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सीएए, एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में चल रहा धरना-प्रदर्शन जल्‍द हो सकता है समाप्‍त!

In Shaheen Bagh, the number of people has been decreasing in the sit-in demonstration against the CAA and NRC for the last two months. People involved in the dharna want that this dharna be finished in some respectable manner.सीएए, एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में चल रहा धरना-प्रदर्शन जल्‍द हो सकता

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बेंगलुरु। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध में धरने पर बैठी दिल्ली के शाहीन बाग़ की महिलाएं चर्चा में हैं। पिछले 60 दिनों से चल रहा धरना अब कभी भी समाप्‍त हो सकता हैं! घर-बार छोड़कर धरने पर बैठी महिलाओं के लिए अब ये धरना चलाना मुश्किल होता जा रहा हैं। दो महीनें से धरने पर बैठी महिलाएं भी बहाना तलाश रही कि जिसके बलबूते पर वो सम्मानजनक तरीके से धरना-प्रदर्शन का अंत कर सके। जानें वो वजह जो जल्‍द धरना समाप्‍त होने की दे रहे गवाही!

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बता दें विगत कुछ दिनों में शाहीन बाग में धरने पर लोगों की संख्‍या तेजी से घटती जा रही है। ये एक बड़ा कारण है कि अब धरने पर बैठे लोग भी इसका अंत चाहते हैं। बता दें पिछले दिनों ये दावा किया जा रहा था कि अपनी मांगों को लेकर कम से कम 5 हजार महिलाएं गृह मंत्री अमित शाह से मिलने जाएंगी, लेकिन विगत रविवार को बमुश्किल लगभग साढ़े तीन सौ महिलाएं एकत्र हो पाई थी। इतना ही नहीं पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने भी रविवार को ए‍क बार फिर साफ कर दिया हैं कि वह सीएए के फैसले पर वह कायम रहेंगे। जिसके बाद इन प्रर्दशनकारियों का जोश और ठंडा हो चुका हैं!

जिद छोड़कर अमित शाह से मिलने को हुए हैं तैयार

जिद छोड़कर अमित शाह से मिलने को हुए हैं तैयार

बता दें धरने पर बैठी महिलाएं पिछले रविवार को अमित शाह से मिलने उनके घर जाने के लिए मार्च निकाला और फिर पुलिस से सामना होने के बाद मुलाकात से पीछे हटना पड़ा था। शाहीनबाग में प्रदर्शनकारियों द्वारा शाह से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने का दावा करने के बाद गृह मंत्रालय (एमएचए) का यही तर्क है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से इस तरह की कोई बैठक निर्धारित नहीं की गई है। शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी गृहमंत्री अमित शाह से मिलना चाहते थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वो नए नागरिकता कानून के कारण मची गफलत को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने को तैयार हैं। जबकि पहले ये प्रदर्शनकारी पीएम मोदी को धरना स्‍थल पर बुलाने की जिद पर अड़े हुए थे।

व्‍यापारियों को हर दिन हो रहा लाखों का नुकसान

व्‍यापारियों को हर दिन हो रहा लाखों का नुकसान

बता दें धरने पर बैठे रहने के कारण इन महिलाओं के अलावा शाहीन बाग के दुकानदारों को बहुत नुकसान हुआ है। उनका काम धंधा पिछले दो महीनें में चौपट हो चुका हैं। इतना ही नहीं जहां ये धरना चल रहा है उस धरना स्थल के आसपास 100 से ज्यादा बड़े-बड़े ब्रांडों के शोरूम हैं। दो माह से अधिक समय से यह शोरूम बंद पड़े हैं। कालिंदी कुंज से जामिया नगर थाने जाने वाला मार्ग बंद होने से सैकड़ों दुकानें बंद होने की कगार पर हैं। यहां के व्‍यापारियों को हर दिन लाखों का नुकसान हो रहा है। अनुमान लगाया जा रहा था कि दिल्‍ली चुनाव परिणाम के बाद इस धरने का कोई परिणाम निकलेगा लेकिन परिणाम आए भी एक सप्‍ताह हो चुका हैं।

रास्‍ता बंद होने से परेशान लोग बंद करवाना चाहते हैं धरना

रास्‍ता बंद होने से परेशान लोग बंद करवाना चाहते हैं धरना

बता दें दो महीने से शाहीन बाग की सड़क पर चल रहे धरना-प्रदर्शन के कारण पूरा रास्‍ता बंद है जिस कारण शाहीन बाग के नागरिकों के अलावा नोएडा, फरीदाबाद व दिल्ली के विभिन्न इलाकों के लोगों को आने- जाने में बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है। हर दिन इस धरने के कारण ट्रैफिक जाम और लंबी दूरी तय करके अपने गंतव्‍य तक पहुंचने वाले लोगों का दबाव भी प्रशासन पर बढ़ता जा रहा हैं कि यह धरना जल्‍द से जल्‍द समाप्‍त हो। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सामने चल रहे धरने से भी लोग गायब होते जा रहे हैं। 10 फरवरी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने संसद तक के लिए मार्च निकाला था, लेकिन मार्च में फूट पड़ गई और ज्यादातर लोग मार्च से वापस चले गए थे।

भावुक अपीलों, प्रचार के बावजूद नहीं जुट रहे लोग

भावुक अपीलों, प्रचार के बावजूद नहीं जुट रहे लोग

बता दें शाहीन बाग धरना स्‍थल से हर दिन लाउडस्‍पीकर पर तमाम भावुक अपीलों, शाहीन बाग, जामिया नगर और जाकिर नगर आदि इलाकों में प्रचार के बावजूद मुशिकल से ही धरने में दो तीन सौ लोग ही जुट रहे हैं। धीरे-धीरे संख्‍या कम होने से धरने में शामिल लोगों को भी हौसला पस्‍त होता नजर आने लगा है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सामने चल रहे धरने से भी लोग गायब होते जा रहे हैं। 10 फरवरी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने संसद तक के लिए मार्च निकाला था, लेकिन मार्च में फूट पड़ गई और ज्यादातर लोग मार्च से वापस चले गए थे।

नेताओं ने भी कर लिया हैं किनारा

नेताओं ने भी कर लिया हैं किनारा

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बहुत से नेता जो इन्‍हें वोट बैंक मानकार इनकी मदद कर रहे थे उन नेताओं ने भी अब इनसे किनारा कर लिया हैं। इस धरने में शुरु से शामिल लोग अब ये ही मान रहे हैं कि किसी तरह उनका सम्मान बना रहे। ये ही कारण हैं कि जो पूर्व में पीएम नरेन्‍द्र मोदी को धरना स्‍थल पर बुलाने की मांग कर रहे थे वो पिछले रविवार को गृह मंत्री से मुलाकात करने खुद ही पहुंच गए। सूत्रों के अनुसार धरने पर बैठे लोग अब ये चाहते हैं कि उन्‍हें सरकार से कोई आश्‍वासन मिल जाए और वो धरना सम्मानपूर्वक समाप्‍त करने की घोषण कर दें। ताकि उनकी नाक भी बच जाए और वो सब धरना समाप्‍त कर अपने काम पर लौट जाएं।

 कोर्ट भी लगा चुका हैं फटकार

कोर्ट भी लगा चुका हैं फटकार

बता दें उच्चतम न्यायालय में सोमवार को शाहीन बाग मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है लेकिन इसकी एक सीमा है। यदि हर कोई रोड ब्लॉक करने लगा तो ऐसा कैसे चलेगा। अदालत ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शकारियों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें प्रदर्शनकारियों से बात करके प्रदर्शनस्थल बदलने के लिए मनाने को कहा है। इसके लिए उन्हें एक हफ्ते का समय दिया गया है। अदालत ने दोनों वकीलों से कहा है कि यदि वह चाहें तो वजाहत हबीबुल्ला को अपने साथ ले सकते हैं। साथ ही अदालत ने केंद्र, दिल्ली पुलिस और सरकार को प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए कहा है।

कोर्ट ने भी दिए ये संकेत

कोर्ट ने भी दिए ये संकेत

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यदि सभी लोग सड़क पर उतर जाएंगे और प्रदर्शन के लिए सड़क बंद कर देंगे तो क्या होगा? इसे जारी रहने नहीं दिया जा सकता। अधिकारों और कर्तव्य के बीच संतुलन जरूरी है। लोगों के पास प्रदर्शन करने का हक है लेकिन सड़क प्रदर्शन करने की जगह नहीं है। केवल इसी मामले में नहीं अगर दूसरे मामले में भी सड़क बंद करके इस तरह प्रदर्शन करते हैं तो अफरातफरी मचेगी।अब अगली सुनवाई सोमवार 24 फरवरी को होगी।

महिलाओं और बच्चों को ढाल बना रहे प्रदर्शनकारी

महिलाओं और बच्चों को ढाल बना रहे प्रदर्शनकारी

अदालत में सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी महिलाओं और बच्चों को ढाल के तौर पर आगे करते हैं। अदालत ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है लेकिन ये भी कुछ प्रतिबंधों के अधीन है। यदि हमारे प्रयास सफल नहीं होते हैं तो हम इस मामले को प्रशासन पर छोड़ देंगे। ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि पुलिस प्रदर्शनकारियों के सामने झुक गई है।

शुरु से रहा हैं ये विरोधाभास

शुरु से रहा हैं ये विरोधाभास

बता दें शाहीन बाग धरने में शुरु से ही विरोधाभास रहा है। चाहे वो नेता का आभाव हो या फिर विचारों में मतभेद शाहीनबाग आंदोलन को लेकर शुरुआत से यही कहा जा रहा है कि यहां ऐसी तमाम चीजें हुई हैं जिस कारण इसका विरोध भटका हुआ लगता है। बातचीत कैसे और किस स्तर पर होगी इसे लेकर भी प्रदर्शनकारियों का एजेंडा स्पष्ट नहीं है। इतना ही नहीं इनका कोई डेलिगेशन नहीं है। इस धरने में शामिल हर व्‍यक्ति स्‍वयं को डेलीगेशन मानता हैं। अगर कोई डेलीगेशन तैयार भी हो जाता हैं तो क्या जरुरी है कि उसकी बात सब मानेगे ही। ये भी एक बड़ा कारण हैं कि अच्‍छे प्रतिनिधित्व के अभाव में ये धरना बेनजीता ही समाप्‍त न हो जाए।

शाहीन बाग : जानें सीएए के विरोध में चल रहे प्रदर्शन का केन्‍द्र सरकार पर क्यों नहीं पड़ रहा असरशाहीन बाग : जानें सीएए के विरोध में चल रहे प्रदर्शन का केन्‍द्र सरकार पर क्यों नहीं पड़ रहा असर

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English summary
In Shaheen Bagh, the number of people has been decreasing in the sit-in demonstration against the CAA and NRC for the last two months. People involved in the dharna want that this dharna be finished in some respectable manner.
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