साल 2014 में घाटी में आई भयावह बाढ़ से आंखे हुई नम
नयी दिल्ली। साल 2014 खत्म होने ही वाला है। इस साल जम्मू कश्मीर में में आई भीषण बाढ़ ने लोगों के आंखों में आंसू ला दिए। सैकड़ों लोग मारे गए, कितने ही गांवों का नामो-निशान मिट गया। वहीं चक्रवाती तूफान ने देश के तटीय इलाकों में खूब तबाही मचाई। कई लोग इस तबाही में मारे गए तो कई लापता हो गए। कई घर से बेघर हो गए। साल 2014 में कई प्रकृतिक आपदाओं ने हमें तबाह करने की कोशिश की। आपको तस्वीरों के जरिए दिखाते है उन दर्दनाक हादसों और तबाही को जिन्होंने साल 2014 में हमारी आंखों में आंसू ला दिए।
बदल गई घाटी की सूरत
इस साल सितंबर में जम्मू कश्मीर ने कई दशकों के बाद भयावह बाढ़ ने घाटी की सूरत बदल दी। करीब 300 लोगों की जान चली गई। बाढ़ की विभीषिका से श्रीनगर बुरी तरह प्रभावित हुआ।
तूफान से तबाही
चक्रवाती तूफान हुदहुद 12 अक्टूबर को विशाखापत्तनम तट से टकराया. इसके साथ ही तेज हवाओं के साथ हो रही भारी बारिश ने तबाही मचानी शुरू कर दी। आंध्र प्रदेश में हुदहुद के कारण 5 से अधिक लोगों की जान चली गई। उससे पहले अक्तूबर माह में आंध्रप्रदेश और ओडिशा में हुदहुद चक्रवात के कारण कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई।
100 से ज्यादा की मौत
पुणे के मालिण गांव में भूस्खलन के कारण भारी तबाही मची। 30 जुलाई देर रात भारी बारिश के कारण भूस्खलन में 100 से ज्यादा लोग मारे गए। जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो गए।
सरकार भी बेबस
असम और मेघालय में भीषण बाढ़ में 80 से अधिक लोगों की जान चली गई। बाढ़ और भूस्खलन ने मेघालय को लगभग 1500 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ।
ओड़िसा में फैलिन
ओड़िशा के तटवर्ती इलाकों को फैलिन तूफान का सामना करना पड़ा। हलांकि ये तूफान इतनी ताबही नहीं मचा पाया, लेकिन लोगों को भारी परेशानियों को खासकर मछुवारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
तूफान के बाद बाढ़
फैलिन तूफान का सामना करने के बाद ओडिशा को बाढ़ का सामना करना पड़ा। बालासोर और मयूरभंज जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बाढ़ से करीब 2.5 लाख लोग बेघर हो गए हैं।
बाढ़ से ग्रामीण हुए उग्र
गंगा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से बिहार के कई गावों में पानी घुस गया। जिसके कारण करीब 10 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हो गए। इस बाढ़ के बाद सरकार के सुस्त राहत कार्य से नाराज गांव वाले उग्र हो गए।