इसलिए भगोड़े विजय माल्या के प्रत्यर्पण में हो रही है देरी, जानिए विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरूवार को भगोड़ा उद्योगपति विजय माल्या के लंदन से प्रत्यर्पण में हो रही देरी पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि जब तक ब्रिटेन में गुप्त कानूनी फंसे माल्या पर कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती है है तब तक करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के आरोपी माल्या का भारत में प्रत्यर्पण मुश्किल है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि माल्या ने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील के सभी रास्ते खत्म कर दिए हैं।
माल्या के ब्रिटेन में राजनीतिक शरण का विकल्प चुन सकता है
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोहराया कि भारत सरकार ब्रिटेन में गुप्त कार्यवाही के लिए पार्टी नहीं थी। उन्होंने बताया कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ निरंतर संपर्क हैं कि माल्या का जल्द से जल्द प्रत्यर्पण किया जाए। दिलचस्प बात यह है कि उक्त अटकलें तब लगाई जा रही है जबकि माल्या के ब्रिटेन में राजनीतिक शरण का विकल्प चुन सकता है, जो प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में और देरी कर सकता है।
माल्या के प्रत्यर्पण के लिए लंदन की अदालत से आदेश हो गया था
प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि विजया माल्या के प्रत्यर्पण के लिए लंदन की अदालत से 10 दिसंबर, 2018 को आदेश हो गया था, लेकिन माल्या ने फैलले को ब्रिटिश उच्च न्यायाल में चुनौती दी ती, जिसे उच्च न्यायायल ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी और उच्चतम न्यायालय ने 14 मई, 2020 का खारिज कर दिया था, लेकिन ब्रिटेन में एक गोपनीय कानून मामले में फंसा माल्या अब उसके लिए संजीवनी बन गया है, क्योंकि उसमें पार्टी नहीं है।
माल्या पर 9000 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी के गंभीर आरोप हैं
गौरतलब है माल्या पर भारतीय बैंकों से किंगफिशर एयरलाइंस (KFA) द्वारा उधार ली गईं 9000 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक कर्ज से संबधित धोखाधड़ी और मनी लॉंन्डिरिंग के गंभीर आरोप हैं। माल्या वर्ष 2017 में अपनी प्रारंभिक गिरफ्तारी के बाद से ब्रिटेन में जमानत के बाहर है। वर्ष 2019 में वह प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर आर्थिक भगोड़ा अपराधी घोषित होने वाला पहला व्यक्ति बना था।