घाटी में सिर्फ इन दो महिला ऑफिसर्स पर है सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी जिम्मेदारी
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में जब से धारा 370 हटाई गई है सुरक्षाबल पूरी तरह से चौकन्ना है। हर सेकेंड सीआरपीएफ, सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं। तमाम जवानों के बीच दो फीमेल ऑफिसर्स भी हैं जो एक भी पल को अपनी ड्यूटी से टस से मस नहीं हुई हैं। साल 2013 की आईएएस ऑफिसर डॉक्टर सैयद सेहरिश असगर और साल 2016 की आईपीएस ऑफिसर पीके नित्य पर जो जिम्मेदारी है उसे सुनकर आपको लग सकता है कि यह आसान काम है। लेकिन कश्मीर जहां पर इस समय हालात थोड़े तनावपूर्ण हैं, वहां पर इस जिम्मेदारी को निभाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से एक रिपोर्ट में इन महिला ऑफिसर्स के बारे में बताया गया है।
चार दिन पहले ही हुई कश्मीर तैनाती
पांच अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने की घोषणा की। सरकार के इस ऐलान से चार दिन पहले ही डॉक्टर असगर को जम्मू कश्मीर एडमिनिस्ट्रेशन में डायरेक्टर ऑफ इनफॉर्मेशन के तौर पर नियुक्त किया गया था। श्रीनगर में उनकी पोस्टिंग हुईऔर उनका काम आमतौर पर लोगों को सरकार की योजनाओं के बारे में बताना था। पिछले आठ दिनों से वह लगातार लोगों की शिकायतों को सुनन रही हैं। असगर और नितिया, सिर्फ ये दो महिला ऑफिसर्स इस समय घाटी में तैनात हैं। जो दूसरी टॉप ब्यूरोक्रेट्स हैं वे या तो जम्मू में तैनात हैं या फिर उनकी तैनाती लद्दाख में हुई है।
लोगों को फोन पर अपनों से बात कराने का जिम्मा
एक वर्ष के बेटे की मां डॉक्टर असगर की नई जिम्मेदारी घाटी के लोगों की उनसे सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे अपनों से फोन पर बात कराने और उन्हें डॉक्टर मुहैया कराने की है। वह बताती हैं, 'डॉक्टर के तौर पर मैं मरीजों का इलाज करती थी लेकिन आज घाटी में अलग चुनौतियां हैं जिन्हें कभी सख्ती तो कभी नरमी के साथ डील करना पड़ता है। उनका कहना है कि अगर महिलाएं समाज में बदलाव ला सकती हैं, तो उन्हें खुशी होगी। उनके पति इस वक्त पुलवामा में कमिश्नर हैं।
ऑफिसर नित्य पर वीआईपी सिक्योरिटी का जिम्मा
आईपीएस ऑफिसर छत्तीसगढ़ की नित्य पुलिस सर्विस में आने से पहले एक सीमेंट कंपनी में मैनेजर की कॉर्पोरेट नौकरी करती थीं। नेहरू पार्क की सब-डिविजनल पुलिस ऑफिसर नित्य की मानें तो आम नागरिकों की सुरक्षा के साथ ही उन्हें वीवीआईपी की सुरक्षा भी देखनी होती है। वह बताती हैं कि घाटी में उनकी जिंदगी छत्तीसगढ़ की जिंदगी से बिलकुल अलग है। उन्हें कई बार गुस्साए लोगों का सामना करना पड़ता है। वह बताती हैं, 'मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग से हूं जहां हमेशा शांति रही है लेकिन मुझे चुनौतियां पसंद हैं।'
संवेदनशील इलाके पर रख रही हैं नजर
केमिकल इंजिनियरिंग से बीटेक करने वाली नित्य, कश्मीरी और हिंदी के अलावा तेलुगू भाषा की भी अच्छी जानकार हैं। ऑफिसर नित्य पर राम मुंशी बाग से हारवान दागची गांव के बीच पड़ने वाले इलाके पर नजर रखने की जिम्मेदारी है। 40 किलोमीटर की दूरी वाला यह हिस्सा काफी संवेदनशील है। यह हिस्सा न सिर्फ डल झील को कवर करता है बल्कि यहां पर राज्यपाल का घर भी है और ऐसी बिल्डिंग्स भी हैं जहां पर वीआईपीज को हिरासत में रखा गया है।