वो रहस्मय बीमारी जिससे भारत सहित कई देश हैं परेशान, मरने के बाद भी फैलता है संक्रमण, दवाई भी बेअसर
नई दिल्ली। एक तरफ जहां मेडिकल एडवांस हो रहा है, हर बीमारी का इलाज संभव है वहीं दूसरी तरफ एक संक्रमण ने खुद को इतना फैला लिया है कि अब वो जानलेवा बन चुका है। इसकी कोई दवा भी उपलब्ध नहीं है और यह दुनिया में तेजी से फेल रही है। इस कारण पूरी दुनिया के लोग परेशान हैं। 2009 में जापान में एक व्यक्ति में इसके संक्रमण का पता चला था। यह फंगस ब्लडस्ट्रीम में पहुंचने पर शरीर में खतरनाक इन्फेक्शन पैदा करता है। डरावनी बात यह है कि फिलहाल इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। इससे भी खतरनाक बात यह है कि इससे पीड़ित व्यक्ति की भले ही मौत हो जाए लेकिन फंगस जिंदा रहता है और दूसरों के शरीर में आसानी से प्रवेश कर उन्हें भी मरीज बना सकता है।
क्या नाम है संक्रमण फैलाने वाले इस जीवाणु का
बीते साल मई माह में पेट की सर्जरी के लिए एक बुजुर्ग को न्यूयॉर्क शहर के माउंट सिनाई अस्पताल की ब्रुकलिन शाखा में भर्ती कराया गया था। ब्लड टेस्ट से पता चला कि वह एक नए खोजे गए जीवाणु से संक्रमित था क्योंकि यह रहस्यमय था। डॉक्टरों ने गहन चिकित्सा इकाई में उसे अलग कर दिया। इस जीवाणु को कैंडिडा ऑरिस नामक फंगस कहा गया। कैंडिडा ऑरिस नाम का यह फंगस उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। यह पूरी दुनिया में चुपचाप फैलता जा रहा है। पिछले पांच सालों में यह वेनेजुएला के नवजात शिशु संबंधी यूनिट और स्पेन के एक अस्पताल में फैल चुका है।
भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में पैर जमाना शुरू कर दिया है जीवाणु
फंगस के कारण एक ब्रिटिश मेडिकल सेंटर को अपनी इन्टेन्सिव केयर यूनिट तक बंद कर देनी पड़ी थी। वहीं इस फंगस ने भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी पैर जमाना शुरू कर दिए हैं। हाल ही में कैंडिडा ऑरिस न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी और इलिनॉय में पहुंचा जिसके बाद रोग नियंत्रण और रोकथाम के संघीय केंद्र ने इसे ऐसे जीवाणुओं की लिस्ट में डाल दिया जिनसे इंसानों को आज के समय में बड़ा खतरा है। माउंट सिनाई अस्पताल में भर्ती शख्स की 90 दिनों बाद मौत हो गई लेकिन कैंडिडा ऑरिस खत्म नहीं हुआ। परीक्षण से पता चला कि यह जीवाणु पूरे कमरे में फैला गया था।
संक्रमण खत्म करने के लिए दीवार की टाइलों को जड़ से उखाड़ना पड़ा
इस जीवाणु का आक्रमण इतना जबरदस्त था कि इसके बाद अस्पताल को विशेष सफाई उपकरण की आवश्यकता थी। इस जीवाणु को खत्म करने के लिए छत और फर्श की कुछ टाइलों को जड़ से उखाड़ना पड़ा। अस्पताल के अध्यक्ष डॉ स्कॉट लोरिन ने बताया कि कमरे का सब कुछ पॉजिटिव था- दीवारें, बिस्तर, दरवाजे, पर्दे, फोन, सिंक, व्हाइटबोर्ड, डंडे और पंप"। गद्दे, बेड रेल, कनस्तर का छेद, खिड़की का छाया, कमरा में सब कुछ पॉजिटिव था। कैंडिडा ऑरिस बहुत कठोर फंगल इंफेक्शन है क्योंकि यह प्रमुख एंटिफंगल दवाओं के लिए अभेद्य है। यह दुनिया के सबसे असाध्य स्वास्थ्य खतरों में से एक है।
ये हैं बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण हैं-बुखार, शरीर में दर्द और थकान। इसमें व्यक्ति पहले सामान्य प्रतीत होता है। पहले से बीमार व्यक्ति इस इंफेक्शन के चपेट में आता है। इस बीमारी के सामान्य लक्षण काफी घातक होते हैं। जो तीमारदार इस फंगल इंफेक्शन से बीमार शख्स की देखभाल करता है, उसे खुद की सुरक्षा करनी चाहिए, नहीं तो उसके भी इस बीमारी के चपेट में आने की संभावना होती है।
इलाज करने वालों को भी डर
कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वालों को भी अपनी सुरक्षा का डर रहता है। न्यू यॉर्क के एक मेडिकल सेंटर में काम करने वाले डॉ मैथ्यु मैककार्थी ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने हाल ही में जब प्रभावित 30 वर्षीय मरीज का इलाज किया तो उन्हें डर का एहसास हुआ। कैंडिडा ऑरिस पर बना रहस्य बरकरार है। फिलहाल यह कहां से आया इससे ज्यादा इसे फैलने से कैसे रोका जाए इस पर ध्यान दिए जाने की ज्यादा जरूरत है। इसके फैलने से रोकने और ट्रीटमेंट को लेकर रिसर्च शुरू की जा चुकी है।
दुनिया में चुपचाप फैल रहा यह फंगस
कैंडिडा ऑरिस दुनियाभर के अस्पताल में चुपचाप फैलता जा रहा है लेकिन सरकारें मरीजों और लोगों को जबरदस्ती डराने की बात कहते हुए इसे लेकर जानकारी प्रचारित करने के लिए तैयार नहीं हैं। यूएस में कैंडिडा ऑरिस के करीब 587 मामले सामने आ चुके हैं।