोहन भागवत
मोहन भागवत का नाम देश के अगले राष्ट्रपति के तौर पर मीडिया में आने के बाद खुद मोहन भागवत ने आगे आकर कहा था कि वह इस रेस में नहीं हैं। लेकिन खुद प्रधानमंत्री भी चाहेंगे कि वह आरएसएस को किसी भी विवाद से दूर रखे। इसके अलावा पीएम मोदी चाहेंगे कि राष्ट्रपति भवन में ऐसा उम्मीदवार पहुंचे जो उनकी बात को सुने।
नजमा हेपतुल्ला
नजमा हेपतुल्ला का नाम भी राष्ट्रपति के पद के लिए रेस में है। वह मौजूदा समय में मणिपुर की राज्यपाल हैं, खुद नजमा हेपतुल्ला ने इस बात की इच्छा जाहिर की है कि वह देश का अगला राष्ट्रपति बनना चाहती हैं। उन्होंने यह बात 2016 में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से कही थी। लेकिन उनके खिलाफ जो बात जाती है वह यह कि वह मुख्य रूप से कांग्रेस की नेता हैं, उन्होंने 2004 में भाजपा का दामन थामा है, ऐसे में पीएम मोदी उनके नाम से दूरी बनाए रखना चाहेंगे।
अमिताभ बच्चन
बॉलिवुड के मेगा स्टार अमिताभ बच्चन एक ऐसे उम्मीदवार हो सकते हैं जिनके नाम पर सभी दल अपना समर्थन दे सकते हैं। ऐसा माना जा रहा था कि अमिताभ बच्चन के नाम पर अंतिम मुहर भी लग सकती है। पीएम मोदी के साथ बच्चन की अच्छा तालमेल भी उनके पक्ष में जा रहा था और वह स्वच्छ भारत अभियान का प्रचार भी करते हैं। लेकिन जिस तरह से उनका नाम पनामा पेपर में आया था उसके बाद उनके नाम को आगे बढ़ाने से मोदी बचना चाहेंगे।
प्रणव मुखर्जी
पीएम मोदी की प्रणव मुखर्जी के नाम से कोई समस्या नहीं दिख रही है। पीएम मोदी और प्रणव मुखर्जी के बीच बेहतर संबंध रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि प्रचंड़ जीत के बाद मोदी सरकार क्यों कांग्रेस उम्मीदवार को राष्ट्रपति का पद देगी, वह भी ऐसे वक्त में जब भाजपा अपनी पसंद के उम्मीदवार को राष्ट्रपति भवन में भेज सकती है।
एलके आडवाणी
पीएम मोदी खुद इस बात को कह चुके हैं कि लाल कृष्ण आडवाणी को देश का अगला राष्ट्रपति बनाना उनके लिए एक गुरु दक्षिणा होगी। हालांकि अभी तक इस बारे में कुछ भी निर्णायक नहीं कहा गया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या आडवाणी और मोदी के बीच बेहतर संबंध है। आडवाणी के लिए जो बड़ी मुश्किल है वह यह कि उनके खिलाफ बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा चलाने को कहा है, यह उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है।
मुरली मनोहर जोशी
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मुरली मनोहर जोशी का नाम भी रेस में है। लेकिन जिस तरह से मुरली मनोहर जोशी ने 2014 में गोवा मीट में नरेंद्र मोदी की दावेदारी का विरोध किया था वह उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। हालांकि आरएसएस जोशी के नाम के लिए तैयार भी है लेकिन बड़ी बात यह है कि क्या पीएम मोदी 2014 की गोवा मीट को भूल पाए हैं। लेकिन इसके अलावा बाबरी मस्जिद में जोशी के खिलाफ मामला चलाए जाने के आदेश के बाद उनकी दावेदारी काफी कमजोर हो गई है।