RTI के तहत तिहाड़ के कैदियों ने पूछा, कब होंगे रिहा, नींबू क्यों नहीं मिला, दूध मिलेगा क्या?
नई दिल्ली। सूचना के अधिकार ने देश के हर नागरिक को एक ऐसा हथियार दिया है जिसकी बदौलत लोग किसी सरकारी विभाग की जवाबदेही तय कर सकते हैं। इस अधिकार का प्रयोग आपने अक्सर करते सुना होगा, लेकिन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कैदियों ने भी अब सूचना के अधिकार के तहत सवाल पूछा है कि हम जेल से कब रिहा होंगे। तिहाड़ जेल में बंद कैदियों ने कई दिलचस्प सवाल पूछे हैं, जिसका जवाब देना जेल मुख्यालय के लिए मुश्किल हो रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि हर रोज तकरीबन दो सवाल सूचना के अधिकार के तहत कैदी पूछते हैं, आपको बता दें कि कैदियों को सूचना के अधिकार के तहत सूचना हासिल करने के लिए आरटीआई दाखिल करने की फीस नहीं देनी होती है।
हर महीने सवालों की झड़ी
जेल मुख्यालय में कई वरिष्ठ अधिकारी होते हैं जोकि प्रशासनिक कामों को देखते हैं, उन्हे औसतन दो सवाल हर जो कैदियों की ओर से मिलते हैं। गत वर्ष दिसंबर माह में 70 से अधिक सवाल पूछे गए हैं, जबकि जनवरी माह में इसकी संख्या 50 है। हालांकि अधिकतर कैदी अपने कैद की अवधि के दौरान ही सवाल के जवाब पा लेते हैं। तिहाड़ जेल में देश के सबसे अधिक 14500 कैदी हैं। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जो लोग जेल के भीतर हैं और पहली बार सूचना के अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं उन्हें पूरी मदद मुहैया कराई जाती है।
कोर्ट में वकील की तरह काम करते हैं कैदी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील शर्मा जोकि अपननी पत्नी की तंदूर में डालकर हत्या के दोषी हैं, वह जेल के भीतर कैदियों को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने में मदद करते हैं। सुशील शर्मा पिछले 22 सालों से जेल के भीतर हैं और वह संवैधानिक अधिकारों से काफी वाकिफ हैं। जेल के भीतर कई ऐसे लोग हैं जो कैदियों के लिए वह वकील की तरह हैं, जोकि उनकी कोर्ट में मदद करते हैं, खासकर आरटीआई दाखिल करने में यह लोगों की काफी मदद करते हैं।
कुछ दिलचस्प आरटीआई
सूचना
के
अधिकार
के
तहत
कुछ
दिलचस्प
सवाल
पूछे
गए
हैं,
जैसे
हमे
इस
मौसम
में
नींबू
क्यों
नहीं
दिया
गया,
क्या
हम
हर
रोज
सुबह
दूध
का
गिलास
पाने
के
अधिकारी
हैं,
हमे
कितने
दिनों
में
जेल
से
आजादी
मिलेगी,
हमे
मच्छर
मारने
वाली
दवा
क्यों
नहीं
दी
जाती
है।
पिछले
वर्ष
जनवरी
माह
में
एक
कैदी
को
आरटीआई
के
तहत
अंडरट्रायल
के
लिए
डाइट
चार्ज
के
बारे
में
जवाब
मिला
था।
कैदियों
को
नहीं
मिलती
है
यह
अहम
जानकारी
तिहाड़
जेल
के
लॉ
ऑफिसर
सुनील
गुप्ता
जोकि
2016
में
रिटायर
हो
गए
का
कहना
है
कि
आरटीआई
का
आवेदन
खुद
का
मेडिकल
रिकॉर्ड
हासिल
करने
के
लिए
किया
जाता
है,
क्योंकि
डॉक्टर
जेल
के
भीतर
आते
हैं
और
कैदियों
का
इलाज
करते
हैं।
उनके
पास
डॉक्टर
ने
क्या
दवा
दी
हैं
और
क्या
बीमारी
बताई
है
उसका
पर्चा
नहीं
होता
है
और
ना
ही
उन्हें
यह
दिया
जाता
है,
लिहाजा
ये
लोग
आरटीआई
दाखिल
करते
हैं
ताकि
इसे
कोर्ट
में
दाखिल
करके
बाहर
इलाज
करवा
सके।
तिहाड़
जेल
के
अडिशनल
आईजी
और
प्रवक्ता
राज
कुमार
का
कहना
है
कि
प्रशासन
ज्यादातर
सवालों
के
जवाब
देने
की
कोशिश
करता
है,
हम
पूरी
कोशिश
करते
हैं
कि
कैदियों
को
आम
नागरिक
की
तरह
रखा
जाए।