आगे देशव्यापी लॉकडाउन की संभावना नहीं, लेकिन ऐसी सख्ती के लिए तैयारी रहिए
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार से दो दिनों तक एकबार फिर से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। जाहिर है कि ये बैठक उस वक्त हो रही है, जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोविड-19 संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 3,32,424 हो चुके हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इनमें डेढ़ लाख से ज्यादा केस ऐक्टिव हैं। वैसे ये भी सही है कि संक्रमितों में 1,69,798 लोग ठीक भी हुए हैं। लेकिन, जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी की चिंता कुछ राज्यों में संक्रमण तेजी से फैलने को रोकने को लेकर होगी। मुख्यमंत्रियों के साथ दो दिनों की मैराथन बैठक के चलते एकबार फिर से देशव्यापी लॉकडाउन की भी अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। लेकिन, फिलहाल जो स्थिति है, उसमें कोरोना संक्रमण को रोकना जितना जरूरी है, उतना ही अर्थव्यवस्था को बचाए रखने की भी चुनौती है; और इसलिए फिलहाल देशव्यापी लॉकडाउन फिर से लागू करने की संभावनाएं कहीं से भी नजर नहीं आ रही हैं। अलबत्ता, प्रधानमंत्री उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से जरूर कह सकते हैं कि वह अपने राज्यों में संक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम उठाने को स्वतंत्र हैं, लेकिन हर हाल में वायरस को रोकना जरूरी है।
लॉकडाउन नहीं तो ऐसी सख्ती के लिए तैयारी रहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रियों की होने वाली अगली बैठक 16 और 17 जून को तय की गई है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार इसबार मुख्यमंत्रियों की दो बैच बनाए जाने की संभावना है। इनमें जो राज्य कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे ज्याद प्रभावित हैं, मसलन महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात या तमिलनाडु जैसे राज्यों के साथ 17 जून को चर्चा होने की संभावना है। जबकि, जहां अभी केस बाकी राज्यों के मुकाबले फिर भी कम हैं, उनके मुख्यमंत्रियों से पीएम मोदी पहले दिन यानि 16 जून को ही चर्चा कर सकते हैं। इस विषय की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकार अधिकारी ने बताया कि 'अब फैसला राज्यों को ही करने दिया जा सकता है, लेकिन केंद्र सरकार उसके साथ नजदीकी समन्वय बनाकर रख सकती है। अनुमान है कि प्रधानमंत्री मुख्यमंत्रियों से उनकी राय मांगेंगे और एक सामान्य रणनीति तैयार करेंगे। संपूर्ण लॉकडाउन को फिर से लागू करने की कोई योजना नहीं है।'
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टेस्टिंग बढ़ाने पर डाल सकते हैं जोर
इस वक्त केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर टेस्ट पॉजिटिविटी रेसियो (टीपीआर) पर है, जो राष्ट्रीय स्तर पर इस समय 5.6 % है। नोवल कोरोना वायरस को रोकने के मामले में किस राज्य का प्रदर्शन कैसा है, उसे समझने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण संकेत है। ऐसे में जिन राज्यों का टीपीआर बहुत ही खराब है (जैसे कि दिल्ली, जो अभी 30% के आसपास है),उन्हें प्रधानमंत्री टेस्टिंग की संख्या तेजी से बढ़ाने का मशवरा दे सकते हैं। इसके तहत जिन बड़े शहरों में ज्यादा कंटेंमेंट जोन बन चुके हैं, उनसे डोर-टू-डर लोगों की स्क्रीनिंग करने को कहा जा सकता है, ताकि संक्रमितों की पहचान जल्द से जल्द हो सके, जिससे कि मॉर्टिलिटी काबू में रहे। संभावना है कि इसके लिए प्रधानमंत्री उन राज्यों को टेस्टिंग तेज करने के लिए कह सकते हैं, जिससे कि जून के आखिर तक ज्यादा से ज्यादा मरीजों का पता लगाया जा सके और मॉर्टिलिटी को कम से कम किया जा सके।
बचाव के उपायों को सख्ती से लागू करवाने पर जोर
इनके अलावा पीएम मोदी कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित राज्यों को बचाव के उपायों का सख्ती से पालन करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। मसलन, राज्यों से लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करवाने के लिए कहा जा सकता है और जो लोग इसकी अहमियत को समझने के लिए तैयार नहीं होते हैं, उनपर जुर्माना लगाने को भी कहा जा सकता है, ताकि लोग हालात की गंभीरता को समझें। दरअसल, केंद्र सरकार को कुछ राज्यों से ऐसी फीडबैक मिली है कि वहां कोरोना वायरस से बचाव के उपायों को लोगों ने हल्के में लेना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि राज्यों को इस बात की छूट होगी कि वे चाहें तो वह अपनी ओर से पाबंदियों को और भी सख्त कर सकते हैं। मसलन, पंजाब वीकेंड पर सख्त लॉकडाउन लागू कर रहा है तो राजस्थान ने इस हफ्ते अपनी सीमाएं सील करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि अगर लोग बचाव के प्रति सतर्क नहीं रहे तो उन्हें सख्ती बरतनी पड़ सकती है।
रिकवरी रेट के मोर्चे पर अच्छी स्थिति
रविवार को देश में रिकवरी रेट 50 % को पार कर गया, जिससे केंद्र सरकार बहुत ही खुश ही। लेकिन, जिस तरह से देश में ऐक्टिव केस 1.5 लाख से ज्यादा हो चुके हैं, उससे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ने वाले दबाव को लेकर केंद्र चिंतित है। जैसे कि यूपी में उसकी क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है, जबकि दिल्ली जैसे राज्यों पर दबाव बहुत ही ज्यादा बढ़ रहा है। मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली दोनों बैठकों में इन तमाम विषयों पर चर्चा की संभावना है और केंद्र सरकार उसी के मुताबिक आगे की गाइडलाइंस तय करेगी। क्योंकि, लॉकडाउन खुलने के बाद बढ़ते केस को काबू में करना बहुत बड़ी चुनौती बन गई है।