प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस पर क्या बोली देश-विदेश की मीडिया
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान एक भी प्रेस वार्ता न करने के लिए आलोचना होती रही थी. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो इस कार्यकाल के अंत-अंत में इस परंपरा को तोड़ेंगे और मीडिया के सवालों का जवाब देंगे.
अपने पांच साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से रूबरू हुए.
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुलाई थी, लेकिन इसमें नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की, जिसकी उम्मीद कोई नहीं कर रहा था.
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान एक भी प्रेस वार्ता न करने के लिए आलोचना होती रही थी. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो इस कार्यकाल के अंत-अंत में इस परंपरा को तोड़ेंगे और मीडिया के सवालों का जवाब देंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में उन्होंने लोकसभा चुनावों पर टिप्पणी की और अगली बार भी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का दावा किया.
संवाददाताओं को यह उम्मीद थी कि जो सवाल वो पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री मोदी से नहीं पूछ पाए थे, वो पूछेंगे और प्रधानमंत्री उसका जवाब देंगे.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रधानमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुरुआती टिप्पणी के अलावा किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. पत्रकारों ने उनसे जो भी सवाल आए, वो उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर टरका दिए. अमित शाह ने पीएम से पूछे गए सवालों का जवाब दिया.
क़रीब 53 मिनट के प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरेंद्र मोदी 12 मिनट तक बोले. इस दौरान उन्होंने प्रेस के मित्रों के साथ अपने पुराने दिनों को याद किया. उन्होंने नई सरकार बनाने का भी दावा किया.
शुरुआती टिप्पणी के अंत में मोदी ने कहा, "मेरा मत है कि पूर्ण बहुमत वाली सरकार पांच साल पूरा करने दोबारा जीत कर आए, यह शायद देश में बहुत लंबे अरसे के बाद हो रहा है. ये अपने आप में बड़ी बात है. दूसरा तय करके चुनाव लड़ा गया हो और सरकार बनती हो, ऐसा भी बहुत कम हुआ है."
मोदी ने कहा, "आप लोगों के बीच भी मैं धन्यवाद करने आया हूं और आपके माध्यम से देशवासियों को धन्यवाद कहने आया हूं. जिस यात्रा को शुरू करने के लिए हमें आशीर्वाद चाहिए और मैं देख रहा हूं कि जनता पहले से ज़्यादा बढ़-चढ़कर आशीर्वाद दे रही है."
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मोदी से पूछे गए तीन सवाल, पर क्या था उनका जवाब
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी सवालों के जवाब अमित शाह ही देते रहे. हालांकि उत्साहित पत्रकारों की तरफ़ से तीन सवाल सीधे मोदी से पूछे गए.
पहला सवालः
एक महिला पत्रकार सवाल करने से पहले कहती हैं, "मेरा सवाल प्रधानमंत्री जी आपके लिए, आपकी इजाज़त से."
इतना सुनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह की ओर इशारा करते हुए कहते हैः "मैं एक अनुशासित सिपाही हूं. पार्टी अध्यक्ष हमारे लिए सब कुछ हैं."
दूसरा सवालः
एक पुरुष पत्रकार पूछते हैं, "मेरा सवाल प्रधानमंत्री जी से था कि विपक्षी पार्टियां खिचड़ी पकाने लग गई हैं. 23 तारीख़ को सोनिया गांधी जी मीटिंग बुला रही हैं, उधर केसीआर सभी से मुलाक़ात कर रहे हैं, ऐसे में आपका क्या कहना है?"
प्रधानमंत्री एक बार फिर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर इशारा करते हैं और वो ही इस सवाल का जवाब देते हैं कि "मुझे पूरा भरोसा है कि हम चुनाव जीतने जा रहे हैं..."
तीसरा सवालः
प्रेस दीर्घा में बैठी एक महिला रिपोर्टर पूछती हैं, "कांग्रेस पार्टी का पूरा चुनावी अभियान रफ़ाल के मामले पर था. आज आप प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए हैं तो क्या स्पष्टीकरण देना चाहेंगे...
इतने में अमित शाह कहते हैं, "मैंने जवाब दे दिया है न, हर चीज का जवाब प्रधानमंत्री को देना ज़रूरी नहीं है क्योंकि सवाल का बुनियाद ही नहीं है."
पीएम ने पहली बार कुछ किया, पर मीडिया नहीं दे पाई तवज्जो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. यह पहली बार है जब मोदी ने पहली बार कुछ नया किया हो और उसका ज़िक्र मीडिया में आम घटनाक्रम की तरह किया गया है.
उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर साध्वी प्रज्ञा के गोडसे को सबसे बड़ा देशभक्त वाले बयान पर मोदी की प्रतिक्रिया हावी रही.
अधिकतर अख़बारों में प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया को प्राथमिकता दी गई है और उसे मुख्य सुर्ख़ी बनाया गया है.
मोदी ने साध्वी प्रज्ञा के बयान पर कहा था कि वो मन से कभी उन्हें माफ़ नहीं कर पाएंगे. कई अख़बार ने मोदी के प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआती टिप्पणी में नई सरकार बनाने के दावों को हेडलाइन बनाया है.
कोलकाता से छपने बाले अख़बार 'द टेलिग्राफ' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
अपने आधे पन्ने के कवरेज में अख़बार ने न हेडिंग में और न ही कंटेंट में एक शब्द लिखा है. दोनों जगहों को खाली छोड़ दिया गया है.
हालांकि, आठ कॉलम की हेडिंग की खाली जगह में एक ट्रैफ़िक संकेत छापा गया है, जिसका इस्तेमाल 'साइलेंस जोन (Silence Zone)' को दर्शाने के लिए किया जाता है.
जहां यह ट्रैफ़िक संकेत लगे होते हैं वहां गाड़ियों के हॉर्न बजाने पर प्रतिबंध होता है.
अख़बार ने प्रधानमंत्री मोदी की पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की व्याख्या उनकी सात तस्वीरों के ज़रिए की है, जिनमें उनकी सात विभिन्न मुद्राओं को दिखाया गया है.
ये सभी तस्वीरें प्रेस कॉन्फ्रेंस के 36 से 51वें मिनट के बीच कैमरे में क़ैद की गई हैं. तस्वीरों के नीचे कैप्शन लिखा है.
इनमें से तीसरी तस्वीर 41वें मिनट की है, जिसका कैप्शन लिखा है, "सवाल पूछा गया, मोदी शाह की ओर इशारा करते हुए कहते हैः मैं एक अनुशासित सिपाही हूं. पार्टी अध्यक्ष हमारे लिए सबकुछ हैं."
यह तस्वीर उस वक़्त की है जब महिला पत्रकार प्रधानमंत्री से सवाल करने के पहले उनसे उनकी इजाज़त मांगती हैं.
इससे पहले सवाल पूछा जाता, प्रधानमंत्री इतना सुनते ही अमित शाह की ओर इशारा करते हुए कहते हैः "हम तो डिसिप्लीन्ड सोल्जर हैं, अध्यक्ष हमारे लिए सबकुछ होते हैं."
अख़बार ने सब-हेडिंग में लिखा है 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी शुक्रवार की दोपहर प्रेस के सामने पहली बार आए. 1817 दिनों के बाद हुई उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद देश के पास कहने को कोई शब्द नहीं है.
अख़बार ने कंटेंट की जगह खाली छोड़ी है और लिखा है कि जब प्रधानमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछे गए सवालों का जवाब देंगे, यह खाली जगह भर दी जाएगी.
अख़बारों का कवरेज
टाइम्स ऑफ इंडिया ने साध्वी के बयान पर मोदी की प्रतिक्रिया को पहली ख़बर बनाया है. हालांकि मोदी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को उसने इस ख़बर के बीच छोटी सी जगह दी है, जिसमें अख़बार ने भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के मोदी के दावों का ज़िक्र किया है.
वहीं, हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने सब हेडिंग में लिखा हैः प्रधानमंत्री पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखे, लेकिन सवालों को लेने से इनकार किया.
द हिंदू अख़बार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी के दिए दावे को हेडिंग बनाया है. हालांकि अख़बार ने भी यह लिखा है कि प्रधानमंत्री ने किसी भी तरह का सवाल लेने से इनकार कर दिया.
अख़बार ने लिखा है, "तय प्रेस कॉन्फ्रेंस में अचानक मोदी पहुंचे, उन्होंने शुरुआती टिप्पणी तो की लेकिन वो लगातार अपने सवालों को अमित शाह की तरफ़ टालते चले गए."
द इंडियन एक्सप्रेस ने साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में उतरे दूसरे भाजपा नेताओं की ख़बर को लीड ख़बर बनाया है.
हालांकि अख़बार ने मोदी और राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस की तस्वीर को अपने बयानों के साथ पहले पन्ने पर जगह दी है.
अख़बार ने कैप्शन में लिखा है कि "अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी उपस्थित थे लेकिन सवालों को लेने से इनकार किया."
दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी अख़बार द स्टेट्समैन ने पीएम मोदी के प्रेस कॉन्फ्रेंस को लीड ख़बर बनाई है.
अख़बार की हेडिंग हैः "पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री ने कठिन सवालों को शाह की तरफ़ मोड़ा."
द स्टेट्समैन आगे लिखता है, "शुरुआती टिप्पणी को छोड़कर मोदी पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुप रहे. सवाल जवाब के दौरान शाह ही सभी सवालों के जवाब देते रहे."
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संपादकीय में क्या लिखा गया
हिंदी अख़बारों की बात करें तो कई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी की शुरुआती टिप्पणी में किए गए दावों को लीड बनाया है. वहीं कई ने साध्वी के बयान पर मोदी की प्रतिक्रिया को प्रमुखता दी है.
दैनिक जागरण और अमर उजाला ने दोबारा बनेगी बहुमत की सरकार के मोदी के दावे को अख़बार की हेडिंग बनाई है. दोनों अख़बारों ने लिखा है कि मोदी ने पांच साल में पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चौंकाया, पर सवालों के जवाब नहीं दिए.
वहीं, दैनिक भास्कर ने भी साध्वी प्रज्ञा के बयान पर मोदी की प्रतिक्रिया को लीड बनाया है. हालांकि अख़बार ने मोदी के सवालों के जवाब न देने की बात भी कही है. मोदी की ख़बर के बगल में राहुल के तंज को जगह दी गई है, जिसमें राहुल ने कहा- शायद अगली बार अमित शाह आपको कुछ जवाब देने दें.
अमर उजाला का संपादकीय नरेंद्र मोदी के सवालों को न लेने को उनकी पांच साल पुरानी परंपरा से जोड़ कर देखता है.
अख़बार अपने संपादकीय में लिखता है, "सातवें और अंतिम चरण का चुनाव प्रचार थम जाने के बाद भाजपा मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी अगर आश्चर्यजनक थी तो इसलिए कि अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की. अपनी बनाई हुई इस परंपरा को उन्होंने जिस तरह अंत अंत तक बरकरार रखा, वह भी उतना ही देखने लायक था."
वहीं दैनिक जागरण ने भी इस पर संपादकीय लिखा है. पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के दावे का ज़िक्र करते हुए अख़बार अपने संपादकीय में लिखता है कि प्रधानमंत्री से प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब की अपेक्षा की जा रही थी.
अख़बार लिखता है, "आख़िर प्रधानमंत्री इसकी अनदेखी कैसे कर सकते हैं कि शासनाध्यक्षों की ओर से संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर पत्रकारों के सवालों के जवाब देने का चलन पूरी दुनिया में है और इसे स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी माना जाता है."
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विदेशी मीडिया की नज़र
संयुक्त अरब अमीरात का सबसे बड़े अंग्रेजी अख़बार गल्फ़ न्यूज़ ने लिखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ट्विटर पर इसकी चर्चा ख़ूब हुई क्योंकि यह उनका पहला प्रेस कॉन्फ्रेंस था. हालांकि लोगों को लग रहा था कि वो सवालों का सामना करेंगे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया.
वॉइस ऑफ अमेरिका लिखता है कि "आलोचकों का कहना है कि टीवी इंटरव्यू से पहले मोदी को मालूम होता है कि उनसे क्या पूछा जाएगा और वो सवाल नरम और ख़ुशामद करने वाले होते हैं."