तंबाकू खाने से कैंसर नहीं होता है, सारे सर्वे और शोध विदेशी हैं
नई दिल्ली। आपने जबसे होश संभाला होगा तबसे यही सुना होगा कि तंबाकू खाने से कैंसर होता है। सिनेमा हॉल से लेकर, तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर भी यही लिखा होता है कि तंबाकू खाने से कैंसर होता है। लेकिन आपको सुनकर थोड़ी हैरानी होगी कि किसी भी भारतीय सर्वे और शोध में इस बात की पुष्टि नहीं होती कि तंबाकू खाने से कैंसर होता है।
तंबाकू
खाने
से
कैंसर
नहीं
होता
आपको बता दें कि 1 अप्रैल से तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर छपने वाली चेतावनी खत्म हो रही है। देशभर के कई तंबाकू उत्पाद निर्माता कंपनियों ने इस वैधानिक चेतावनी का विरोध किया है। वहीं इन तंबाकू निर्माता कंपनियों का दवाब संसदीय कमेटी पर भी साफ देखने को मिला। संसदीय पैनल का ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत का कोई भी शोध यह नहीं साबित करता है कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर होता है।
तंबाकू
उत्पादों
पर
चेतावनी
का
फोटो
बड़ा
नहीं
होना
चाहिए
संसदीय पैनल के अध्यक्ष दिलीप गांधी ने कहा है कि भारत के इस शोध को भी महत्व देना चाहिए। गांधी ने का कहना है तंबाकू उत्पादों पर चैतावनी की फोटों को बड़ा करने से पहले सरकार को भारतीय शोध बात पर ध्यान रखना चाहिए। गांधी महाराष्ट्र से भाजपा के विधायक हैं। नये नियमों के अनुसार वर्तमान में 40 फीसदी से बढ़ाकर 85 फीसदी वैधानिक चेतावनी की फोटो को करने की बात कही गयी है।
सभी
सर्वे
और
शोध
विदेशी
हैं
गांधी का कहना है कि भारत के किसी भी सर्वे या रिपोर्ट में यह बात सामने नहीं आती है कि तंबाकू खाने से कैंसर होता है। हालांकि उन्होंने कहा कि मेरा यह कहना बिल्कुल नहीं है कि तंबाकू खाने से नुकसान नहीं होता है लेकिन इससे कैंसर होने की बात पर मेरा समर्थन नहीं है। उन्होंने कहा कि तंबाकू खाने से कैंसर होने के सारे सर्वे और शोध विदेशों में किये गये थे।
राज्य
और
केंद्र
सरकार
के
स्वास्थ्य
बजट
से
भी
ज्यादा
होती
है
तंबाकू
उत्पाद
से
कमाई
गांधी
ने
कहा
कि
हमे
इस
बात
का
खयाल
रखना
चाहिए
कि
मध्य
प्रदेश,
आंध्र
प्रदेश,
छत्तीसगढ़,
में
4
करोड़
से
अधिक
लोग
बीड़ी
बनाने
के
काम
से
जुड़े
हैं।
गौरतलब
है
कि
दुनियाभर
में
भारत
में
मुंह
के
कैंसर
के
सबसे
ज्यादा
75000-80000
मरीज
हैं।
डब्ल्यूएचओ
की
संस्था
की
रिपोर्ट
की
मानें
तो
भारत
में
1045000
करोड़
रुपए
का
तंबाकू
उत्पाद
का
कारोबार
है।
जोकि
भारत
सरकार
और
राज्य
सरकारों
के
स्वास्थ्य
बजट
के
कुल
खर्च
से
भी
12
फीसदी
ज्यादा
है।