TMC ने विपक्ष को दिया झटका, उपराष्ट्रपति चुनाव में नहीं डालेगी वोट, लगाए ये आरोप
कोलकाता, 21 जुलाई: राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार करारी हार की ओर बढ़ रहा है और इसी बीच विपक्षी कुनबे को एक और बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की भूमिका सबसे अहम रही थी। लेकिन, उपराष्ट्रपति चुनाव में उनकी पार्टी ने विपक्षी नेताओं पर उम्मीदवारी तय करने में उसे भरोसे में नहीं लेने का आरोप लगा दिया है। पार्टी ने कहा कि ना तो उससे कुछ भी पूछा गया और ना ही कोई चर्चा की गई। इसलिए उसके सांसद वोट ही नहीं डालेंगे।
उपराष्ट्रपति चुनाव में गैर-हाजिर रहेंगे टीएमसी के सांसद
तृणमूल कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया है कि विपक्षी उम्मीदवार पर फैसला करते हुए उनकी पार्टी को भरोसे में नहीं लिया गया और जिस तरह से उम्मीदवारी तय की गई है, उससे उनकी पार्टी सहमत नहीं है। रविवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की अगुवाई में 17 विपक्षी दलों ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और राजस्थान-उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया था।
हमें भरोसे में नहीं लिया गया- टीएमसी
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि, 'हम टीएमसी को भरोसे में लिए बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा करने की प्रक्रिया से असहमत हैं। हमसे न तो कोई सलाह ली गई और न ही हमसे किसी बात को लेकर चर्चा ही की गई। इसलिए हम विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते हैं।' गौरतलब है कि पिछले रविवार को पवार के घर हुई बैठक में टीएमसी का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा था और पार्टी ने बाद में अपना रुख स्पष्ट करने की बात कही थी। जबकि, पवार ने दावा किया था कि टीएमसी और आम आदमी पार्टी का भी उन्हें समर्थन मिलेगा। लेकिन, अल्वा के नामांकन से भी टीएमसी ने दूरी बनाए रखी।
धनकड़ को समर्थन देने का सवाल ही नहीं- तृणमूल
हालांकि, जब बनर्जी से एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ को समर्थन देने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'एनडीए के उम्मीदवार विशेषरूप से जगदीप धनकड़ को समर्थन देने का कोई सवाल ही नहीं है। लेकिन, आज पार्टी के सांसदों के साथ बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है कि हम उपराष्ट्रपति के चुनाव से अनुपस्थित रहेंगे।'
एनडीए के उम्मीदवार से विपक्ष में पड़ी दरार ?
दरअसल, जैसे ही बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की ओर से जगदीप धनकड़ की उम्मीदवारी की घोषणा हुई है, टीएमसी और बाकी विपक्षी दलों के बीच इस मसले को लेकर एक सियासी लकीर सी खिंची नजर आई है। ममता बनर्जी की पार्टी को इसपर फैसला लेने में 5 दिन लग गए। क्योंकि, जबसे धनकड़ को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी मिली है, उनकी राज्य सरकार के साथ तनातनी कभी कम नहीं हुई है। गवर्नर पिछले तीन वर्षों से खुद को संवैधानिक कानून का पालन करने वाला बताते रहे हैं और बनर्जी सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि 'यहां लोकतंत्र अंतिम सांसे ले रहा है।' धनकड़ ने ममता सरकार पर नौकरशाही के राजनीतिकरण का भी आरोप लगाया है।
धनकड़ के खिलाफ जारी थी टीएमसी की मुहिम
दूसरी तरफ टीएमसी का आरोप रहा है कि राजभवन 'बीजेपी के पार्टी ऑफिस का एक्सटेंशन' बन चुका है, और वह गवर्नर धनकड़ को 'भाजपा का संरक्षक' बताती रही है। टीएमसी उन्हें उनके पद से हटाने तक की मांग कर चुकी है। ऐसे में अगर वे उपराष्ट्रपति चुने जाते हैं तो खुद ही राजभवन से दिल्ली के उपराष्ट्रपति निवास में पहुंच जाएंगे। ऐसे में उनका उपराष्ट्रपति चुनाव में विरोध करना भी पार्टी को अजीब स्थिति में ला सकता था।