कोरोना को रोकने का सिर्फ यही उपाय है, 16 देशों में रिसर्च से मिली जानकारी
नई दिल्ली- कई सारे एक्सपर्ट ने कहा है कि भारत में अभी कोरोना वायरस के केसों का चरम पर पहुंचना बाकी है। ऐसे में 16 देशों में हुई एक रिसर्च से जो जानकारी मिली है, उससे यही पता चलता है कि अगर लोग देश में कुछ सावधानियों को सख्ती से अपनाएं तो संक्रमण को बहुत हद तक फैलने से रोका जा सकता है। क्योंकि, ये कोई उपाय नए नहीं हैं, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद देखा जा रहा है कि लोग लापरवाही बरतने लगे हैं। ऐसे में यह रिसर्च आंख खोलने वाला है कि अगर भारत इन एहतियाती उपायों को अपनाने में ढिलाई करेगा तो देश भारी मुसीबत में पड़ सकता है।
संक्रमित व्यक्ति के जितने करीब, उतना ज्यादा खतरा
सोशल या फिजिकल डिस्टेंसिंग, मास्क, आई कवर और बार-बार हाथ धोना, अगर कोरोना से बचना है तो उपाय यही है। नई शोध में ये जानकारी मिली है कि संक्रमित मरीजों के कितने करीब जाने, या सुरक्षा के उपाय नहीं अपनाने से संक्रमण का खतरा कैसे-कैसे बढ़ता चला जाता है। इस शोध के मुताबिक अगर आप संक्रमित व्यक्ति से एक मीटर से ज्यादा दूर रहते हैं तो संक्रमण का चांस 2.6 फीसदी रह जाता है। लेकिन, यदि आप उससे 1 मीटर के दायरे में आ गए तो यह जोखिम 12.8 फीसदी बढ़ जाता है। इस तरह से 3 मीटर की दूरी तक जैसे-जैसे कोई इंसान संक्रमित से दूर होता चला जाता है उसका जोखिम हर अगले मीटर के लिए कम होता चला जाता है।
सभी सुरक्षा उपाय साथ में अपनाएं, तभी बचेंगे
ये रिसर्च कुल मिलाकर इस नतीजे पर पहुंचा है कि कम से कम दूसरों से दो मीटर की दूरी, फेस मास्क और आंख की हिफाजत का इंतजाम नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे बेहतर उपाय है। कोविड-19 की बीमारी के फैलाव को रोकने के बारे में यह अबतक की सबसे पुख्ता स्टडी मानी जा रही है। लेकिन, रिसर्च में यह साफ कहा गया है कि इन उपायों के अलावा हाथ को साफ रखना तभी ज्यादा कारगर साबित हो सकता है, जब सारी चीजों पर एकसाथ ध्यान दिया जाए। यह रिपोर्ट 16 देशों में 172 शोध के आधार पर जाने-माने जर्नल द लैन्सेट में 2 जून को प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च के को-लीड और कनाडा के मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में हेल्थ रिसर्च-मेथड्स-एविडेंस एंड इम्पैक्ट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर होल्गर सुनेमान ने कहा है, 'फीजिकल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क, आई प्रोटेक्शन एंड हैंड वॉशिंग पर मौजूद सबूतों के आधार पर हम इस समय यह नहीं कह सकते कि कौन सबसे बेहतर है। सभी प्रभावी हैं, लेकिन, इन सबको साथ में उपयोग करना, किसी एक के इस्तेमाल करने से कहीं ज्यादा बेहतर है।'
मास्क पहनने और आंख की सुरक्षा में ही है बचाव
जहां तक मास्क का सवाल है तो रिसर्च में पाया गया कि जो लोग मास्क लगाते हैं, उनके संक्रमित होने के अगर 3.1 फीसदी चांस हैं तो जो नहीं लगाते उनमें यह 17.4 फीसदी ज्यादा होता है। जबकि, फेस शिल्ड या आंख को शीशे से कवर करने पर संक्रमण का खतरा 5.5 फीसदी रहता है, लेकिन, जो लोग इसके बिना निकलते हैं, उनमें यह जोखिम 16 फीसदी हो जाता है। रिसर्च में कपड़े के मास्क पर अलग से अध्ययन नहीं किया गया है। लेकिन, बताया गया है कि एन-95, मेडिकल या सर्जिकल मास्क और 12-16 लेयर वाला कपड़े का मास्क वायरस के संक्रमण से बचाता है। लेकिन, शोधकर्ताओं ने ये बात जरूर कही है कि मल्टीलेयर मास्क, सिंगल लेयर मास्क से कहीं ज्यादा सुरक्षित है। इसलिए अगर कपड़े का मास्क भी हो तो उसमें वॉटर-रेसिस्टेंट फैब्रिक का इस्तेमाल होना चाहिए।
सुरक्षा ही बचाव है
ऐसे में जबकि बहुत सारे विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में यह महामारी अभी अपने चरम पर नहीं पहुंची है, सुरक्षात्मक उपाय ही कोविड-19 संक्रमण को रोक सकता है। एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि केस में तेजी को रोकने का यही उपाय है कि आइसोलेशन पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाए, मास्क आवश्यक तौर पर पहना जाए, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो और लगातार हाथ धोते रहा जाए। लोग जहां भी रहें, इन सबका जरूर पालन करें।