तीन देशों ने मिलकर दो गुजराती भाइयों को नया घर दिलाया
नई दिल्ली- कोरना वायरस की वजह से पिछले दो-ढाई महीने से दुनिया लगभग ठहर सी गई है। जो जहां था, वह वहीं फंस कर रह गए हैं। खासकर जो विदेशों की यात्राओं पर निकले उनका हाल तो और भी बुरा है। वो न तो अपने वतन लौट पा रहे हैं और न ही जहां मौजूद हैं, वहां ही आजाद घूम सकते हैं। लगभग इसी स्थिति में गुजरात के दो छोटे-छोटे भाई भी दुबई में करीब एक महीने फंस गए थे। उनके साथ उनके माता-पिता थे, लेकिन उनके लिए वह एकदम नए थे। वो उन्हें भारत से गोद लेकर इटली जा रहे थे। दोनों बच्चों ने इटली के बारे में तो उनसे बहुत सुन रखा था, लेकिन दुबई उनके लिए पूरी तरह से नया था और इस कदर फंस जाएंगे, उन्होंने सोचा भी नहीं था। देर हुई तो बच्चों ने अपने नए माता-पिता के साथ आगे की यात्रा करने से ही मना करना शुरू कर दिया। लेकिन, आखिरकार भारत की पहल पर दुबई ने भी उनके लिए मदद का हाथ बढ़ाया और इटली ने भी जिम्मेदारी निभाई। इस तरह से दोनों बच्चों को अपना वह नया आशियाना मिल गया, जहां के लिए वह भारत से रवाना हुए थे। (पहली तस्वीर सौजन्य-टाइम्स ऑफ इंडिया)
इटली जाते वक्त दुबई में रुक गए थे दोनों भाई
कोरोना वायरस और उसकी वजह से दुनिया भर में जारी अलग-अलग तरीके के लॉकडाउन ने दो गुजराती भाइयों को बहुत ही अजीब हालात में ला दिया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 9 और 12 साल के दोनों भाइयों को इटली के फ्लोरेंस के रहने वाले माता-पिता ने गोद लिया था। वो लोग पिछले 12 मार्च को दोनों को लेकर मुंबई से रवाना हुए थे, लेकिन असामान्य परिस्थितियों में करीब एक महीने तक दुबई में फंसे रह गए। दोनों बच्चों ने कई बार इटली वाले अपने नए घर को तो वीडियो कॉल पर देखा था। लेकिन, दुबई के नए माहौल में इतना वक्त गुजारना उन्हें मुश्किल होने लगा था। पहले छोटा भाई आगे की यात्रा की सोच कर कमजोर पड़ने लगा। फिर बड़े भाई की भी स्थिति वैसी ही होने लगी। दोनों नए मां-बाप के लिए उन्हें संभालना असहज हो रहा था। लेकिन, फिर नई तरह की पहल शुरू हुई।
काउंसलिंग माता-पिता और बच्चों में बढ़ाई बॉन्डिंग
दोनों बच्चों की हालत देखकर दुबई में काउंसर की मदद ली गई। उन्हें समझाया गया कि उड़ानें बंद होने की स्थिति में वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। बच्चों के नए माता-पिता को भी समझाया गया कि वह उनकी ओर ज्यादा ध्यान दें। क्योंकि, बच्चों को तो एहसास ही नहीं था कि अचानक हालात इतने बदल जाएंगे और उनके लिए सबकुछ नया और अनजान लग रहा था। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA)ने बच्चों को दिल्ली से गुजराती में समझाना शुरू किया और दुबई में भी इसके लिए एक व्यक्ति को तैयार किया गया, जिसने उन बच्चों से बातचीत शुरू की। दिल्ली से उस परिवार को दुबई में रहने के लिए वीजा का इंतजाम करवाया गया। काउंसलर ने इस समय का उपयोग बच्चों और उनके नए माता-पिता के बीच बॉन्डिंग बढ़ाने में किया। सीएआरए के सीईओ दीपक कुमार ने कहा, 'काउंसलिंग और गोद लेने वाले माता-पिता के बच्चों के साथ बिताए गए वक्त ने काम किया और बच्चे अपने नए घर जाने के लिए तैयार हो गए।'
तीन देशों ने दोनों भाइयों को नया घर दिलाया
लेकिन, यात्री विमानों के शुरू होने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे थे। तब इटली के अधिकारियों ने इस परिवार के लिए एक स्पेशल प्राइवेट जेट का इंतजाम किया जो उन सबको 18 अप्रैल को इटली में उनके शहर फ्लोरेंस लेकर पहुंचा। बाद में इटली के फॉरेन एडॉप्शन एजेंसी ने फोन पर बताया कि वो बच्चे अब परिवार के साथ घुलमिल रहे हैं। वह अपने घर को पहचान गए हैं, जो उन्होंने भारत से वीडियो कॉल पर देखा था। इस तरह से इस मामले ने दो बच्चों को उनका नया घर दिलाने के लिए तीन देशों- भारत, संयुक्त अरब अमीरात और इटली को एक साथ खड़ा कर दिया और चीजें बहुत ही आसान होती चली गईं। लेकिन, सभी गोद लिए गए बच्चे और उनके नए माता-पिता इतने खुशनसीब नहीं हैं। क्योंकि, ऐसे जो कई विदेशी माता-पिता लॉकडाउन से पहले भारत गोद लेने के लिए आए थे, बच्चे तो उनके हवाले कर दिए गए, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद होने की वजह से यहीं फंस गए। अब सीएआरए ने ऐसे नए परिवारों के लिए स्पेशल एग्जिट वीजा का इंतजाम करवाया है, जो अपने-अपने देशों से आए स्पेशल फ्लाइट से अमेरिका, इटली और माल्टा जैसे देशों के लिए रवाना हो गए।