Chandrayaan-2 मॉं के जैसे बेसब्री से कर रहीं चंद्रयान-2 की सफलता का इंतजार
बेंगलुरु । जिस पल का इंतजार पूरा भारत देश समेत दुनिया भर के वैज्ञानिक कर रहे थे वह अब नज़दीक है। शुक्रवार यानी आज देर रात भारत का चंद्रयान-2 चांद की सतह पर लैंड करेगा। इस पल में सब कुछ ठीक रहे और चंद्रयान 2 मिशन सफल रहें इसके लिए मॉं की तरह दुआ यह दो महिलाएं कर रही हैं। इस ऐतिहासिक घड़ी के लिए वह हर पल लंबे समय से टकटकी लगाए बैठीं हैं।
ये महिला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर रितू करिधल और प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनीता हैं। जिनके हाथों में इसरो के चंद्रयान 2 मिशन की पूरी कमान हैं। यह इसरो के अन्य वैज्ञानिकों के संग हर पल चंद्रयान 2 की सफलता को बिल्कुल अपने बच्चे की सफलता के रूप में देख रही हैं। वह चंद्रयान 2 को चांद की ओर बढ़ते एक-एक कदम की देखभाल अपने एक बच्चे की तरह कर रही हैं।
इसरो के अध्यक्ष डॉ सिवन समेत अन्य वैज्ञानिकों के साथ इन्हें चंद्रयान 2 की चांद पर सॉफ्ट लैडिंग में सफलता पर पूरा विश्वास हैं। वह उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जब चंद्रयान 2 चांद पर लैन्ड करने के बाद लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' चांद पर अपने कदम बढ़ाते हुए दुनिया को चांद के दक्षिणी ध्रुव से जुड़े रहस्यों को खोलेगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर रितू करिधल और प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनीता इससे अध्यात्मिक और भावानात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं। इनके लिए चंद्रयान 2 एक बच्चे के समान हैं जिसको वह उसके जन्म से देखभाल कर रही हैं। इसरो के अन्य वैज्ञानिकों के साथ वह इसरो बेंगलुरु सेंटर से चंद्रयान 2 की लांचिंग के बाद से ही पल पल उसकी सफलता के लिए प्रयास कर रहीं हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पूरे में अभियान में 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह भी चंद्रयान 2 की सफलता के लिए दुआएं मांग रही हैं। यह पहली बार नहीं है जब इसरो में महिलाओं ने किसी बड़े अभियान में मुख्य भूमिका निभाई हो। इससे पहले मंगल मिशन में भी आठ महिलाओं की बड़ी भूमिका रही थी।
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 को इसरो ने 22 जुलाई, 2019 को सफलतापूर्वक लांच किया था। इसकी सफल लांचिंग का पूरा क्रेडिट इसरो की टीम में शामिल वनिता मुथय्या और रितु कारिधल को जाता है। ये दोनों ही इसको का काम चंद्रयान-2 के जमीन पर वापिस आने तक जारी रहेगा।
'रॉकेट वुमन' रितू करिधल
चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर रितू करिधल है मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। रितु कारिधल को 'रॉकेट वुमन' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने चंद्रयान-2 के ऑटोनोमी सिस्टम को भी डिज़ाइन किया है। रितु कारिधल ने बैंगलोर आईआईएससी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है। इससे पहले मार्स ऑरबिटर मिशन के लिए इसरो टीम अवॉर्ड मिला ।
वह लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं। साल 2007 में उन्हें पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका हैं। विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर उनका जुनून उन्हें इसरो तक ले गया। वह क़रीब 20-21 सालों में इसरो में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुकी हैं।
इनमें मार्स ऑर्बिटर मिशन बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण के समय एक साक्षात्कार में कहा था कि अक्सर ये कहा जाता है कि पुरुष मंगल ग्रह से आते हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से आती हैं। लेकिन मंगल अभियान कि सफलता के बाद कई लोग महिला वैज्ञानिकों को 'मंगल की महिलाएं' कहने लगे हैं। उन्होंने कहा, ''मैं पृथ्वी पर रहने वाली महिला हूं, एक भारतीय महिला जिसे एक बेहतरीन मौक़ा मिला है ''
'बेस्ट वुमन साइंटिस्ट' एम वनीता
चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी इसरो की महिला वैज्ञानिक एम वनीता को सौंपी गई है। वनिता मुथय्या (40) पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने इसरो में बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर पद पर रहीं। वो डेटा हैंडलिंग में एक्सपर्ट हैं, इसी वजह से उन्होंने रिमोट सैटेलाइट्स का डेटा भी संभाला है। इससे पहले वह चंद्रयान-1 के अलग-अलग पेलोड्स से आने वाले डेटा का विश्लेषण करती थीं।
वनिता मुथय्या के पास चंद्रयान-2 के लॉन्च और धरती पर वापस आने तक की जिम्मेदारी हैं। वर्ष 2006 में एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने उन्हें बेस्ट वुमन साइंटिस्ट के पुरस्कार से सम्मानित किया था। वनीता प्रोजेक्ट के सभी पहलुओं को संभाल रही हैं जिससे अभियान सफल हो सके।
प्रोजेक्ट का हर काम उनकी निगरानी में होगाजानकारों के अनुसार किसी भी मिशन में प्रोजेक्ट डायरेक्टर की भूमिका काफी अहम होती है। अभियान की सफलता की पूरी जिम्मेदारी प्रोजेक्ट डायरेक्टर पर ही होती है। वह पूरे अभियान का मुखिया होता है। किसी भी अंतरिक्ष अभियान में एक से ज्यादा मिशन डायरेक्टर हो सकते हैं, लेकिन प्रोजेक्ट डायरेक्टर केवल एक ही होता है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर के ऊपर एक प्रोग्राम डायरेक्टर भी होता है।
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