राष्ट्रपति ने की सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों की तारीफ, कानूनी और संवैधानिक ढांचे को मजबूती मिली
नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में कहा कि 'जेंडर जस्टिस के लक्ष्य' पर आगे बढ़ने के लिए भारतीय न्यायपालिका के प्रयास सराहनीय है, भारत का सर्वोच्च न्यायालय हमेशा सक्रिय और प्रगतिशील रहा है। उन्होंने आगे कहा कि दो महीने पहले कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने से लेकर इस महीने में सेना में महिलाओं को समान दर्जा देने के लिए निर्देश प्रदान करने के लिए, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन का नेतृत्व किया है।
दरअसल, रविवार को राजधानी दिल्ली में 'न्यायपालिका और बदलती दुनिया' विषयक अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संबोधित किया। यहां उन्होंने भारतीय न्यायपालिका की तारीफ करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने 'प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन' की अगुआई की है। उन्होंने कहा, हाल ही में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र शुरू करने की दिशा में उठाए गए कदम से उम्मीद है कि इससे अदालत पर काफी हद तक बोझ कम होगा। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि अब तक सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को आम लोगों के लिए सुलभ बनाने के लिए 9 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाता है। मुझे यकीन है कि समय बीतने के साथ इसका दायरा और व्यापक होगा।
President Ram Nath Kovind: From issuing guidelines on preventing sexual harassment in the workplace two decades ago to providing directives for granting equal status to women in the Army this month, the Supreme Court of India has led progressive social transformation. https://t.co/yWltuimzgE
— ANI (@ANI) February 23, 2020
राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसले को नौ स्वदेशी भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने के लिए भी न्यायालय की तारीफ की है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत की भाषायी विविधता को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराना एक असाधारण प्रयास है। उन्होंने का कि उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसलों ने भारत के कानूनी एवं संवैधानिक ढांचे को मजबूती दी है। इस दौरान राष्ट्रपति ने महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर भी न्यायालय के ऐतिहासिक फैसलों की तारीफ की है।
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