UNSC में जम्मू कश्मीर पर अकबरुद्दीन के ये 5 डायलॉग्स याद रखेगा पाकिस्तान
न्यूयॉर्क। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी में जम्मू कश्मीर पर बंद कमरे में मीटिंग हुई और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है। मीटिंग के बाद यूएन में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने जिस अंदाज में मीडिया के सामने देश का रुख स्पष्ट किया, उसके बाद उन्हें जमकर तालियां मिल रही हैं। अकबरुद्दीन करीब 18 मिनट तक मीडिया के सामने थे और इस दौरान उन्होंने ऐसी बातें कहीं जो पाकिस्तान के लिए सबक के लिए हैं। हम आपको उन पांच डायलॉग्स के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने लोगों का दिल जीत लिया और पाक को हमेशा अकबरुद्दीन की याद आती रहेगी। यूएन में पोस्टिंग के बाद अकबरुद्दीन की यह पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस थी।
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आतंकवाद रोको और बात करो
'कोई भी लोकतांत्रित देश इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि एक तरफ आतंकवाद पनप रहा हो और उसी पल बातचीत भी हो रही हो। बातचीत करनी है तो आतंकवाद को रोको।'
'जम्मू कश्मीर और आर्टिकल 370 सिर्फ भारत का आतंरिक मामला'
'यूएनएससी एक विस्तृत संगठन है और सब जानते हैं कि यह कैसे काम करता है। जब दो देशों ने बयान जारी किया तो मुझे लगा कि मैं भी अपने देश की स्थिति के बारे में आपको बता दूं। हमारी राष्ट्रीय स्थिति जो हमेशा से थी और आगे भी रहेगी और वह है कि मुद्दे जो आर्टिकल 370 और जम्मू कश्मीर से जुड़े हैं, पूरी तरह से भारत के आतंरिक मसले हैं।'
भारत का संवैधानिक मसला
'बहुत शुक्रिया आपने इस बात को स्वीकारा कि आर्टिकल 370 भारत का आंतरिक मसला है और यह सिर्फ भारत के संविधान से जुड़ा है।'
सेना पर मानवाधिकार के आरोप पर जवाब
'मुझे नहीं मालूम आप किस बारे में बात कर रही हैं और किसने हमारी सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन की बातें कहीं। किसी भी संस्था ने जो सरकार से जुड़ी हैं किसी ने भारत पर ऐसे आरोप लगाए हैं। '
'आप पाकिस्तान के साथ वार्ता कब शुरू करेंगे?'
'चलिए मैं आपसे, आप तीनों से हाथ मिलाकर इसकी शुरुआत कर देता हूं। मैं आपको बता देना चाहता हूं कि हमने पहले ही अपनी तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है जब हमनें यह कहा कि हम शिमला समझौते पर प्रतिबद्ध हैं। अब हमें उस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का इंतजार है।'