सबसे अमीर मंदिरों में से एक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम CAG ऑडिट के लिए तैयार,जानिए क्यों लिया फैसला
नई दिल्ली- भाजपा सांसद सुब्रमण्म स्वामी की धार्मिक संस्थानों की आमदनी और खर्चों की सीएजी ऑडिट करवाने की मुहिम को कामयाबी मिलनी शुरू हो गई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक श्री बालाजी वेंकटेश्वर स्वामी के बही-खातों की ऑडिट सीएजी से कराने के लिए तैयार हो गई है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश चुनाव में भी यह मुद्दा बना था। इससे पहले बुधवार को ही सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी कहा था कि वे धार्मिक संस्थानों के फंड की सीएजी जांच करवाने की शुरुआत के लिए कोरोना के बाद संसद के सत्र का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें वह इसके लिए प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आने वाले हैं। उन्होंने सभी धर्मों के लिए यह मुहिम शुरू करने की बात की है।
तिरुपति मंदिर के खातों की सीएजी ऑडिट कराने की मंजूरी
आंध्र प्रदेश सरकार ने भगवान वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर का संचालन करने वाले ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देस्थानम के आमदनी और खर्चों का सीएजी से ऑडिट करने की मंजूरी दे दी है। इस तरह से दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक मंदिर के हिसाब-किताब की जांच देश के संवैधानिक दायरे में आने वाला है। इस फैसले पर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के चेयरमैन वाई वी सुब्बा रेड्डी ने कहा है कि, 'यह कदम और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए है और इससे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी के स्वच्छ शासन का विजन और मजबूत होता है।' आधिकारिक घोषणा के मुताबिक सीएजी 2020-21 के लिए मंदिर के खातों का ऑडिट करेगा।
2014-15 से ही सीएजी ऑडिट की मांग
वैसे भगवान वेंकटेश्वर मंदिर के प्रबंधन ने सेंट्रल वॉचडॉग से निवेदन किया है कि वह साल 2014-2015 से 2019-2020 का भी विशेष लेखा-जोखा करे, जो कि आंध्र प्रदेश सरकार के ऑडिट डिपार्टमेंट की ओर से पहले ही किया जा चुका है। सुब्बा रेड्डी के मुताबिक, 'हमने सीएजी से निवेदन किया है कि पुराने रिकॉर्ड को भी देखें, जिससे कि भविष्य में एकाउंट को लेकर किसी तरह का कोई कंफ्यूजन ना रहे। तिरुमाला तिरुपति देस्थानम को निहित स्वार्थ में कई विवादों में घसीटा गया, इसीलिए हम चाहते हैं कि सीएजी रिकॉर्ड को पूरी तरह से परखे और 6 महीनों के अंदर एक रिपोर्ट दे दे।'
स्वामी ने जगनमोहन के फैसले का स्वागत किया
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने ही आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट से चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी सरकार के दौरान के तिरुपति मंदिर की संपत्ति और खातों की फिर से छानबीन की मांग की थी। जगनमोहन सरकार के फैसले पर उन्होंने प्रतिक्रिया में ट्वीट किया है, 'मेरे सहयोगी सत्यपाल सभरवाल और मैंने तिरुपति मंदिर के फंड की पिछले 5 साल और उसके आगे की भी सीएजी से ऑडिट कराने के लिए आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एक पीआईएल दायर की थी। सीएम जगन ने खुशी से सहमति दी है। टीटीडी चेयरमैन सुब्बा रेड्डी और सदस्य एवं वीएचएस एपी नेता गोविंद हरी ने टीटीडी बोर्ड के जरिए इसे मुकम्मल किया है। टास्क पूरा हुआ!'
2018 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दी गई थी
गौरतलब है कि भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर समेत 12 मंदिरों को राज्य सरकार के कब्जे से बाहर निकालने के लिए भाजपा नेता ने 2018 में याचिका दायर की थी। उन्होंने तबकी चंद्रबाबू नायडू सरकार पर वंशानुगत ट्रस्टियों को किनारे करके मंदिर की गवर्निंग बॉडी में अपने लोगों को मनोनित करके मंदिर की संपत्ति और संसाधनों को हड़पने का आरोप लगाया था। नए प्रस्ताव के साथ ही मंदिर बोर्ड की ओर से हाई कोर्ट को एक हलफनामा भेजा जाएगा, जिसमें मंदिर के खातों, फंड और श्रद्धालुओं और ट्रस्ट के सदस्यों की ओर से दान में प्राप्त करोड़ों रुपये मूल्य के आभूषणों की बाहरी ऑडिट करवाने का अनुरोध किया जाएगा।
2000 वर्षों से भी पुराना है ये पवित्र मंदिर
श्री बालाजी वेंकटेश्वर मंदिर 2000 वर्षों से भी पुराना है। यहां के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना लॉकडाउन से पहले यहां सालाना करीब 2.5 करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते रहे हैं। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से 2000 साल से भी पुराने इस पवित्र मंदिर में श्रद्धालुओं का आना पूरी तरह से बंद हो चुका था। हालांकि, पूजा और बाकी धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के पुजारियों ने बिना किसी बाधा के पहले की तरह ही जारी रखा।
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