एक नृत्यांगना से जुड़ी है हैदराबाद से भाग्यनगर नामकरण की कहानी, जानिए क्या हैं हिस्टोरिकल फैक्ट?
नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और अब हैदराबाद भाग्यमती देवीं मंदिर (भाग्यनगर) को लेकर आजकल चर्चा जोरों पर हैं, जिसकी दीवार हैदराबाद के मशहूर चार मीनार से सटी हुई है। कहा जाता है कि यह चार मीनार जितना पुराना है उतना ही पुराना भाग्यमती मंदिर है, क्योंकि मंदिर का गर्भ गृह की दीवार चार मीनार की दीवार एक ही है। चार मीनार से सटे भाग्यमती मंदिर के बारे में यह प्रचलित है कि पहले मंदिर का निर्माण किया गया था, उसके बाद चार मीनार का निर्माण किया गया, लेकिन ऐहितासिक तथ्य क्या है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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चार मीनार से सटे भाग्यमती मंदिर को लेकर कब शुरू हो गई बहस?
लब्बोलुआब यह है कि अयोध्या, काशी, मथुरा के बाद अब हैदराबाद स्थित चार मीनार से सटे भागमती मंदिर को लेकर बहस शुरू हो गई है। यह चर्चा फैजाबाद को अयोध्या, इलाहाबाद को प्रयागराज करने वाले यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के हैदराबाद दौरे से शुरू हुई है। गत 28 नवंबर को ग्रेटर हैदराबाद में एक रोड शो को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी में भाजपा की सरकार आई तो हमने फैजाबाद को अयोध्या कर दिया, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया और अब हैदराबाद को भाग्यनगर बनाना है।
हैदराबाद और भाग्यनगर के नामकरण के पीछे का क्या है इतिहास ?
अब सबसे बड़ा सवाल जो उभर कर सामने आ रहा है कि आखिर हैदराबाद और भाग्यनगर के नामकरण के पीछे का इतिहास क्या है। क्या इसमें कोई सच्चाई है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर था, जिसे बदलकर बाद में हैदराबाद कर दिया है। इतिहास में झांकने पर पता चलता है कि हैदराबाद में स्थित भागवती मंदिर का भूमि अयोध्या की राम मंदिर की तरह ही विवादित रहा है, जिसको लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिंदू और मुस्लिमों के बीच विवाद का केंद्र रहे जमीन पर 2012 में मंदिर के कुछ निर्माण को लेकर विवाद गहरा गया था, जिस पर हाई कोर्ट ने बाद में रोक लगा दी थी।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में चर्चा का विषय बना भाग्यवती मंदिर
यही कारण है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाग्यवती मंदिर चर्चा का विषय बना, क्योंकि मंदिर की दीवार से हैदराबाद के चार मीनार बिल्कुल सटा हुआ है। हैदराबाद के दौरे पर पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह भी इसकी महत्ता को समझते हुए वहां पहुंचने के बाद भाग्यवती मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना की। ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में भाग्यवती मंदिर को एक चुनावी मुद्दा बनकर उभरा था और रोड शो में पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात छेड़कर मुद्दे का पूरा राजनीतिकरण कर दिया, जिससे ओवैसी बंधु को बयान देने के लिए मजबूर कर दिया।
500 साल पूर्व भाग्यवती नर्तकी के नाम पर एक शहर बसा था भाग्यनगर
गौरतलब है इतिहास में हैदराबाद में भाग्यनगर को लेकर कई किस्से प्रचलित है, जिसमें एक तथ्य सुझाते है कि सैकड़ों पहले हैदराबाद का नाम भाग्यनगर था, जिसे भाग्यवती नामक नृत्यांगना के नाम पर रखा गया है। इतिहासकारों की मानें तो करीब 500 साल पहले हैदराबाद की हुकूमत गोलकोंडा राजवंश के सुल्तान कुली कुतुब शाह और नृत्यांगना भाग्यवती की प्रेम कहानी से जुड़ा है भाग्यनगर की थ्योरी। इस थ्योरी के मुताबिक कुली कुतुब को नृत्यांगना से पहली नजर में प्यार हो गया था और उसके नाम पर भाग्यनगर बसाया गया था।
गोलकोंडा सुल्तान कुली कुतुब शाह-भाग्यवती की प्रेम कहानी और तथ्य?
चूंकि नृत्यांगना भाग्यवती एक हिंदू थी, तो कुली कुतुब शाह ने नए बसाए शहर ( वर्तमान हैदराबाद) का नामकरण पत्नी भाग्यवती के नाम से कर दिया, जिससे वह भाग्यनगर कहलाता था, लेकिन बाद में कुली कुतुब शाह ने ही भाग्यनगर का नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया है। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि उन्होंने पत्नी भाग्यवती को हैदर महल की उपाधि दी थी, जिसके बाद उन्होंने भाग्यनगर को हैदर और फिर उसके बाद हैदराबाद नामकरण कर दिया।
कहा जाता है कि नृत्यांगना भाग्यवती एक बंजारा समुदाय से थी
कहा जाता है कि नृत्यांगना भाग्यवती एक बंजारा समुदाय से थी और उनका परिवार नाच-गाकर और खेल-तमाशा दिखाकर गुजारा करता था। चूंकि भाग्यवती काफी खूबसूरत थी, तो गोलकोंडा के शहजादे कुली कुतुब शाह का उन पर दिल आ गया और उन्होंने भाग्यवती से शादी कर ली। हालांकि यह शादी गोलकोंडा के शहजादे के लिए आसान नहीं था, लेकिन तमाम विरोधों के बाद यह शादी संपन्न हो गई। अली कुतुब शाह पत्नी भाग्यवती से बहुत प्रेम करते थे और इसी प्रेम को जाहिर करने के लिए उन्होंने भाग्यनगर को बसाया था।
कुछ ऐसे प्रमाण हैं, जो बताते है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर था
इतिहासकार कहते हैं इतिहास में कुछ ऐसे प्रमाण मौजूद हैं, जो बताते है कि शहर का नाम पहले भाग्यनगर था, जिसे बाद में बदलकर हैदराबाद किया गया। कहा गया जाता है कि वर्ष 1589 में कुली कुतुब शाह ने भाग्यवती से शादी रचाई थी। वरिष्ठ इतिहासकार फिरोज बख्त अहमद के मुताबिक इतिहास में जिक्र मिलता है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर था और सैंकड़ों साल बाद भाग्यनगर का नाम बदल कर हैदराबाद रखा गया। यही बात हैदराबाद चुनाव में बीजेपी नेता और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में दोहराई है।
हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने के समर्थन में उतरे MLA राजा सिंह
तेलंगाना में बीजेपी विधायक राजा सिंह भी हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की वकालत की है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की कवायद निकाय चुनाव में हिंदू वोटरों को बीजेपी की ओर आकर्षित करने के लिए किया है। शायद यही कारण था कि हैदराबाद चुनावी रैली में जाने से पहले गृह मंत्री अमित शाह भी भाग्यदेवी मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंच गए थे। 1 दिसंबर को ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में मतदान हो चुके हैं और नतीजों में नाम बदलने की कवायद का कितना लाभ बीजेपी को मिल पाता है, यह देखने वाली बात होगी।
विख्यात इतिहासकार नरेंद्र लूथर कहते हैं कि भाग्यनगर कभी था ही नहीं?
हालांकि डेक्क्न क्रॉनिकल में छपी एक खबर के मुताबिक विख्यात इतिहासकार नरेंद्र लूथर कहते हैं कि भाग्यनगर कभी था ही नहीं। उनके मुताबिक शहर का नाम भागनगर था, जिसका उल्लेख 1951 के आसपास मिलता है, जिसका नाम बाद में बदलकर हैदराबाद किया था। इसलिए भाग्यनगर और नृत्यागंना भाग्यवती की कहानी की सच्चाई को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हालांकि हैदराबाद के चिचलम गांव में भागवती नामक एक हिंदू नृत्यांगना का उल्लेख मिलता है।
भाग्यवती कहानी के समर्थक कोई तथ्य नहीं पेश कर सके हैंः इतिहासकार
निजाम ट्रस्ट के सांस्कृतिक सलाहकार और इतिहासकार मोहम्मद सफीउल्लाह के मुताबिक भागवती की कहानी के समर्थक कोई भी ऐतिहासिक तथ्य अभी तक प्रस्तुत नहीं कर सके हैं। मोहम्मद सफील्लाह हैदराबाद के नामकरण पर करीब 100 पेजों वाले किताब फॉरेवर हैदराबाद लिखी है। उनके मुताबिक 16वीं सदी की कोई पांडुलिप, नक्काशी, शिलालेख, सिक्के, मजार या स्मारक में भागवती की कहानी के समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं मिला है। उनका दावा है कि 16वीं सदी की एक महिला के बारे में जो प्रमाण 19वीं सदी में प्रस्तुत किए गए हैं, वो यकीनन सालों की कल्पना के नतीजे से अधिक कुछ नहीं हैं।