टूलकिट केस : दिल्ली कोर्ट से शांतनु मुलुक को राहत, 9 मार्च तक गिरफ्तार पर रोक
नई दिल्ली: किसान आंदोलन से जुड़े टूलकिट मामले के तीन मुख्य आरोपियों में से एक एक्टिविस्ट शांतनु मुलुक को दिल्ली कोर्ट से राहत मिली है। आरोपी को पटियाला हाउस कोर्ट ने 9 मार्च तक गिरफ्तारी से सुरक्षा दे दी। दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए मुलुक की याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा है। मुलुक पर जलवायु कार्यकर्ता दिश रवि और निकिता जैकब के साथ किसान आंदोलन से जुड़ा टूलकिट शेयर करने का आरोप लगे थे। पुलिस के मुताबिक तीनों ने ऑनलाइन टूलकिट बनाया था और इसे एडिट कर दूसरों को शेयर किया था।
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कोर्ट ने पुलिस को उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है, उसकी याचिका पर सुनवाई 9 मार्च के लिए स्थगित कर दी। अपनी याचिका में कोर्ट को बताया कि उन्होंने आंदोलन के बारे में जानकारी के साथ केवल टूलकिट का निर्माण किया, जिसे बाद में उनकी जानकारी के बिना दूसरों ने एडिट किया था।
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मुलुक के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसको 16 फरवरी को बॉम्बे हाई कोर्ट से 10 दिनों की अवधि के लिए ट्रांजिट जमानत मिली थी। ऐसे ही मुंबई की एक वकील निकिता जैकब को भी जमानत दी गई थी। शांतनु मुलुक और निकिता जैकब इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली पुलिस के साइबर सेल कार्यालय में जांच में शामिल हुए थे। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि मुलुक और निकिता जैकब ने खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीजेएफ) के साथ मिलकर 'टूलकिट' बनाने और फैलाने की साजिश रची थी।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक किसानों के विरोध के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा से 15 दिन पहले 11 जनवरी को खालिस्तानी समूह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन की एक जूम मीटिंग में हिस्सा लिया था। पुलिस ने कहा है कि तीनों (दिशा रवि, वकील निकिता जैकब और शांतनु) ने टूलकिट को दूसरों के साथ बनाया और शेयर किया, जिसे बाद में वैश्विक जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग ने ट्विटर पर साझा किया था।