सबसे अमीर मंदिर को 400 करोड़ रुपये का नुकसान, फिर भी पूरी सैलरी देगा तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड
नई दिल्ली- आंध्र प्रदेश के पवित्र तिरुमाला पर्वत पर स्थित तिरुपति मंदिर कमाई और संपत्ति के मामले में दुनिया में सबसे अमीर हिंदू मंदिर है। यहां भगवान श्री वेंकटेश्वर बालाजी को चढ़ावे में ही मोटे तौर पर 200 करोड़ रुपये महीने आते हैं। लेकिन दो महीने से जारी लॉकडाउन की वजह से मंदिर की यह मोटी कमाई पूरी तरह से रुक गई है। लेकिन, भगवान वेंकटेश्वर के आशीर्वाद से तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने अब तक हुए 400 करोड़ रुपये के नुकसाने के बावजूद मंदिर में काम करने वाले सभी तरह के 23,000 स्टाफ को कम से कम तीन महीने तक पूरी सैलरी और पेंशन देने का भरोसा दिया है। बोर्ड को उम्मीद है कि मंदिर को जो फिक्स डिपॉजिट में आमदनी होगी, वह उसी से स्टाफ को सैलरी देने में सक्षम होगा।
तीन महीने तक सभी कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने का भरोसा
देश के सबसे अमीर मंदिर तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर को लॉकडाउन की वजह से अब तक 400 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ चुका है। इस अमीर मंदिर का संचालन तिरुमाला तिरुपति देस्थानम बोर्ड के हाथों में हैं। मंदिर को हुए भारी नुकसान के बावजूद बोर्ड ने इसके करीब 23,000 कर्मचारियों की सैलरी नहीं काटने का फैसला किया है। साथ ही साथ तिरुपति मंदिर बोर्ड को इस बात का पक्का यकीन है कि वह अपने सभी कर्मचारियों को दो से तीन महीने तक पूरी सैलरी देने में सक्षम है। ये खुलासा बोर्ड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने किया है।
23,000 स्टाफ को राहत का भरोसा
दरअसल, राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से बालाजी मंदिर की कमाई को बहुत ही बड़ा झटका लगा है। यहां चढ़ावे में ही अरबों रुपये की आमदनी होती थी। लेकिन, श्रद्धालुओं के नहीं पहुंचने से मंदिर की यह आमदनी पूरी तरह से ठप हो चुकी है। लेकिन, श्री वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर बोर्ड के लोगों को भरोसा है कि मंदिर के बैंक अकाउंट्स में जो रकम फिक्स डिपॉजिट के रूप में पड़े हुए हैं, उससे कर्मचारियों को वेतन दिया जा सकता है। बालाजी मंदिर में 8,000 स्थाई और 15,000 आउटसोर्स किए हुए स्टाफ हैं। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के पवित्र तिरुमाला पर्वत पर स्थित है।
200 करोड़ रुपये महीने का नुकसान
तिरुमाला तिरुपति देस्थानम बोर्ड के चेयरमैन वाईवी सुब्बा रेड्डी के मुताबिक मंदिर को 25 मार्च से शुरु हुए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से 200 रुपये महीने का नुकसान हो रहा है। हालांकि, तथ्य ये है कि बोर्ड ने केंद्र के फैसले से पहले ही 20 मार्च को ही एहतियात के तौर पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर पाबंदियां लगानी शुरू कर दी थी। रेड्डी ने कहा, 'भारी वित्तीय कमी के बावजूद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम इस स्थिति में है कि अपने स्थाई कर्मचारियों और आउटसोर्स किए गए वर्कर्स को (पूरी) सैलरी और पेंशनभोगियों के लिए अगले दो या तीन महीनों की व्यवस्था कर सके। '
एफडी पर सालाना आता है करीब 700 करोड़ का ब्याज
तिरुपति मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि बोर्ड को भरोसा है कि वह अपनी जरूरतों को फिक्स डिपॉजिट के ब्याज जैसे आमदनियों से ही पूरा कर लेगा, जो कि सालाना 700 करोड़ रुपये तक आता है। बता दें कि तिरुपति मंदिर ने विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में 12,000 करोड़ रुपये की रकम फिक्स डिपॉजिट के तौर पर जमा कर रखी है, सालाना ब्याज के रूप में ये मोटी आय प्राप्त होती है। उसने बताया कि फरवरी में तिरुपति बोर्ड ने जो बजट प्रस्ताव मंजूर किए थे, उसमें मौजूदा वित्त वर्ष में कुल 3,310 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में आने का अनुमान था। इसमें श्रद्धालुओं के चढ़ावे में 1,351 करोड़ रुपये पवित्र मंदिर के खजाने में आने की संभावना थी।
2000 साल से भी पुराना है ये पवित्र मंदिर
श्री बालाजी वेंकटेश्वर मंदिर के अधिकारी ने जानकारी दी है कि यहां सालाना करीब 2.5 करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से 2000 साल से भी पुराने इस पवित्र मंदिर में श्रद्धालुओं का आना पूरी तरह से बंद हो चुका है। हालांकि, पूजा और बाकी धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के पुजारी बिना किसी बाधा के पहले के तरह से ही कर रहे हैं।
कई और तरह की समाज सेवा में जुड़ा है ये मंदिर
तिरुपति मंदिर बोर्ड के अध्यक्ष रेड्डी के मुताबिक मंदिर बोर्ड के तहत कई तरह की धार्मिक गतिविधियां, शिक्षण संस्थाएं और स्वास्थ सेवाएं भी संचालित होती है, जो जरूरतमंद लोगों की सेवाओं में लगे हैं और प्रबंधन उनका भी पूरा ध्यान रख रहा है।