Toolkit Case: मीडिया रिपोर्टिंग, पुलिस और नागरिक अधिकार, हाईकोर्ट ने दिशा की याचिका पर क्या कहा ?
Toolkit Case: नई दिल्ली। टूलकिट मामले में गिरफ्तार एक्टविस्ट दिशा रवि की याचिका पर तीन न्यूज चैनलों को नोटिस दिए जाने के एक दिन बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सनसनीखेज रिपोर्टिंग को लेकर भी टिप्पणी की है। बैंगलुरु की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को जिस टूलकिट केस में गिरफ्तार किया गया है जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया था। दिशा रवि पर आरोप हैं कि वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने ये टूलकिट ग्रेटा थनबर्ग के साथ शेयर की थी जिसमें किसान आंदोलन को लेकर भारत की छवि बिगाड़ने के बारे में योजना भी शामिल थी।
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दिशा रवि ने मीडिया चैनलों पर लगाया था आरोप
दिशा रवि ने गिरफ्तारी के बाद कुछ न्यूज चैनलों पर उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण और सनसनीखेज रिपोर्टिंग का आरोप लगाया था और दिल्ली पुलिस को उनके फोन या चैट में हुई तीसरे पक्ष के साथ निजी बातचीत को लीक करने से रोकने की मांग की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की सशर्त अनुमति दी थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली पुलिस शिकायतकर्ता के किसी अधिकार का उल्लंघन किए बिना अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकती है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस से किसी भी तरह का दस्तावेज लीक न किए जाने को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा था।
साथ ही हाईकोर्ट ने 22 वर्षीय कार्यकर्ता को 'ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वह पुलिस और दूसरी एजेंसियों की किसी भी तरह से बदनाम करने का प्रयास नहीं करेंगी।' दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि दिल्ली पुलिस को बदनाम करने, दोषी ठहराने और पुलिस पर दबाव बनाने के लिए ये याचिका डाली गई है।
कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग के लिए दिया निर्देश
दिशा रवि की याचिका पर हाईकोर्ट ने तीन न्यूज चैनलों न्यूज 18, इंडिया टुडे और टाइम्स नाउ के खिलाफ नोटिस जारी किया था। दिशा ने इन चैनलों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनकी कथित चैट्स को पब्लिश करके केबल टीवी नेटवर्क के नियमों का उल्लंघन किया है। रवि ने कहा था कि वह पूर्वाग्रह ग्रस्त गिरफ्तारी और उनके मीडिया ट्रायल से काफी दुखी हैं।
दिशा की याचिका पर कोर्ट ने मीडिया को मामले की रिपोर्टिंग के बारे में भी निर्देशित किया है। कोर्ट ने कहा "मीडिया हाउस यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा प्रसारित / टेलीकास्ट सामग्री पुष्ट और प्रामाणिक स्रोतों से हो। संपादकीय टीम ये सुनिश्चित करेगी कि केवल सत्यापित सामग्री ही प्रसारित की जाए।" कोर्ट ने आगे कहा "हालांकि एक पत्रकार को स्रोत प्रकट करने के लिए नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्रोत को प्रामाणिक और सत्यापन योग्य होना चाहिए।" दिल्ली पुलिस का दावा है कि उसने कुछ भी लीक नहीं किया है जबकि मीडिया इसके विपरीत दावा कर रहा है।
संप्रभुता और नागरिक अधिकारों में संतुलन की जरूरत- कोर्ट
अदालत ने कहा कि "निजता का अधिकार, देश की संप्रभुता और अक्षुण्णता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित किए जाने की जरूरत है। हाल में किया गया कवरेज स्पष्ट रूप से ये दिखाता है कि मीडिया घरानों द्वारा सनसनीखेज और पक्षपातपूर्ण पत्रकारिता की जा रही है। जबकि प्रेस वार्ता आम तौर पर की जाती है ऐसे में मीडिया इस तरह सनसनीखेज तरीके से सूचनाएं नहीं फैला सकता है।"
कोर्ट ने न्यूज चैलनों को संपादकीय नीति और नियमों का पालन करने को कहा है जिससे किसी भी तरीके से जांच प्रभावित न हो सके। अदालत ने कहा कि सभी पक्षों अपना पक्ष रखने और जवाब देने के लिए उचित समय देने की जरूरत होगी।
दिशा रवि की याचिका पुलिस को बदनाम करने, जांच एजेंसी पर दबाव बनाने का प्रयास: दिल्ली पुलिस