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झारखंड में अबकी बार त्रिशंकु सरकार, गिरा बीजेपी के 65 पार नारे का पारा!

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बेंगलुरू। झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 पर भी त्रिशंकु विधानसभा का साया मंडरा रहा है। वर्ष 2019 में अब तक हुए दो विधानसभा चुनावों में कमोबेश यही आसार दिखाई पड़े हैं, जहां किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कम सीटें आईं, जिससे हरियाणा में उसे सरकार बनाने के लिए नवोदित जेजेपी के समर्थन का मोहताज होना पड़ा।

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वहीं, बीजेपी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। हालांकि महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना साथ-साथ चुनाव में उतरी थीं और दोनों दलों को महाराष्ट्र की जनता ने स्पष्ट जनादेश देकर दोबारा सत्ता में वापसी कराई थी। यह अलग बात है कि अब बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता से दूर है जबकि वह महाराष्ट्र में सर्वाधिक 105 सीट जीतकर नंबर एक पार्टी बनकर उभरी थी।

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गौरतलब है झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के साथ चुनाव में उतरी थी और बीजेपी ने अकेले 37 सीटों पर जीत दर्ज करके नंबर एक पार्टी बनकर उभरी थी और सहयोगी आजसु ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोनों दल ने मिलकर 42 सीटों कब्जा किया था, जो झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए जादुई अंक 41 से एक अंक अधिक था।

झारखंड के इतिहास में यह पहला मौका था कि झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व गठित बीजेपी सरकार ने पूरे पांच वर्ष बिना किसी अवरोध के पूरा करने में सफलता पाई थी। रघुवर दास के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार में भ्रष्ट्राचार बहुत बड़ा मुद्दा था, लेकिन पिछले पांच साल में झारखंड सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है।

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दरअसल, महाराष्ट्र और हरियाणा में त्रिशंकु जनादेश ने बीजेपी को निराश किया है। यही कारण है कि बीजेपी ने पिछले झारखंड विधानसभा चुनाव में सहयोगी रही ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन से दोस्ती की पींगे बढ़ानी शुरु कर दी है। इस बार फिर बीजेपी आजसु को पिछले विधानसभा की तरह 8 सीट ऑफर किया था, लेकिन आजसू ने 12-15 सीटों की मांग रख दी थी, जिससे दोनों दलों के बीच चुनाव से पूर्व गठबंधन खटाई में पड़ गया, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा के समीकरण से सबक लेते हुए बीजेपी अब आजसु से पुराने संबंध बहाल करने की जुगत में भिड़ गई है।

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वैसे, बीजेपी ने झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में अबकी बार 65 पार का नारा दिया था, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में मिले खट्टे अनुभव के चलते बीजेपी ने झारखंड में अपने सहयोगी को दोबारा याद किया है। इसकी बानगी तब मिली जब झारखंड में चुनावी दौरे पर गए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आजसू नेता सुदेश मेहता का अपना भाई बताते हुए कि आजसू चुनाव बाद बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हैं। इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आजसू को मनाने की कोशिश करते हुए नजर आए थे। बीजेपी ने यह कवायद झारखंड में हुए पहले चरण के मतदान के बाद शुरू किया है।

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झारखंड में त्रिशंकु विधानसभा की आशंका का ही असर कहेंगे कि बीजेपी अब सार्वजनिक मंच से अब यह कहने से गुरेज नहीं कर रही है कि वह झारखंड में आजसू के साथ ही सरकार बनाएगी। पार्टी की ओर से यह बात बार-बार बोला जा रहा है। हालांकि आजसू नेता सुदेश महतो के अभी अपने पत्ते नहीं खोले है। उनका कहना है कि फ़िलहाल चुनावी मैदान में बीजेपी से दोस्ती नहीं कुश्ती होगी।

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माना जा रहा है कि चुनाव पूर्व तमाम दावों के बीच बीजेपी को अभी यह फ़ीडबैक मिल चुका है कि झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम त्रिशंकु होने वाला है। ऐसे में बीजेपी सुदेश महतो जैसे पुराने सहयोगी की उन्हें निश्चित रूप से ज़रूरत होगी। यही वजह है कि खुद बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सार्वजनिक मंचों पर भी आजसू के साथ सरकार में शामिल होने की बात स्वीकार करने लगे हैं।

उल्लेखीय है जब झारखंड विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी और आजसू में बात नहीं बनी तो आजसू नेताब सुदेश महतो ने 20 से अधिक आजसू उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिए। चूंकि चुनाव से पूर्व बीजेपी का आकलन था कि उनके अधिक प्रत्याशी चुनाव में रहने के कारण विरोधियों को नुक़सान होगा।

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लेकिन कई सीटों से जब उनके पार्टी प्रत्याशियों ने शिकायत शुरू कर दी कि आजसू प्रत्याशी के कारण उनके वोट पर असर हो रहा है तब बीजेपी ने अपने सुर बदलने शुरू दिए। हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा का आरोप था कि सुदेश बीजेपी के साथ फ़िक्स मैच खेल रहे हैं। पार्टी के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि बीजेपी नेताओं के बयान से हमारी बातों की पुष्टि हुई और जनता इसका बेहतर फ़ैसला करेगी।

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वैसे, एक ताजा सर्वे पर भरोसा करें तो बीजेपी झारखंड विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर 45 से 48 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। सर्वे के मुताबिक झारखंड एक बार फिर से कमल खिलने जा रहा है। खास बात यह है कि सर्वे में बीजेपी को अकेले 45-48 सीटों पर विजयी बताया जा रहा है। फिलहाल, 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में पहले चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है और अगले चरण का चुनाव 7 दिसंबर को होना है।

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पांच चरणों में होने वाले झारखंड विधानसभा के आखिरी चरण का मतदान 20 दिसंबर को होना है, जिसके तीन बाद 23 दिसंबर को मतों की गणना की जाएगी। सर्वे के अनुमान के मुताबिक झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 45 से 48 सीट, जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन को 27 से 30 सीटें, आजसू को 1 से 3 सीट और सीपीआई-एमएल को 0 से 1 सीट मिल सकती है।

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सर्वे में यह भी अनुमान लगाया गया है कि बीजेपी को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्‍व वाले गठबंधन से 1.6 प्रतिशत ज्‍यादा वोट मिल सकते हैं। चुनाव में बीजेपी को 42.4 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है, जो वर्ष 2014 के मुकाबले 11.14 फीसदी ज्‍यादा ज्यादा हैं जबकि जेएमएम मोर्चे के वोट 6.48 फीसदी की दर से बढ़ते दिख रहे हैं। सर्वे के मुताबिक इस चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के वोट फीसदी में में कमी आ सकती है। वर्ष 2014 में जेवीएम को 10 फीसदी वोट मिले थे और इस बार 6.7 प्रतिशत वोट ही मिलने का अनुमान है।

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निश्चित रूप से सर्वे के रिपोर्ट बीजेपी के पक्ष में हैं, लेकिन बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों को देखते हुए कोई जोखिम लेना नहीं चाहती हैं। यही कारण है कि बीजेपी के शीर्ष नेता अब पूर्व सहयोगी आजसू के साथ दोस्ती की पींगे बढ़ाने लगे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र में सत्ता गंवाने के बाद से बीजेपी झारखंड में अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

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सर्वे में बताया गया कि सर्वे में भाग लेने वाले 74.4 फीसदी लोगों ने झारखंड में मुख्यमंत्री रघुबर दास के कामकाज से संतुष्‍टि जाहिर की है। माना जाता है कि झारखंड में पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान सीएम रघुबर दास की छवि एक ईमानदार नेता के रूप में बनी है और वो झारखंड के लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं जबकि दूसरे नंबर जेजेएम नेता हेमंत सोरेन और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी हैं।

यह भी पढ़ें- झारखंड चुनाव : दीदी, चाची, मईया क्या रघुवर की पार लगाएंगी नैया ?

Comments
English summary
The BJP could not repeat its previous performance in Maharashtra Assembly elections 2019. However, in Maharashtra, BJP-Shiv Sena contested together and both parties were given a clear mandate by the people of Maharashtra and returned to power. Now It is a different matter that now BJP is away from the power of Maharashtra even though it emerged as the number one party by winning 105 seats in Maharashtra.
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