Holi Festival स्पेशल: रंगों के त्योहार के सबसे बड़े दुश्मन बने 'मेड इन चाइना' प्रोडक्ट्स!
बेंगलुरू। पूरी दुनिया को कोरोनावायरस देने वाली चीन भारत से दूसरे सबसे बड़े त्योहार होली पर भी ग्रहण बन गई है। कोरोनावायरस के डर से एक ओर जहां लोग खुद होली से दूर रहने का प्लान बना रहे हैं, वहीं कोरोनावायरस के चलते रंगों की कीमत में भी दोगुनी वृद्धि के आसार बढ़ गए हैं।
अव्वल तो लोग इस बार कोरोनावायरस के डर से होली से दूर रहने की कोशिश करेंगे और जो होली खेलना भी चाहेगा, उनके अरमानों पर रंगों में हुई दोगुनी वृद्धि पलीता लगाने के लिए तैयार बैठी है, जिससे लोग चाहते हुए भी रंगों के त्योहार को इस बार भरपूर आनंद नहीं ले पाएंगे।
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गौरतलब है मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स कोरोनावायरस ने होली पर दोतरफा वार किया है। एक तरफ संक्रमण फैलने से चीन में रंगों और पिचकारियों की फैक्टरियां बंद पड़ी हैं, जिससे भारत में माल की सप्लाई ठप पड़ गई है, जिससे महंगे हुए रंग लोगों की पहुंच से दूर हो रहे हैं।
दूसरे कोरोनावायरस के संक्रमण का डर, क्योंकि पिछले तीन दिनों में भारत में भी कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। कह सकते हैं कि मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स के चलते भारतीय त्योहार होली के रंग में भंग पड़ चुका है।
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दरअसल, रंगों समेत होली के दौरान इस्तेमाल होने वाले सामानों की किल्लत के चलते उनकी कीमतों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसकी मुख्य वजह कोरोनावायरस है, जहां फैक्टरियां पिछले दो महीने ठप पड़ी हुई हैं। चूंकि होली के रंग और पिचकारियों का सर्वाधिक माल चीन से भारत आयात करता है। इनमें पिचकारी, रंग, गुलाल, वॉटर गन और खिलौने शामिल हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 90 फीसदी होली के खिलौने और सामान चीन से ही आयात किए जाते हैं। अब कोरोनोवायरस ने चीन की फैक्टरियों में ताला जड़ दिया है, इसलिए डिमांड और सप्लाई का चक्र गड़बड़ा गया है, जिससे होली से जुड़ी सभी चीजों की कीमतों में इजाफा हो गया है।
बताया जाता है चीन से होली उत्पादों के आयात ठप होने के चलते देसी मैन्युफैक्चर उत्पादों की कीमतों में 15-20 प्रतिशत इजाफा करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि मांग आपूर्ति से अधिक है। रिसर्च फर्म IMARC के अनुसार घरेलू खिलौनों का बाजार करीब 1.5 अरब डॉलर का है, जो 2024 तक 3.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके 2019 से 2024 के दौरान 13.3 फीसदी की सीएजीआर से बढ़ने की संभावना है।
चूंकि भारत में बिकने वाले कुल खिलौनों में से लगभग 90 फीसदी चीन और शेष श्रीलंका, मलेशिया, जर्मनी और हांगकांग से आयात किए जाते हैं। चूंकि कोरोनावायरस के चलते देसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी कच्चे माल बाधित होगा इसलिए कीमतों का बढ़ना स्वाभाविक है।
उल्लेखनीय है कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इस बार राजनीतिक दलों ने पांरपरिक होली मिलन समारोह से किनारा करने का पूरा मन बना लिया है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सरकार के लगभग सभी प्रमुख लोगों ने खुद को भीड़-भाड़ वाले ऐसे आयोजनों से दूर रहने का ऐलान किया है। चूंकि इन नेताओं की वजह से भीड़ इकट्ठी होती है और ऐसे में यह फैसला लिया गया है कि होली मिलन में वह शामिल नहीं होंगे।
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा के सभी प्रदेश अध्यक्षों को बाकायदा पत्र लिखकर होली मिलन जैसे सम्मेलनों के आयोजन से बचने की सलाह दी। कोरोनावायरस के डर से राष्ट्रपति भवन में भी इस बार पारंपरिक होली मिलन समारोह नहीं आयोजित किया जाएगा। इस बार होली नहीं मनाने वालों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ भी शामिल हैं।
पूरी संभावना है कि पूरे देश में फैल रहे कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए अधिकांश लोग होली के रंग और अनुष्ठानों से खुद को दूर रखना पंसद करेंगे। रंगों का त्योहार रंगों के अलावा सद्भाव और भाई चारे के त्योहार के रूप में भी सेलीब्रेट किया जाता है। चूंकि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरी दुनिया में नमस्ते को प्रोत्साहन मिल रहा है तो होली में गले मिलना और गले पड़ना दोनों से लोगों किनारा करेंगे।
माना जा रहा है कि कोरोनावायरस के प्रकोप से बढ़ी रंगों और पिचकारियों की कीमतों और वायरस के संक्रमण के खतरे के चलते इस बार की होली फीकी रह सकती है। क्योंकि कोई नहीं चाहेगा कि मंहगा रंग खरीद कर किसी को रंगे और बदले में कोरोनावायरस का शिकार हो जाए। शायद यही कारण है कि होली के रंगों से नेताओं ने अभी किनारा करने की घोषणा कर चुके है।
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भारत में कोरोना वायरस के 29 पॉजिटिव केस सामने आए हैं
गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस को लेकर राज्यसभा में बयान दिया। उन्होंने बताया कि 4 मार्च तक देश में कोरोना वायरस के 29 पॉजिटिव केस सामने आए हैं और इन सभी को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी हर दिन कोरोना वायरस की ले रहे हैं समीक्षा बैठक
गुड़गांव में पेटीएम का एक कर्मचारी भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि खुद प्रधानमंत्री हर दिन हालात की समीक्षा कर रहे हैं। इस वायरस से दुनिया भर 3,000 लोगों की जान जा चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति के चलते वे इस बार होली मिलन कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।
चीन से होली उत्पादों के आयात ठप होने के चलते बढ़ी कीमतें!
चीन से होली उत्पादों के आयात ठप होने के चलते देसी मैन्युफैक्चर उत्पादों की कीमतों में 15-20 प्रतिशत इजाफा करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि मांग आपूर्ति से अधिक है। रिसर्च फर्म IMARC के अनुसार घरेलू खिलौनों का बाजार करीब 1.5 अरब डॉलर का है, जो 2024 तक 3.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके 2019 से 2024 के दौरान 13.3 फीसदी की सीएजीआर से बढ़ने की संभावना है। चूंकि भारत में बिकने वाले कुल खिलौनों में से लगभग 90 फीसदी चीन और शेष श्रीलंका, मलेशिया, जर्मनी और हांगकांग से आयात किए जाते हैं। चूंकि कोरोना वायरस के चलते देसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी कच्चे माल बाधित होगा इसलिए कीमतों का बढ़ना स्वाभाविक है।
संक्रमण से बचाव के लिए राजनीतिक दलों ने होली मिलन से किनारा किया
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इस बार राजनीतिक दलों ने पांरपरिक होली मिलन समारोह से किनारा करने का पूरा मन बना लिया है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सरकार के लगभग सभी प्रमुख लोगों ने खुद को भीड़-भाड़ वाले ऐसे आयोजनों से दूर रहने का ऐलान किया है। चूंकि इन नेताओं की वजह से भीड़ इकट्ठी होती है और ऐसे में यह फैसला लिया गया है कि होली मिलन में वह शामिल नहीं होंगे। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा के सभी प्रदेश अध्यक्षों को बाकायदा पत्र लिखकर होली मिलन जैसे सम्मेलनों के आयोजन से बचने की सलाह दी। कोरोना वायरस के डर से राष्ट्रपति भवन में भी इस बार पारंपरिक होली मिलन समारोह नहीं आयोजित किया जाएगा।
रंगों की कीमतों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी का किया जा रहा है अनुमान
रंगों समेत होली के दौरान इस्तेमाल होने वाले सामानों की किल्लत के चलते उनकी कीमतों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसकी मुख्य वजह कोरोना वायरस है, जहां फैक्टरियां पिछले दो महीने ठप पड़ी हुई हैं। चूंकि होली के रंग और पिचकारियों का सर्वाधिक माल चीन से भारत आयात करता है। इनमें पिचकारी, रंग, गुलाल, वॉटर गन और खिलौने शामिल हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 90 फीसदी होली के खिलौने और सामान चीन से ही आयात किए जाते हैं। अब कोरोनो वायरस ने चीन की फैक्टरियों में ताला जड़ दिया है, इसलिए डिमांड और सप्लाई का चक्र गड़बड़ा गया है, जिससे होली से जुड़ी सभी चीजों की कीमतों में इजाफा हो गया है।
कोराना वायरस ने रंगों के त्योहार होली पर किया है दोतरफा हमला
मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स कोरोना वायरस ने होली पर दोतरफा वार किया है। एक तरफ संक्रमण फैलने से चीन में रंगों और पिचकारियों की फैक्टरियां बंद पड़ी हैं, जिससे भारत में माल की सप्लाई ठप पड़ गई है, जिससे महंगे हुए रंग लोगों की पहुंच से दूर हो रहे हैं, दूसरे कोरोना वायरस के संक्रमण का डर, क्योंकि पिछले तीन दिनों में भारत में भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। कह सकते हैं कि मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स के चलते भारतीय त्योहार होली के रंग में भंग पड़ चुका है।
इस बार होली में नहीं दिख सकती हैं भाईचारा और सद्भभाव की तस्वीरें!
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए अधिकांश लोग होली के रंग और अनुष्ठानों से खुद को दूर रखना पंसद करेंगे। रंगों का त्योहार रंगों के अलावा सद्भाव और भाई चारे के त्योहार के रूप में भी सेलीब्रेट किया जाता है। चूंकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरी दुनिया में नमस्ते को प्रोत्साहन मिल रहा है तो होली में गले मिलना और गले पड़ना दोनों से लोगों किनारा करेंगे।