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नाराज जाटों को लुभाने के लिए बीजेपी खेलने जा रही है बड़ा दांव

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नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां जैसे-जैसे तेज हो रही हैं वैसे-वैसे राजनीतिक दल सामज के अलग-अलग तबकों को लुभाने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है। 2014 में उसे यहीं अकेले 71 लोकसभा सीटें मिली थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को यहां बड़ी सफलता मिली। बीजेपी जानती है कि 2019 में केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरेगा इसलिए वो पूरी ताकत झोंक देना चाहती है लेकिन हाल फिलहाल की परिस्थितियों के चलते उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए रास्ता आसान नहीं रह गया है। इसका एक नजारा गोरखरपुर, कैराना और नूरपुर के उपचुनाव में दिख चुका है जहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों में नारजगी है। दलित भी 2014 की तरह बीजेपी के साथ खड़ा होता नहीं दिख रहा है। पश्चिमी यूपी के समीकरणों पर अब बीजेपी खास ध्यान दे रही है यहां मुसलमानों के बाद जाट समुदाय की सबसे बड़ी आबादी है और जाट अपने लिए आरक्षण की मांग करते रहे हैं और ये ना होने के चलते उनमें नाराजगी है। अब यूपी की योगी सरकार जाटों को लुभाने के लिए बड़ा दांव खेलने जा रही है। खबर है की राज्य सरकार जाट समुदाय को आरक्षण देने के पक्ष में है।

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जाट आरक्षण का समर्थन
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के तहत ही जाट समुदाय को आरक्षण देने का पक्ष लेने पर विचार कर रही है। सरकार जाटों को आरक्षण की सुविधा देने के लिए सभी संभव कदम उठाने की बात कह रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी जाट आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं। राज्य सरकार कह रही है कि वो समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान जाट आरक्षण के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर केस को लड़ेगी। योगी आदित्यनाथ जाट समुदाय से भाजपा के लिए मतदान करने की अपील कर रहे हैं क्योंकि जाटों ने 2014 में लोकसभा और फिर 2017 के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी का ही साथ दिया था।

क्यों हैं जाट नाराज

क्यों हैं जाट नाराज

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जो खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं, उन्होंने जाट समुदाय को आश्वासन दिया है कि जाटों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। सरकार एसटी/एसटी अधिनियम के तहत किसी के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करने की अनुमति नहीं देगी और इस एक्ट के तहत किसी को प्रताड़ित नहीं किया जाएगा। जाट समुदाय के बीच कई चीजों को लेकर नारजगी है इसमें दो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण ना दिया जाना और सरकार द्वारा समुदाय के खिलाफ केसों को वापस ना लेना शामिल है। जाट समुदाय में नाराजगी बढ़ रही है और इसका एक उदहारण तब देखने को मिला जब फतेहपुर सीकरी के भाजपा सांसद चौधरी बाबू लाल ने ये तक कह दिया की ना सिर्फ सरकार बल्कि पार्टी नेतृत्व भी जाटों के साथ किए वादों को नहीं निभा रहा है। ना तो प्रधानमंत्री और ना ही पार्टी अध्यक्ष ने अपने वादे पूरे किए हैं और राज्य में भी बीजेपी सरकार बने एक साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है।

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आरएलडी पसार रही पांव

आरएलडी पसार रही पांव

सूत्रों का कहना है कि जाट समुदाय कुछ उम्मीदों के साथ बीजेपी के साथ खड़ा हुआ था लेकिन उसकी सारी उम्मीदें सिर्फ उम्मीदें ही रह गईं। दूसरी ओर राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने एक बार फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है जिससे भी भाजपा चिंतित है। कैराना लोकसभा उपचुनाव में आरएलडी प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने बड़ी जीत हासिल की थी। इसलिए अब बीजेपी जाटों को अपने साथ रखने के लिए आरक्षण का दांव खेलना चाहती है। जाट मतदाता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने धन बल और जनसंख्या बल के हिसाब से बड़ी ताकत हैं और कोई भी राजनीतिक दल उन्हें अनदेखा नहीं कर सकता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों का दबदबा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों का दबदबा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जाटलैंड के नाम से जाना जाता है। यहां जाट समुदाय चौधरी अजीत सिंह के साथ खड़ा होता रहा है लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों और फिर 2017 के विधानसभा चुनावों में जाटों ने बीजेपी का साथ दिया। जाट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 27 फीसदी मुसलमान वोटरों के बाद 17 फीसदी वोटों के साथ सबसे बड़े निर्णायक वोटर हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट गुर्जर और त्यागी तीन ऐसी जातियां हैं जो हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों में पाई जाती हैं। मुस्लिम बने जाटों को मूला जाट, मुस्लिम बने त्यागी को महेसरा और मुस्लिम बने गुर्जर को पोला कहा जाता है। यहां के 10 से जयादा जिलों में जाट आबादी 40 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसे में जाट कम से कम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो किसी भी पार्टी के राजनीतिक समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं।

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English summary
To take Jats in its fold, BJP leaders are trying to play reservation card.
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