शनिवार को लखनऊ जू में प्रिंस शेर, नागपुर में टाइगर बाजीराव की मौत
शनिवार को लखनऊ में प्रिंस शेर, नागपुर में टाइगर बाजीराव की मौत
नई दिल्ली। लखनऊ जू के वृद्ध शेर टाइगर की बुधवार को मौत हो गई। 21 साल का प्रिंस बीते 14 साल से जू की रौनक बना हुआ था। बीते कई दिन से शेर की सेहत ठीक नहीं थी। शनिवार को प्रिंस ने आखिरी सांस ली। प्रिंस को कई तरह की दिक्कतें थीं और डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल कर रही थी। तमाम कोशिशें के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। जू अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती उम्र की वजह से भी प्रिंस को कई बीमारियां हो गई थीं।
2003 में चंडीगढ़ से लाया गया प्रिंस
2003 में प्रिंस को चंडीगढ़ के छतबीर जू से लाया गया था। उसके साथ दो शेरनी शभांगी और आस्था को भी लाया गया था। आस्था की काफी पहले मौत हो गई थी जबकि शुभांगी की इसी साल जुलाई में मौत हो गई थी। प्रिंस का किसी शेरनी से संपर्क नहीं कराया गया क्योंकि वो हाईब्रिड शेर था।
नागपुर में बाघ बाजीराव की मौत
वहीं एक बाघ की नागपुर में जान चली गई। सड़क पार कर रहे आठ साल के बाघ की शुक्रवार को मौत हुई। नागपुर के पास बोर वाइल्डलाइफ सैंचुरी का ये मशहूर बाघ 'बाजीराव' नागपुर-अमरावती के नेशनल हाईवे-6 पर रोड एक्सीडेंट में मारा गया। वन अधिकारियों के अनुसार बाजीराव की मौत शाम को 7 बजे से 7:30 के बीच हुई है।
वाइल्डलाइफ सैंचुरी के लिए एक बड़ा नुकसान
138.12 वर्ग किमी में फैले बोर वाइल्डलाइफ सैंचुरी वर्धा जिले में नागपुर से 60 किमी दूरी पर स्थित है। अपने बाघ बाजीराव की मौत पर वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (मध्य भारत) के निर्देशक नितिन देसाई ने कहा कि ये महाराष्ट्र के लिए काफी बड़ा नुकसान है। उन्होंने कहा, 'बाघ की पहचान बाजीराव के रूप में हुई थी। बाजीराव बोर में सबसे प्रभावशाली बाघ था। उसका इस इलाके में काफी बड़ा क्षेत्र था। वो 8-9 शावकों का बाप भी था। यह बोर वाइल्डलाइफ सैंचुरी और महाराष्ट्र के लिए एक बड़ा नुकसान है।'
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