जब 'निजी जिंदगी का अधिकार' मिल गया....
बेंगलुरू। अगर हम भारत में रहते हैं और आजाद ख्याल रखते हैं तो आज का दिन नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि आज ही का दिन हमारा जीवन सबसे ज्यादा महत्व रखता है। आज ही के दिन हमें हमारे आजाद अधिकार मिले थे। समाज को कानूनन हक मिला की वह देश की आबो-हवा में खुलकर सम्मान के साथ जी सके।
आज
ही
के
दिन
यानी
26
नवम्बर
1949
को
संविधानसभा
ने
भारतीय
कानून
को
सहमति
दी
थी।
संविधान
सभा
ने
देश
के
कानून
को
पारित
कर
दिया
था।
जिसमें
हमें
शोषण
से
मुक्ति
का
अधिकार,
निजी
जीवन
की
गुप्तता
का
अधिकार,
स्वतंत्र
वातावरण
में
काम
करने
का
अधिकार,
स्वतंत्र
रूप
से
लिखने
का
अधिकार,
स्वतंत्र
रूप
से
बोलने
का
अधिकार
मिल
गया
था।
क्या है निजी जिंदगी का अधिकार
भारतीय कानून के मुताबिक निजी जिंदगी का अधिकार यानी निजी जीवन या कहें व्यक्तिगत चीजों से जुड़े हक, अधिकाऱ। अगर कोई बाहरी व्यक्ति किसी व्यक्ति की निजी जीवन प्रभावित करता है, या किसी बाहरी व्यक्ति की तरफ से किए जा रहे कार्य से किसी की निजी जिंदगी प्रभावित होती है तो इस पर कानून के सेक्शन 43A के तहत उल्टी कार्रवाई हो सकती है। यानी जेल।
यह भी है निजी अधिकार
अगर बिना किसी ठोस सबूत के किसी भी व्यक्ति की निजी जिंदगी को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही हो तो इसके खिलाफ भी कार्रवाई के प्रावधान हैं।
जसूसी करने पर कार्रवाई का प्रावधान
आर्टिकल 21 के तहत अगर साइबर तकनीक की मदद से किसी की निजी जिंदगी की जासूसी करने पर कार्रवाई के प्रावधान हैं।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
आर्टिकल 19 (1) A में हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मिला हुआ है। अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए कोई व्यक्ति अगर अपने भावनाएं लिखकर, बोलकर या किसी वजह से व्यक्त करता है तो इसका उसे अधिकार है। साथ ही अगर अभिव्यक्त की गई भावना से कोई आहत महसूस करता है तो यह बातें स्वस्थ बातचीत से पहले सुलझा लेनी चाहिएं।