बंगाल भाजपा प्रमुख ने दिया विवादित बयान, CAA का विरोध करने वालों को बताया 'शैतान और कीड़ा'
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) प्रमुख दिलीप घोष ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जो लोग नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध कर रहे हैं, वो 'शैतान और कीड़ा' हैं। घोष हावड़ा में सीएए के समर्थन में आयोजित रैली में बोल रहे थे। उन्होंने लोगों से कहा कि वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं के 'जाल' में ना आएं। जो कह रहे हैं कि पैन और आधार कार्ड वाले शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।
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'कानून नागरिकता देने के लिए है'
उन्होंने कहा, 'शरणार्थियों को नए सिरे से नागरिकता कानून के जरिए नागरिकता लेनी होती है। अगर आप अपना विवरण जमा नहीं करते हैं तो परेशानी में पड़ सकते हैं।' घोष ने सीएए के खिलाफ हो रही रैलियों और प्रदर्शनों पर भी निशाना साधा और कहा, 'जब हिंदुओं को पड़ोसी देशों से भारत भागना पड़ा तब बुद्धिजीवी कभी सड़कों पर नहीं उतरे।' उन्होंने कहा कि ये कानून शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है, ना कि छीनने के लिए।
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'नागरिकता साबित करने के लिए समय मिलेगा'
घोष ने विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा, 'नागरिकता साबित करने के लिए आवेदन हेतु प्रधानमंत्री तीन से चार महीने का समय देंगे। आप सभी को नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहिए। कुछ भी साबित करने के लिए आपको दस्तावेजों की जरूरत नहीं है। बस अपने माता-पिता के नाम के साथ फॉर्म भरें, आपको नागरिकता मिल जाएगी।' हालांकि सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने दिलीप घोष के बयान की निंदा की है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री तापस रॉय ने कहा, 'ये तय करने के लिए दिलीप घोष कौन हैं, कि कौन नागरिक है और कौन नहीं? इस राज्य के लोग उनके और उनकी पार्टी के अहंकार का जवाब देंगे।'
क्या है कानून?
बता दें सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून बीते साल दिसंबर माह में आया था। इससे पहले इसके बिल को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से मंजूरी भी मिली थी। कानून के तहत तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से उत्पीड़न का शिकार छह गैर मुस्लिम समुदाय के लोग छह साल भारत में रहने के बाद यहां की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। कानून के आने के बाद से ही देश के कई हिस्सों में भारी विरोध प्रदर्शन देखा गया। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि इस कानून में किसी एक समुदाय के साथ भेदभाव किया गया है, जो संविधान का उल्लंघन है।