नरेंद्र मोदी को शिवाजी और शाह को तानाजी दिखाने पर बवाल
छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर पिछले कुछ दिनों से चले आ रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है. पहले एक किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना शिवाजी से करने पर काफी बवाल मचा था और अब एक वीडियो में मोदी को शिवाजी और अमित शाह को तानाजी के रूप में दिखाने पर विवाद गहरा गया है. वीडियो में हाल ही में रिलीज़ फ़िल्म 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' के दृश्यों का इस्तेमाल किया गया है.
छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर पिछले कुछ दिनों से चले आ रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है.
पहले एक किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना शिवाजी से करने पर काफी बवाल मचा था और अब एक वीडियो में मोदी को शिवाजी और अमित शाह को तानाजी के रूप में दिखाने पर विवाद गहरा गया है.
वीडियो में हाल ही में रिलीज़ फ़िल्म 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' के दृश्यों का इस्तेमाल किया गया है.
क़रीब 100 सेकेंड के इस वीडियो में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को मुग़ल सरदार उदयभान सिंह राठौर के रूप में दिखाया गया है.
पिछले दिनों बीजेपी नेता जयभगवान की एक किताब 'आज के शिवाजी: नरेंद्र मोदी' को लेकर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. हालांकि बीजेपी ने साफ़ स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि यह लेखक के निजी विचार है. बीजेपी ने ख़ुद को उस विवाद से दूर ही रखा था.
मोदी-शिवरायांच्या तुलनेवर वंशजांनी बोलावेः राऊतhttps://t.co/eJtYKcDvsJ@rautsanjay61 #BJP #ShivSena
— Maharashtra Times (@mataonline) January 12, 2020
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ मोदी को शिवाजी के रूप में दिखाने वाले इस वीडियो को कथित तौर पर दिल्ली चुनावों से पहले सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जा रहा है. दिल्ली विधानसभा के चुनाव आठ फरवरी को होने हैं.
राज्य सभा सांसद और शिव सेना के प्रवक्ता ने शिवाजी के वंशज संभाजी छत्रपति के ट्वीट को री-ट्वीट किया है.
संभाजी छत्रपति ने लिखा, "पुस्तक छपी, अब वीडियो आ गया है, ये असहनीय-अशोभनीय और निंदनीय है. संबंधित पक्षों को इस पर अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए और केंद्र सरकार को इसकी जाँच कराकर दोषियों को सज़ा दिलानी चाहिए."
ट्विटर हैंडल @vijayrawoot ने लिखा, "बीजेपी का नाम लेने में क्या दिक्कत है? बीजेपी का नाम क्यों नहीं लेते? इतना कूटनीतिक न बनें. ये मराठा अस्मिता और छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति हमारे सम्मान का सवाल है. इसे गंभीरता से लीजिए."
संजय राउत ने वीडियो पर कड़ा एतराज़ जताते हुए कहा, "शिवाजी हमारे देवता हैं और हम उनका अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे."
महाराष्ट्र के गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने इस वीडियो की निंदा की है. देशमुख ने कहा कि उन्हें इस वीडियो के बारे में शिकायत मिली है और वो इस मुद्दे को यू-ट्यूब के सामने रखेंगे.
बीजेपी ने कहा है कि इस वीडियो क्लिप का पार्टी से कुछ लेना-देना नहीं है और वो कभी भी किसी की तुलना छत्रपति शिवाजी से करने का समर्थन नहीं करती है.
Delhi polls: Tanhaji video morphed with Modi, Shah goes viral https://t.co/hdmmfzpRC9
— Kushan Mitra (@kushanmitra) January 22, 2020
10 जनवरी को रिलीज़ हुई फ़िल्म तानाजी में शरद केलकर ने छत्रपति शिवाजी की भूमिका निभाई है, जबकि तानाजी की भूमिका में अजय देवगन और उदयभान सिंह राठौर का किरदार सैफ़ अली ख़ान ने निभाया है.
- जब शिवाजी ने तानाजी के मरने पर कहा - 'मैंने अपना शेर खो दिया'
- क्या वाकई भारी मुनाफ़े का सौदा हैं बायोपिक
शिव सेना और कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि जिस यू-ट्यूब चैनल ने इस वीडियो को जारी किया है, उसका संबंध बीजेपी से है, लेकिन महाराष्ट्र भाजपा ने इसका खंडन किया है.
महाराष्ट्र बीजेपी के विधायक राम कदम ने ट्वीट किया,"ये वीडियो पॉलिटिकल कीड़ा से जारी हुआ है. इसका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है. वो बीजेपी का आधिकारिक वीडियो नहीं है. इसे चुनावी प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है. छत्रपति महाराज की किसी से तुलना का भाजपा कभी समर्थन नहीं करेगी."
पॉलिटिकल कीडा या कुठल्याशा ट्विटर अकाऊंटवरून पोस्ट झालेल्या व्हीडिओचा भाजपाशी कुठलाही संबंध नाही.
— Ram Kadam (@ramkadam) January 21, 2020
तो भाजपाचा अधिकृत व्हीडिओ नाही. तो कुठेही प्रचारात वापरलेला नाही. छत्रपती शिवाजी महाराज यांच्याशी कुणाची तुलना करण्याचे भाजपा कधीही समर्थन करणार नाही. pic.twitter.com/cmVafJ8ZQq
कुछ दिनों पहले बीजेपी नेता जयभगवान गोयल की किताब को लेकर मचे विवाद के बाद बीजेपी ने इससे किनारा कर लिया था.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था, "जयभगवान गोयल ने एक किताब लिखी थी जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज की तुलना की गई थी. जिसका बीजेपी से कोई लेना देना नहीं क्योंकि हम नहीं जानते थे कि वो क्या लिख रहे हैं. लेकिन जैसे ही हमें पता लगा हमने इस पर आपत्ति जताई. जयभगवान बीजेपी के दफ्तर आए और उन्होंने भारत के लोगों और ख़ासकर महाराष्ट्र के लोगों से माफ़ी मांगते हुए किताब वापस ले ली."