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हिंसा की लपटों के बीच इन्होंने पेश की हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल, यूं बचाई एक दूसरे की जान

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नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को भड़की हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है। इस दंगे में कई लोग के घर जलकर खाक हो गए तो कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया। दूसरी ओर इन दंगों में कई जगह इंसानियत की मिसाल पेश करने वाली खबरें भी सामने आई हैं। ऐसी ही एक पॉजिटिव खबर दिल्ली के शिव विहार इलाके से सामने आई है जहां एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में रहने वाले हिंदू परिवार की सुरक्षा के लिए मुसलमान पड़ोसी सामने आए।

उपद्रवियों ने हिंसा की आग में सब कुछ जला दिया

उपद्रवियों ने हिंसा की आग में सब कुछ जला दिया

दरअसल, दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में पिछले दिनों भड़की हिंसा ने देश में बवाल मचा हुआ है। उपद्रवियों ने हिंसा की आग में सब कुछ जला दिया। एक तरफ जहां हर तरफ खौफ का माहौल था वहीं कई ऐसे लोग भी थे जो दूसरे धर्म के लोगों को उपद्रवियों से बचाकर इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे थे। शिव विहार मुस्लिम बहुल इलाके में रहने वाले राम सेवक को दंगाइयों से उनके अपने मुस्लिम पड़ोसियों ने बचाया।

शिव विहार के राम सेवक ने बताई अपनी कहानी

शिव विहार के रहने वाले राम सेवक बताते हैं कि जहां वह रहते हैं वहां आस-पास सिर्फ एक दो हिंदू परिवार हैं। अपने मुसलमान भाईयों को बीच रहते हुए पिछले 35 साल में हमें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आई। जब दिल्ली में हिंसा भड़की हुई थी तो हमारे मुस्लिम भाइयों ने कहा, अंकल जी आप आराम से सोइए हम आपको कोई नुकसान नहीं होने देंगे। राम सेवक ने कहा, हिंसा के बीच हमें ऐसा बिल्कुल महसूस नहीं हुआ की यहां हम अकेले हैं।

बरखा दत्त ने शेयर की एक पॉजिटिव स्टोरी

बरखा दत्त ने शेयर की एक पॉजिटिव स्टोरी

ऐसी ही एक कहानी वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त सामने लेकर आई हैं जहां उन्होंने उस व्यक्ति से बात की जिसने अपने मुस्लिम पड़ोसियों को दंगाईयों से बचाया। बरखा दत्त ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और मुजीबुर रहमान को बचाने वाले संजीव से बात की। इंटरव्यू के दौरान संजीव ने बताया कि हिंदू, मुस्लिम या कोई भी हो उसकी जान बचाना इंसानियत के नाते मेरा फर्ज था। उन्होंने बताया कि हमारी गली के लोग शांतिप्रिय लोग हैं लेकिन दंगा करने वाले बाहर से आए थे।

संजीव के गली वाले ही हुए विरोधी

संजीव ने कहा, जब मैं काम पर से लौटा तो देखा कुछ उपद्रवी मुजीबुर रहमान का दरवाजा तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। मुजीबुर ने फोन किया और कहा हमारी जान को खतरा है क्या हम आपके घर लेट जाएं? संजीव ने अपने घर में उन्हें शरण दी। संजीव ने कहा हम पिछले 25 साल से साथ रह रहे हैं और एक दूसरे के सुख-दुख में भागीदार होते हैं। हमारा जो भी मसला होता है यहीं खत्म हो जाता है। मैंने हिंसा के दौरान हिंदू-मुस्लिम दोनों भाईयों की जान बचाई। अपने बारे में बताते हुए संजीव भावुक हो गए, उन्होंने कहा कि मेरी गली में सब मुझे आज गद्दार समझ रहे हैं। संजीव ने बताया कि मुजीबुर के परिवार के जाने के बाद से उनकी बेटी ने खाना नहीं खाया है।

यह भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा में खत्म हुई असगरी के घर की खुशियां, GTB अस्पताल में पड़े हैं आमिर और हाशिम के शव

Comments
English summary
They set an example of Hindu-Muslim unity in Delhi violence saving each others life
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