दो घंटे में Coronavirus का पता लगाएगी ये देसी किट, खर्च भी 1,000 रुपये से कम
नई दिल्ली- केरल की एक संस्था ने कोरोना वायरस से जंग लड़ रही दुनिया को आशा की एक नई किरण दिखाई है। इस संस्था ने कोविड-19 का पता लगाने के लिए एक देसी किट विकसित किया है, जो दो घंटे से भी कम समय में रिजल्ट दे सकती है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस पर लागत भी बहुत कम आने वाला है। गौरतलब है कि टेस्टिंग किट की किल्लत के चलते अभी भारत को टेस्टिंग किट विदेशों से आयात कर करनी पड़ रही है। लेकिन, तिरुवनंतपुरम के एक मेडिकल इंस्टीट्यूट में तैयार नई किट सिर्फ इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की मंजूरी के इंतजार में है, जिसके बाद यह हर जिलों और कस्बों के छोटे-मोटे अस्पतालों में भी प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियनों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।

कोविड-19 की जांच के लिए देसी किट तैयार
तिरुवनंतपुरम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी ने कोरोना वायरस की जांच के लिए एक नई किट तैयार की है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह दो घंटे से भी कम समय में 100 फीसदी सटीकता के साथ जांच के नतीजे दे देती है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस जांच पर लागत भी ज्यादा से ज्यादा 1,000 रुपये तक ही आता है। इस किट को 'Chitra GeneLAMP-N' का नाम दिया गया है, जो नोवल कोरोना वायरस को पकड़ने के लिए ही डिजाइन की गई है। जानकारी के मुताबिक जब संक्रमण फैलने के दौरान कोविड-19 म्युटेशन की दौर से गुजर रहा होता है, तब भी यह उसका सटीकता के साथ पता लगाने में सक्षम है।

आईसीएमआर से मंजूरी का इंतजार
जिन लोगों ने इस कोविड-19 टेस्ट किट को विकसित किया है, उनके मुताबिक वायरस का पता लगाने में इस किट को 10 मिनट का ही वक्त लगता है, लेकिन, सैंपल कलेक्ट करने से लेकर जांच के नतीजे देने तक की पूरी प्रक्रिया में अधिकतम दो घंटे का वक्त लग सकता है। इस किट की एक बड़ी खासियत ये है कि इसके लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन में एक साथ 30 सैंपलों की जांच हो सकती है। मशीन की अनुमानित कीमत 2.5 लाख रुपये बताई गई है। इस जांच का परीक्षण एनआईवी अलप्पुझा में हुआ है, जो आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त है। अब इस जांच को इंडियन काउंसिल ऑफमेडिकल रिसर्च से मंजूरी मिलने का इंजार है, जिसके बाद सीडीएससीओ से लाइसेंस लेकर निर्माण शुरू किया जा सकता है।

तीन हफ्तों की मेहनत से बनी नई टेस्टिंग किट
इस किट को श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी विंग के डॉक्टर अनूप और उनकी टीम ने पिछले तीन हफ्तों की मेहनत से तैयार किया है। संस्था की डायरेक्टर डॉक्टर आशा किशोर के मुताबिक, 'यह उपकरण दुनिया में पहला नहीं तो इस तरह के कुछ पहले उपकणों में जरूर शामिल होगा। हमनें इस उपकरण को फास्ट ट्रैक मोड में विकसित किया है।' यहीं के विज्ञान और तकनीकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा के मुताबिक 'एक नए, कम खर्च वाले,कोविड-19 की जांच के लिए श्री चित्रा द्वारा रैपिड कंफर्मेटरी तैयार करना, इस बात का उदाहरण है कि कैसे क्लीनिसियंश और साइंटिस्ट्स की एक क्रियेटिव टीम एकजुटता के साथ बिना रुकावट के काम करके नॉलेज और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करके एक आवश्यक सफलता हासिल कर सकती है।'
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